Rajasthan Election:देश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में मतदाताओं तक पहुंचना चुनौती
देश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में चुनाव प्रचार करने में प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को सर्दी में भी पसीना आ रहा है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। देश के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र जैसलमेर में चुनाव प्रचार करने में प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को सर्दी में भी पसीना आ रहा है। पाक सीमा के बिल्कुल निकट स्थित इस सरहदी क्षेत्र में एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचकर चुनाव प्रचार करना जितना मुश्किल है, उतना ही चुनौतिपूर्ण काम मतदान कराना है। हालात यह है कि 28,874 वर्ग किलोमीटर में फैले जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में घर-घर जनसम्पर्क करना तो संभव हो ही नहीं सकता।
चुनाव आयोग से मिली जानकारी के अनुसार जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र गोवा,त्रिपुरा,मणिपुर,मेघवालय,मिजोरम,सिक्किम,दादर,नगर हवेली और लक्ष्यदीप से भी बड़ा है । चुनाव खर्च पर चुनाव आयोग की बंदिशों के कारण प्रत्याशी और पार्टियां प्रत्येक मतदाता तक पहुंचने में असहाय है ।
प्रत्याशियों और पार्टी की मुश्किल
रेतीले धोरों में छितराई आबादी में प्रचार के अधिक 70 से 100 जीपें लगानी पड़ती है,जिनका प्रतिदिन खर्च करीब 15 लाख रूपए होता है। हालांकि यह खर्च प्रत्याशी चुनाव आयोग को पेश किए जाने वाले रिकॉर्ड में नहीं दिखाता है। रेतीले धोरों में लक्जरी कारों का चलना काफी मुश्किल है।
हालात यह है कि रात के अंधेरे में रास्ता भटक जाओ तो रात रेतीले धोरों में ही गुजारते हुए सुबह का इंतजार करना पड़ता है। कांग्रेस प्रत्याशी रूपाराम मेघवाल और भाजपा प्रत्याशी सांगसिंह भाटी सहित अन्य प्रत्याशियों का मानना है कि यहां चुनाव प्रचार करना आसान नहीं है।
दूरी अधिक होने एवं संसाधन सीमित होने के साथ ही क्षेत्र की विषम परिस्थितियां भी कम बाधक नहीं है। चुनाव के लिए जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र को सात हिस्सों में बांटकर गांव और ढ़ाणियों में प्रचार किया जाता है। प्रत्याशी यहां खड़ाल बसिया,नगरकंठा,जसुराटी एवं सोढ़ाण,सम क्षेत्र में प्रचार के लिए दिन और समय तय कर प्रचार करते है ।
निर्वाचन विभाग के लिए भी चुनौती
जैसलमेर में चुनाव कराना निर्वाचन विभाग के लिए भी बड़ी चुनौती है । यहां के कई गांव सरहद पर बसे हुए है । क्षेत्र के शाहगढ़,धनाना,हरनाऊ,लंगतला आदि गांवों में चुनाव सामग्री पहुंचाने के साथ ही कर्मचारियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी करनी पड़ती है। इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल भी पहले से जमा रखना पड़ता है। इन इलाकों में रेत अधिक होने के कारण सेना के वाहनों की मदद ली जाती है।
कई गांवों में पोलिंग बूथ पर 100 से 150 मतदाता है,लेकिन वहां पर पहुंचना मुश्किल है। छितराई आबादी और रेत के धोरों के कारण चुनाव दल के भटकने की भी आशंका रहती है। इस क्षेत्र में 2,24,360 मतदाता है।क्षेत्र में 82 ग्राम पंचायत है। हरनाऊ और लंगतला गांव तो एक-दूसरे से 150 किलोमीटर की दूरी पर बसे हुए है।