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MP Election Result 2018: गेमचेंजर बना दस दिन में दो लाख तक कर्जमाफी का मुद्दा

MP Election Result 2018: भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के कारण उठाना पड़ा।

By Prashant PandeyEdited By: Published: Wed, 12 Dec 2018 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 12 Dec 2018 08:59 AM (IST)
MP Election Result 2018: गेमचेंजर बना दस दिन में दो लाख तक कर्जमाफी का मुद्दा
MP Election Result 2018: गेमचेंजर बना दस दिन में दो लाख तक कर्जमाफी का मुद्दा

भोपाल, नईदुनिया स्टेट ब्यूरो। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छह जून 2018 को मंदसौर किसान गोलीकांड की बरसी पर एलान किया था कि मध्य प्रदेश में सरकार बनते ही कांग्रेस दस दिन में किसानों के दो लाख तक के कर्ज माफ कर देगी। यही मुद्दा 15 साल से वनवास भोग रही कांग्रेस के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। किसानों को साधने के लिए भाजपा ने भी अंतिम क्षणों में कर्जमाफी का रास्ता निकालने का एलान किया पर वह किसानों को रास नहीं आया। चुनाव में किसानों की एकतरफा वोटिंग के चलते ही कांग्रेस बहुमत के नजदीक पहुंचने में सफल रही। विधानसभा चुनाव में भाजपा की घेराबंदी का काम जिसने किया, वह नारा था 'कांग्रेस का कहना साफ, दस दिन में हर किसान का कर्जा माफ'। इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी की ओर से किसी भी किसान को कर्जदार नहीं रहने देने का एलान किया गया।

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परोक्ष रूप से कर्जमाफी का वादा भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया, लेकिन वह किसानों को रास नहीं आया। आमतौर पर सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हर सभा में प्रदेश में किसानों को एक साल में बांटे गए 32 हजार 100 करोड़ रुपए की रकम का हवाला देकर भाजपा के पक्ष में वोट देने की अपील की पर भाजपा का कोई भी दांव किसानों को डिगा नहीं पाया।

एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट और 'माई के लाल' जैसे बयान भारी पड़े : भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन के कारण उठाना पड़ा। चंबल और ग्वालियर में भाजपा की करारी पराजय का एकमात्र कारण यही बना। दो अप्रैल 2018 को अनुसूचित जाति-जनजाति के भारत बंद के दौरान इस इलाके में आठ लोग मारे गए थे, तभी यह तय हो गया था कि भाजपा को यह मुद्दा भारी पड़ेगा। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पदोन्नति में आरक्षण पर दिया गया बयान 'कोई माई का लाल एससी-एसटी से पदोन्नति में आरक्षण छीन नहीं सकता' ने भाजपा को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया। इससे सवर्ण और ओबीसी दोनों ही वर्ग के कर्मचारियों में नाराजगी थी। कर्मचारी वोट बैंक ने भी भाजपा सरकार के पक्ष में वोट नहीं किया।  


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