राजस्थान के जनसंगठनों ने राजनीतिक दलों के समक्ष जारी किया जनता का मांगपत्र
जनसंगठनों ने राजनीतिक दलों से मांग की है कि वे सरकार में आएं तो जनता के लिए जवाबदेही कानून लागू करें।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में सूचना और रोजगार अधिकार अभियान से जुड़े जनसंगठनों ने राजनीतिक दलों से मांग की है कि वे सरकार में आएं तो जनता के लिए जवाबदेही कानून लागू करें और जयपुर सहित हर जिले में धरना-प्रदर्शन की जगह तय करें। इसके अलावा, निजी क्षेत्र में आरक्षण, चुनाव में युवाओं के लिए एक तिहाई टिकट आरक्षित करने और राशन तथा सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म करने जैसी मांगे भी की गई है।
राजस्थान में सूचना व रोजगार अधिकार अभियान के तहत प्रदेश भर के जनसंगठन पिछले 15 दिन से जयपुर में शहीद स्मारक पर रोजगार, शिक्षा, दलित अत्याचार, अल्पसंख्यकों के मुद्दे आदि विषयों पर जन सुनवाई कर रहे थे। इन जन सुनवाइयों में सामने आई मांगों के आधार पर ही जनता का मांगपत्र तैयार किया गया है।
मंगलवार को शहीद स्मारक पर राजस्थान में चुनाव लड़ रहे प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष यह मांग पत्र रखा गया और उनसे मांग की गई कि अपने घोषणा पत्रों में इन मांगों को शामिल किया जाए। इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय, निखिल डे कविता श्रीवास्तव, कमल टाक आदि ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि राजनीतिक दल जनता के इस मांगपत्र पर ध्यान देंगे और न सिर्फ इन मांगों को घोषणा पत्रों में शामिल करेंगे, बल्कि सरकार बनने के बाद उन पर काम भी करेंगे, क्योंकि हम सिर्फ मांग पत्र दे नहीं रहे हैं, बल्कि इस बात पर नजर भी रखेंगे कि उस पर काम हुआ है या नहीं।
नहीं आए भाजपा के प्रतिनिधि
मंगलवार को हुए इस कार्यक्रम में आयोजकों ने सभी प्रमुख दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया था और कांग्रेस व सीपीएम जैसे दलों से जहां दो-दो प्रतिनिधि आए, वहीं भाजपा से एक भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। आयोजन में मौजूदा कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया कि वे इस मांग पत्र की जरूरी बातों को घोषणा पत्र में स्थान देंगे।
यह है जनता के मांग पत्र की प्रमुख मांगे
- धरना-प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है, इसलिए इसके लिए जययुर सहित जगह स्थान उपलब्ध कराया जाए
- भ्रष्टाचार के मामलों केा उजागर करने वालों को सुरक्षा दी जाए
- जजों और सूचना आयुक्तों के चयन में जनता की राय ली जाए
- सरकारी विभागों में एकल खिड़की व्यवसथा हो
- आपदा, चुनाव व जनगणना के अलावा शिक्षकों से अन्य गैर शैक्षणिक कार्य न कराए जाएं
- जेंडर बजटिंग की तरह युवाओं के लिए भी अलग बजट हो
- ग्रामीण क्षेत्र के नरेगा की तरह शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम चलाया जाए
- घरेलू कामगारों को माह में चार दिन और वर्ष में 15 दिन सवैतनिक अवकाश दिया जाए
- दुष्कर्म के मामलों में समझौते का प्रावधान हटाया जाए
- महिलाओं के लिए स्नातक स्तर की शिक्षा निशुल्क की जाए
- एकल महिलाओं के भरण-पोषण की जिम्मेदारी यदि पति न ले तो सरकार उठाए।
- निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किया जाए।
- आरक्षण से छेड़छाड़ न हो और अनसूचित जाति व जनजति का आरक्षण दो-दो प्रतिशत बढ़ाया जाए।
- अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सिर्फ शक के आधार पर प्रताड़ित न किया जाए
- किन्नर समुदाय को सामजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ दिया जाए।
- पंचायतों के चुनाव में दो संतान की बाध्यता के नियम को हटाया जाए।