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पवन बंसल चंडीगढ़ से कांग्रेस प्रत्‍याशी तय, नवजाेत कौर व मनीष तिवारी की उम्‍मीदें टूटीं

Loksabha election 2019 के लिए पवन बंसल कांग्रेस के प्रत्‍याशी होंगे। पवन बंसल ने बताया कि इसकी पुष्टि पार्टी की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी ने की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 07:46 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 12:50 PM (IST)
पवन बंसल चंडीगढ़ से कांग्रेस प्रत्‍याशी तय, नवजाेत कौर व मनीष तिवारी की उम्‍मीदें टूटीं

चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल चंडीगढ़ लाेकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्‍याशी होंगे। बंसल ने खुद इसकी पुष्टि की। उनको पार्टी प्रभारी आशा कुमारी ने टिकट मिलने के बारे में बताया। पवन बंसल पर आठवीं बार विश्वास जताते हुए उम्मीदवार बनाने का निर्णय किया है। इसके साथ ही नवजोत कौर सिद्धू और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की उम्‍मीदें टूट गई हैं।

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बंसल को टिकट देने के पीछे अहम कारण पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को बताया जा रहा है। बंसल को पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के करीबी समझे जाते हैं। बंसल को टिकट मिलने से नवजोत कौर सिद्ध और मनीष तिवारी गुट के नेता नाराज हो गए हैं। मंगलवार शाम केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पवन बंसल के नाम की मोहर लगाई गई है।इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने भी भाग लिया। इस बैठक में सर्वे रिपोर्ट को भी देखा गया है और उसके आधार पर भी टिकट का फैसला किया गया।

चुनाव सीमित की बैठक के बाद पार्टी प्रभारी आशा कुमारी ने पवन बंसल केा फोन करके उम्मीदवार बनाए जाने की जानकारी दी। इसके बाद बंसल की सेक्टर-28 स्थित कोठी नंबर 64 में कार्यकर्ताओं का तांता लग गया। यहां पर बंसल के समर्थन में नारेबाजी हुई और कार्यकर्ताओं ने बंसल को लडडू खिलाकर उनका मुंह मीठा करवाया।

आखिर पवन बंसल को टिकट मिलने के ये रहे कारण
-पार्टी ने शहर में सर्वे करवाया था। इसमें पवन बंसल का नाम अन्य दावेदारों के मुकाबले में ऊपर रहा।
-कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा और स्‍थानीय संगठन बंसल के साथ था। बताया जाता है कि प्रदेश कार्यकारिणी ने अकेले बंसल का नाम का प्रस्ताव पास करके हाईकमान को भेजा था।
-पवन बंसल शहर में रह कर ही पिछले 35 साल से शहर की राजनीति कर रहे हैं। उन्हें स्‍थानीय होने का भी फायदा मिला है
- मनीष तिवारी और नवजोत कौर सिद्धू शहर में स्थायी तौर पर नहीं रहते थे और उनके टिकट की दौड़ में पिछड़ने का यह मुख्‍य कारण माना जा रहा है।
-पवन बंसल पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अलावा अंबिका सोनी के करीबी हैं। बताया जाता है उन्‍होंले बंसल को टिकट दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।
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बंसल भी सात लोस के चुनाव लड़े, चार जीते
साल 1991 से लेकर 2014 तक सात बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से हर बार पवन बंसल ही कांग्रेस का चुनाव में चेहरा बनते आए हैं। इसलिए भी बंसल को इस बार भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। सात चुनाव में पवन बंसल ने चार बार शहर से सांसद बन चुके हैं। बंसल इससे पहले पंजाब से राज्यसभा सांसद भी बन चुके हैं।

पिछली बार आप के कारण हार गए थे बंसल
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पवन बंसल भाजपा की किरण खेर से करीब 70 हजार वोट से हार गए थे। उस समय शहर में आप की स्थिति काफी मजबूत थी। आप की उम्मीदवार गुलपनाग को एक लाख आठ हजार वोट हासिल हुए थे।कांग्रेस का मानना है कि अगर उस समय आप इतनी मजबूत न होती तो बंसल चुनाव जीत जाते।

संगरूर से चुनाव लड़ने के लिए कर दिया था मना
पवन बंसल को पार्टी ने पंजाब के संगरूर से भी चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था लेकिन उन्‍होंन इसके लिए साफ मना कर दिया था। बंसल ने पार्टी को स्पष्ट कर दिया था कि अगर वह चुनाव लड़ेंगे तो चंडीगढ़ से ही। मालूम हो कि बंसल मूल रूप से संगरूर के गांव तपा के ही रहने वाले हैं।

लगातार दो बार हारके बावजूद मिली थी टिकट
साल 1999 में पवन बंसल का राजनीति केरियर दाव पर लगा हुआ था क्योंकि इस चुनाव से पहले बंसल दो चुनाव हार चुके थे। उस समय पार्टी किसी अन्य दावेदार को मैदान में उतारने पर विचार कर रही थी लेकिन उस समय बंसल ने पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन को कांग्रेस में शामिल करके अपनी स्थिति मजबूत की। धवन के आने के बाद पार्टी ने बंसल को उम्मीदवार बनाया और बंसल उस समय सिर्फ पांच हजार वोटों से चुनाव जीते।


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