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दिल्ली MCD चुनावः रोहिणी में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र की प्रतिष्ठा दांव पर

भाजपा के बागी तो पार्टी उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बने ही हुए हैं, साथ ही भितरघात का डर भी कई उम्मीदवारों को सता रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 16 Apr 2017 07:28 AM (IST)Updated: Sun, 16 Apr 2017 09:03 PM (IST)
दिल्ली MCD चुनावः रोहिणी में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र की प्रतिष्ठा दांव पर
दिल्ली MCD चुनावः रोहिणी में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र की प्रतिष्ठा दांव पर

नई दिल्ली (नवीन गौतम)। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की प्रतिष्ठा उनके निर्वाचन क्षेत्र रोहिणी में ही दांव पर है। भाजपा के बागी तो पार्टी उम्मीदवारों के लिए मुसीबत बने ही हुए हैं, साथ ही भितरघात का डर भी कई उम्मीदवारों को सता रहा है। कांग्रेस, आप एवं स्वराज इंडिया सहित निर्दलीयों के निशाने पर भी भाजपा ही है। कुछ उम्मीदवारों की छवि को लेकर उठ रहे सवालों को संभालना भी नेता प्रतिपक्ष के लिए चुनौती है।

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पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान दिल्ली की जिन तीनों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की, उनमें रोहिणी विधानसभा क्षेत्र भी शामिल हैं। इस क्षेत्र से विजेंद्र गुप्ता जीते और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बनने में कामयाब रहे।

इसी विधानसभा क्षेत्र के चारों वार्डों पर भाजपा का कब्जा है। इसमें एक पर उनकी पत्नी डॉ.शोभा भी पार्षद हैं। तीन अन्य वार्डों पर निगम में सदन के नेता वीपी पांडेय, पूर्व उप महापौर नीलम गोयल एवं मौजूदा उप महापौर ताराचंद बंसल चुनाव जीते थे।

मौजूदा पार्षदों को टिकट न दिए जाने के आलाकमान के फैसले से पहले यह माना जा रहा था कि मौजूदा चारों पार्षदों को फिर से रिपीट कर दिया जाएगा। जब मौजूदा पार्षदों को पार्टी ने लाल झंडी दिखा दी तो फिर चारों ही वार्डों में दावेदारों की लंबी कतार लग गई, जिनमें से अधिकांश को उम्मीद विजेंद्र गुप्ता से ही थी।

उनके समक्ष भी कठिन परिस्थिति थी कि आखिर किसकी सिफारिश करें। उनके धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व विधायक जय भगवान अग्रवाल भी अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के पक्ष में थे, मगर टिकटों के बंटवारे में दो वार्ड में तो विजेंद्र गुप्ता की ही चली तो दो अन्य अपने दम पर टिकट लाने में कामयाब रहे।

इस स्थिति के चलते विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ पार्टी में उनके विरोधी लामबंद हो ही गए। इससे उनके समर्थकों में भी नाराजगी बढ़ गई। इनमें से रोहिणी मंडल के अध्यक्ष राजेश सहगल पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर निर्दलीय ही मैदान में उतर गए हैं।

इसी वार्ड से भाजपा के ही दो अन्य बागी भी पार्टी उम्मीदवार के लिए मुसीबत बने हैं। अन्य वार्डों में भी ऐसी स्थिति है, जहां उनके विरोधी नेता बागियों को हवा देने में लगे हैं। चर्चा इस बात की भी है कि कुछ जगह विजेंद्र विरोधी खेमा बागियों के साथ दूसरे दलों के उन उम्मीदवारों को भी अंदरूनी तौर पर समर्थन कर रहा है जो पहले कभी भाजपा में रहे, लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने दूसरे दल का दामन थाम टिकट हासिल कर लिया।

रोहिणी से ही आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अब तक किसी राजनीतिक दल में तो शामिल नहीं हुए हैं, लेकिन वे उम्मीदवारों की छवि के आधार पर एक वार्ड में स्वराज इंडिया की उम्मीदवार को समर्थन कर रहे हैं तो एक अन्य वार्ड में उनके परिजन पारिवारिक रिश्तों का वास्ता देकर आम आदमी पार्टी की एक उम्मीदवार के पक्ष में खड़े हैं।


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