राजस्थान विस चुनाव 2018: कांग्रेस में बगावत, सूची जारी होते ही जमीन पर आई लड़ाई
भाजपा ने 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, तब भी विरोध सामने आया था। लेकिन भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में बगावत ज्यादा है।
अजमेर [ सन्तोष गुप्ता ]। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की ओर से 15 नवंबर को आधी रात 152 उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस में बगावत का दौर शुरू हो गया। हालांकि, 11 नवंबर को जब भाजपा ने 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, तब भी विरोध सामने आया था। लेकिन भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में बगावत ज्यादा है।
अजमेर में खुली बगावत
अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से बीड़ी उद्योगपति हेमंत भाटी को कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किए जाने बाद उनके बड़े भाई और पूर्व मंत्री ललित भाटी ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया। इस बीच ललित भाटी ने घोषणा की कि वे 17 नवंबर को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि यह निर्णय उन्होंने कार्यकर्ता की मांग का सम्मान रखने के लिया किया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि कांग्रेस के आला नेताओं ने ही कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा। स्वयं राहुल गांधी हरदम कहते रहे कि वे पैराशूट उम्मीदवारों की डोरी काट देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा कि हेमंत भाटी की उम्मीदवारी को लेकर पहले ही सचिन पायलट और अशोक गहलोत को सचेत किया था। लेकिन इसके बाद भी आलाकमान ने हेमंत को उम्मीदवार घोषित किया, इसलिए अब कांग्रेस को परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में ललित भाटी की इस बागवत से भाजपा को सियासी लाभ मिल सकता है। राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री रहीं अनिता भदेल इस सीट से भाजपा की प्रत्याशी हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 विधानसभा चुनाव में इस सीट से ललित भाटी एनसीपी के उम्मीदवार थे। इस चुनाव में उनको करीब 20 हजार मत प्राप्त हुए थे। 2003 में विधानसभा चुनाव में भाटी कांग्रेस उम्मीदवार थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1998 में भाटी इस सीट से विजई हुए। इस प्रकार केकड़ी सुरक्षित क्षेत्र से भाटी ने एक बार चुनाव जीता और एक बार उनकी पराजय हुई। भाटी को चुनाव लड़ने का लंबा और पुराना अनुभव है। बता दें कि ललित भाटी और हेमंत भाटी के बीच संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद भी चल रहा है। ये मामले अदालत में विचाराधीन है।
मसूदा में कुमावत तैयार
अजमेर जिले की मसूदा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पारीक को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन पारीक की उम्मीदवारी का विरोध जताते हुए पूर्व संसदीय सचिव ब्रह्मदेव कुमावत ने मोर्चा खोल दिया है। कुमावत के समर्थकों का कहना है कि 19 नवंबर को पारीक के खिलाफ नामांकन भरेंगे। इसी प्रकार वाजिद चीता ने भी नामांकन खरीदा है। चीता के समर्थकों का दावा है कि मसूदा से बागी उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे। चीता ने गत बार जेल में बंद रहते हुए चुनाव लड़ा था और तब बीस हजार से भी ज्यादा मत हासिल किए थे।
किशनगढ़ व केकड़ी में बगावत के आसार
भाजपा की ओर से किशनगढ़ विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक भागीरथ चौधरी का टिकट काटे जाने से यहां भी कार्यकर्ताओं में झोभ है। सभी मंडल अध्यक्षों से इस्तीफे और पूर्व नगर परिषद सभापति व मार्बल उद्योग से जुड़े सुरेश टांक की ओर से नाराजगी सामने आने पर बगावत के आसार बने हुए है। नए उम्मीदवार विकास चौधरी के नामांकन जुलूस में भी मंडल अध्यक्षों व टांक के उपस्थित नहीं होने से यहां की सियासत गरमा गई है। इधर, कांग्रेस ने भी अभी तक किशनगढ़ से अपने प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है। यहां से पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। सिनोदिया अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं। टिकट वितरण में प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की चलने के चक्कर में नाम अटका हुआ है।
उधर, सचिन के नजदीकी राजू गुप्ता भी टिकट का आस लगाए बैठे हैं। ऐसे ही हालात केकड़ी विधासनसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार को लेकर है। भाजपा ने यहां से मौजूदा विधायक एवं संसदीय सचिव शत्रुध्न गौतम को अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कांग्रेस के पूर्व विधायक रहे एवं उपचुनाव में भारी मतों से जीत कर सांसद बने रघु शर्मा के विरुद्ध यहां भाजपा को दमदार उम्मीदवार चुनौती देने वाला चाहिए। लिहाजा यहां से नामांकन भरने के अंतिम दिन ही तय हो सकेगा कि कौन बगावत में आ रहा है।