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जीत की हैट्रिक के लिए चुनावी मैदान में सुप्रिया, शरद के अभेद्य किला को भेदने में जुटी भाजपा

अगर सुप्रिया 2009 और 2014 के जीत के इतिहास को दोहराने में कामयाब होती हैं तो वह अपनी जीत का हैट्रिक बनाएंगी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 04:53 PM (IST)
जीत की हैट्रिक के लिए चुनावी मैदान में सुप्रिया, शरद के अभेद्य किला को भेदने में जुटी भाजपा
जीत की हैट्रिक के लिए चुनावी मैदान में सुप्रिया, शरद के अभेद्य किला को भेदने में जुटी भाजपा

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। 2019 के आम चुनाव में महाराष्‍ट्र की बारामती लोकसभा सीट और शरद पवार की बेटी सुप्रीया सुले सुर्खियों में है। 2019 के चुनाव में जहां शरद पवार के परिवार को अपने गढ़ को बचाने की चुनौती होगी, वहीं सुप्रिया अपनी जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं। अगर सुप्रिया 2009 और 2014 के जीत के इतिहास को दोहराने में कामयाब होती हैं, तो वह अपनी जीत का हैट्रिक बनाएंगी। इसलिए इस सीट पर चुनाव दिलचस्‍प हो गया है। उधर, भाजपा ने इस सीट को हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोक दी है। दूसरी ओर शरद पवार के परिवार के समक्ष इस दुर्ग को बचाने की बड़ी चुनौती होगी। आइए जानते हैं बारामती संसदीय सीट और सुप्रिया के राजनीतिक करियर के बारे में।  

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इस संसदीय सीट पर बेअसर रही मोदी की लहर
2014 के आम चुनाव में महाराष्‍ट्र की बारामती लोकसभा सीट सुर्खियों में थी। इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी थीं। दरअसल, देश में आम चुनाव हो रहे थे। केंद्र में दस वर्षों से आसीन कांग्रेस की सत्‍ता से लोग उकता चुके थे। ऐसे में भाजपा के प्रधानंमत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी देश के सामने एक उम्‍मीद बनकर उभरे। इस चुनाव में सत्‍ताधारी दल कांग्रेस के खिलाफ एक लहर थी। इस चुनाव में सत्‍ता पक्ष का एक-एक दुर्ग हिल गया था। इनमें से कई तो ढह गए थे। लेकिन मोदी लहर की आंच बारामती सीट तक नहीं पहूंची थी। इस चुनाव में भी शरद पवार का वर्चस्‍व इस सीट पर कायम रहा। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले अपना गढ़ बचाने में सफल रहीं। 2019 के आम चुनाव में पक्ष और विपक्ष की नजर इस सीट पर है।

जीत की हैट्रिक की तैयारी में सुप्रिया
बारामती संसदीय सीट सुप्रिया सुले तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। अगर वह चुनाव जीतती हैं तो यह उनकी जीत की हैट्रिक होगी। उनकी जीत का सिलसिला वर्ष 2009 में शुरू हुआ। वह पहली बार इस सीट से चुनाव जीतीं। इस चुनाव में राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने भाजपा उम्‍मीदवार कांता नालावडे को प‍राजित किया। 2014 में बहुत कठिन परिस्थितियों में उन्‍होंने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी। देश में मोदी लहर और राज्‍य में भाजपा-शिवसेना गठबंधन के बावजूद वह किले का बचाने में कामयाब रहीं। भाजपा की सारी रणनीति धरी की धर रह गई। 2019 में वह अपनी तीसरी जीत के लिए चुनावी मैदान में हैं। भाजपा की ओर कांचन राहुल कूल चुनावी मैदान में हैं। यहां इस बार भी राकांपा और भाजपा के बीच की कांटे की टक्‍कर है। हालांकि, इस सीट पर कुल 18 उम्‍मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

27 वर्षों से इस सीट पर शरद का कब्‍जा
दरअसल, 27 वर्षों से बारामती लोकसभा सीट पर शरद पवार की राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कब्‍जा है। पहली बार 1991 के इस सीट पर उप चुनाव हो रहे थे। उस वक्‍त शरद पवार कांग्रेस पार्टी में थे। पार्टी ने बारामती सीट से उन्‍हेें प्रत्‍याशी बनाया। उप चुनाव में शरद यादव सफल रहे। इसके बाद देश में 1996 एवं 1998 के अाम चुनाव में वह कांग्रेस के उम्‍मीदवार बने और जीत हासिल की। इसके बाद 1999 एवं 2004 के आम चुनाव में उन्‍होंने राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी के उम्‍मीदवार थे। पवार ने एक बड़ी जीत दर्ज की। इस सीट से उनकी बेटी सुप्रिया सुले दो बार और अजीत पवार एक बार सांसद रह चुके हैं। इस तरह से सात बार से इस सीट पर पवार परिवार का कब्जा रहा है।   


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