महासमर-2019: पहली बार अंतिम चरण में चुनाव, सियासी दलों ने बदली रणनीति
पंजाब में लोकसभा चुनाव अंतिम चरण में होगा। ऐसे में राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीति बदलने लगे हैं।
जालंधर, जेएनएन। पंजाब में लोकसभा चुनाव हमेशा पहले चरण में ही होते रहे हैं। पहली बार अंतिम चरण में चुनाव होने के कारण चुनाव शेड्यूल बेहद लंबा हो गया है। मतदान 19 मई को होगा और रिजल्ट 23 मई को आएगा। मतदान में 71 दिन बाकी हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है। कांग्रेस ने तो इसके संकेत भी दे दिए हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में साफ कर दिया है कि कांग्रेस वेट एंड वॉच की स्थिति अपनाएंगी। यानी शिअद-भाजपा गठबंधन उम्मीदवारों को लेकर क्या फैसला लेता है, इसके बाद ही कांग्रेस अपने पत्ते खोलेगी। बड़ी सीटों पर टिकट के फैसले को होल्ड किया जा सकता है।
लंबे चुनाव कार्यक्रम ने सियासी दलों के लिए कई चुनौतियां पेश कर दी हैं। चुनाव आयोग ने हर प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा 70 लाख रुपये तय की है, लिहाजा ढाई महीने तक रैलियों का इंतजाम करना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी तरफ यदि पार्टियां जल्दी उम्मीदवार घोषित करती हैं, तो बगावत का खतरा रहेगा। वहीं, यदि पार्टी उम्मीदवार उतारने में देरी करती है, तो प्रचार के लिए कम समय मिलेगा। वहीं, एक चुनौती यह भी है कि शुरुआत में पार्टियों को बड़े नेताओं को प्रचार के लिए पंजाब लाना भी बड़ी चुनौती होगी। ऐसे में रैलियों में भीड़ जुटाने में मशक्कत करनी पड़ेगी।
भाजपा और शिअद ने भी रविवार को संयुक्त बैठक कर चुनावी का बिगुल फूंक दिया है, लेकिन अभी टिकट आवंटन को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ है। आम आदमी पार्टी पांच उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। अन्य सीटों पर उम्मीदवार तय करने में अभी और समय लग सकता है। यह साफ है कि लंबे कार्यक्रम के कारण पार्टियों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। साथ ही मतदाताओं को भी निर्णय लेने में परेशानी आएगी। छह चरणों के चुनाव गुजरने के बाद माहौल क्या होगा, इसका भी मतदाताओं पर असर पड़ेगा।