सवर्ण आंदोलन से होने वाले नुकसान को कम करने की कोशिश में जुटा संघ
संघ अपने जनसंपर्क में लोगों से अपील कर रहा है कि जातिगत आधार पर मतदान न करें।
सौरभ खंडेलवाल, भोपाल। सवर्ण आंदोलन से होने वाले नुकसान को भांपकर अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इसकी काट तैयार करने में जुट गया है। इस बार रणनीतिक रूप से भी चुनाव की कमान संघ के पास ही है। सवर्ण आंदोलन के बाद संघ ने मैदान पर इसका असर कम करने के लिए जगजागरण अभियान और जनसंपर्क शुरू कर दिया है।
संघ अपने जनसंपर्क में लोगों से अपील कर रहा है कि जातिगत आधार पर मतदान न करें। दरअसल, संघ को इस बात का डर है कि सपाक्स पार्टी बनने और एट्रोसिटी एक्ट के विरोध से उपजे सवर्ण आंदोलन के कारण नाराज सवर्ण यदि चुनाव में भी भाजपा के खिलाफ खड़े हुए तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसी नुकसान को कम करने के लिए संघ ने इस तरह का जगजागरण अभियान छेड़ा है।
संघ जनसंपर्क के दौरान कुछ पर्चे भी लोगों के बीच बांट रहा है। इसमें अपील की जा रही है कि समाज को तोड़ने के लिए जातिगत आंदोलन का षड्यंत्र रचा है। इस षड्यंत्र का हिस्सा न बनें। शहरी नक्सलियों और राजनैतिक पार्टियों के षड्यंत्रों के कारण पूरे देश में जातिगत वैमनस्यता फैली है। अलग-अलग राज्यों में आरक्षण बढ़ाने और घटाने के नाम पर दंगे करवाए जा रहे हैं। इसलिए जाति के आधार पर मतदान न करें और राष्ट्रीय विषयों को ध्यान में रखकर मतदान करें।
नोटा पर मतदान न करने की भी अपील
संघ आम लोगों से नोटा पर मतदान न करने की भी अपील कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक संघ को अंदेशा है कि नोटा पर वोट देने का अभियान भाजपा को ही नुकसान पहुंचा सकता है। संघ जनसंपर्क में कह रहा है कि नोटा पर मतदान करने से सबसे अयोग्य व्यक्ति चुन लिया जाएगा और आपका वोट व्यर्थ हो जाएगा। गौरतलब है कि नोटा पर वोट देने का अभियान सवर्ण आंदोलन के दौरान की ही उपज है। ज्यादातर सवर्णों के वोट भाजपा को मिलते हैं। यह वोट यदि नोटा को जाते हैं तो इसका सीधा नुकसान भाजपा को होगा।
मंदिर की बजाय 'भारत तेरे टुकड़े होंगे'
संघ के जनजागरण अभियान में इस बार अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा कहीं नहीं है। संघ द्वारा बांटे गए पर्चे में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे" का नारा लगाने वाले लोगों को ही निशाना बनाया गया है। इस पर्चे में कहा जा रहा है कि देश विरोधी ताकतें और कुछ एनजीओ आदिवासियों को बरगला रहे हैं कि वह हिंदू नहीं है, जबकि उनके भगवान बिरसा मुंडा हिंदू ही थे। इसके अलावा द्रविड़, आर्य विवाद भी इसमें शामिल किया गया है।
षड्यंत्रकारियों को सफल नहीं होने देंगे
मप्र के समाज की सज्जन शक्ति सामाजिक सांस्कृतिक संगठन समाज को एक बनाए रखने में जुटे हैं, जुटना ही चाहिए। समाज को बांटने वाली षड्यंत्रकारी शक्तियों को हम किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे। सशक्तीकरण सबका, तुष्टीकरण किसी का नहीं, यही हमारी सोच है और कार्यप्रणली है। समाज को जोड़ने वाले सभी प्रयासों का हम स्वागत करते हैं।
- रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा