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Maharashtra Assembly Polls: कितना खरा उतरेगा ठाकरे परिवार का यह 'फ्रंट फुट प्लेयर'

कविताओं के सागर में गोते लगाने वाले आदित्य ठाकरे का रुख कैसे राजनीति की तरफ होता चला गया। आइये जानते हैं ठाकरे परिवार के इस फ्रंट फुट प्लेयर के सफर की दिलचस्‍प कहानी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 09:31 AM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 02:18 PM (IST)
Maharashtra Assembly Polls: कितना खरा उतरेगा ठाकरे परिवार का यह 'फ्रंट फुट प्लेयर'
Maharashtra Assembly Polls: कितना खरा उतरेगा ठाकरे परिवार का यह 'फ्रंट फुट प्लेयर'

ओमप्रकाश तिवारी [मुंबई]। Maharashtra Assembly Polls 2019 पांच दशक से भी अधिक पुरानी पार्टी शिवसेना में यह पहली बार होने जा रहा है कि इसके संस्थापक परिवार का कोई सदस्य सीधे चुनाव में ताल ठोकेगा। 29 साल के आदित्य ठाकरे ने यूं तो राजनीतिक सभाओं में पिता के साथ उपस्थिति दर्ज कराकर राजनीति में अपनी रुचि का परिचय काफी पहले दे दिया था, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि ठाकरे परिवार का यह युवा चुनावी रण में फ्रंट फुट पर खेलने उतरेगा। आइए जानते हैं कविताओं के जरिये शब्दों के सागर में गोते लगाने वाले आदित्य ठाकरे का रुख कैसे राजनीति की तरफ होता चला गया...

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विजय संकल्प रैली से किया था एलान

गत 29 सितंबर को पहली बार ये खबरें सामने आने लगीं कि ठाकरे परिवार के युवा सदस्य आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ेंगे। 30 सितंबर को आदित्य ने मुंबई में शिवसेना की विजय संकल्प रैली में खुद इस बात का एलान किया कि वह वरली विधानसभा सीट से चुनावी रण में उतरेंगे और इसी के साथ आधी सदी से भी ज्यादा पुरानी पार्टी शिवसेना में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। पार्टी के संस्थापक परिवार से अभी तक किसी ने चुनावी रण में प्रत्यक्ष रूप से कदम नहीं रखा था। आदित्य पहले बने...

कविता से सियासत तक का सफर

करीब एक दशक पहले तक आदित्य ठाकरे कविताओं में अपना संसार तलाशते थे, लेकिन राजनीतिक परिवार से होने के कारण कहीं न कहीं उनके मन में इस ओर भी रुझान बना रहा। उन दिनों जब 17 वर्षीय आदित्य ठाकरे की अंग्रेजी में लिखी कविताओं का पहला संग्रह ‘माई थॉट इन ह्वाइट एंड ब्लैक’ प्रकाशित हुआ तो यही माना गया कि ठाकरे परिवार का यह सदस्य भी अपने खानदान की कलात्मक परंपराओं को ही आगे बढ़ाने का काम करेगा। जिस तरह उनके दादा बालासाहब ठाकरे और चाचा राज ठाकरे आला दर्जे के काटरूनिस्ट रहे, चचेरे दादा यानी राज ठाकरे के पिता श्रीकांत ठाकरे संगीतज्ञ रहे, पिता उद्धव ठाकरे बहुत अच्छे फोटोग्राफर हैं, उसी डगर पर चलते हुए आदित्य भी कला की दुनिया में खानदान का नाम रौशन करना चाहते हैं।

आठ कविताओं पर जारी किया एलबम

कुछ ही दिनों बाद आदित्य ठाकरे ने अपनी ही लिखी आठ कविताओं पर खुद ही संगीत देकर एक एलबम भी जारी कर दिया तो यह धारणा और पुष्ट होने लगी। वैसे भी उन दिनों विभाजित हो चुकी शिवसेना के एक धड़े को साथ लेकर उनके चाचा राज ठाकरे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को चमकाने में लगे थे।2009 के विधानसभा चुनावों में राज ठाकरे की पार्टी को मुंबई और नासिक में अच्छी सफलता मिलने से यह उम्मीद बलवती होने लगी थी कि बालासाहब ठाकरे के बाद शिवसेना की जगह महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ही लेने जा रही है, लेकिन उन्हीं दिनों मुंबईकरों को आदित्य ठाकरे का नया अवतार देखने को मिला।

इन वजहों से सुर्खियां भी बटोरी

लेखक रोहिंग्टन मिस्त्री की लिखी पुस्तक सच ए लांग जर्नी में शिवसेना पर की गई टिप्पणियों से नाराज आदित्य ने मुंबई विश्वविद्यालय में अपने युवा साथियों के साथ इस पुस्तक की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया तो वह पहली बार राजनीतिक कारणों से भी सुर्खियों में आए। तब उनके परिवार को उनकी रुचि राजनीति में भी होने की जानकारी मिली, जिसके फलस्वरूप उन्हें शिवसेना में पहली बार युवा इकाई का प्रमुख बनाया गया। इसके बाद आदित्य ठाकरे दादा बाल ठाकरे और पिता उद्धव ठाकरे के साथ यदा-कदा राजनीतिक सभाओं के मंच पर भी नजर आने लगे। शुरुआत में उनकी रुचि मुंबई से संबंधित समस्याओं और विषयों में ही ज्यादा रही।

...और सियासत में इस तरह बढ़ती गई रुचि

मुंबई के प्रमुख इलाकों में दुकानें और मॉल रातभर खुले रखने का विचार आदित्य ठाकरे के ही दिमाग की उपज था। इसके कुछ प्रयोग किए भी गए, लेकिन यह अभी पूरी तरह फलीभूत नहीं हो सका है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ आदित्य की राजनीति में रुचि बढ़ती गई। वह 2008 से ही महाराष्ट्र में हो रहे लोकसभा, विधानसभा और महानगरपालिका के चुनाव न सिर्फ देखते आ रहे हैं, बल्कि पिछले 50 वर्ष से सूबे की राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहे अपने पैतृक आवास ‘मातोश्री’ में चलने वाली राजनीतिक चर्चाओं को भी ध्यान से सुनते रहे हैं। इन चर्चाओं ने आदित्य ठाकरे को और परिपक्वता प्रदान की।

फ्रंट फुट पर खेलने का भरा दम

साल 2019 के लोकसभा और अब विधानसभा चुनाव आते-आते तो आदित्य का आत्मविश्वास इतना बढ़ चुका था कि अब वह पिता उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर शिवसेना में एक और एक 11 की भूमिका निभाने को तैयार हो चुके थे। इसी आत्मविश्वास ने उन्हें दादा और पिता द्वारा अब तक रिमोट कंट्रोल से राजनीति करने के विपरीत फ्रंट फुट पर खेलने को प्रेरित किया और उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। हालांकि, उनके पिता उद्धव ठाकरे कहते हैं कि राजनीति में पहला कदम रखने का मतलब यह नहीं होता कि सीधे मुख्यमंत्री ही बना जाए। अभी तो आदित्य के मन में सुजलाम-सुफलाम महाराष्ट्र का सपना है, लेकिन यह भी सच है कि परिवारवाद के आदी हिंदुस्तान में आदित्य को शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा है। कोई ताज्जुब नहीं होगा यदि चुनाव बाद वह गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री की भूमिका निभाते दिखाई पड़ें। 


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