MP Chunav 2018: नदी किनारे बसा ये शहर तरसता है बूंद-बूंद को, मुख्य मुद्दा पानी
MP Chunav 2018: देखरेख और उपेक्षा के चलते बुरहानपुर की ताप्ती नदी इलाके में अपना आस्तित्व खोती जा रही है।
बुरहानपुर। नर्मदा को मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी कहा जाता है, लेकिन प्रदेश में अन्य नदियां भी हैं जो प्रवाहमान हैं। खास बात ये है कि ये नदियां इन संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनावी मुद्दा भी हैं। इसी कड़ी में बुरहानपुर की ताप्ती नदी भी क्षेत्र के लिए बड़ा मुद्दा है। कारण ये है कि नदी किनारे होने के बाद भी बुरहानपुर और आसपास का क्षेत्र जलसंकट से जुझता रहा है।
देखरेख और उपेक्षा के चलते बुरहानपुर की ताप्ती नदी इलाके में अपना आस्तित्व खोती जा रही है। हर बार, हर स्तर के चुनावों में ताप्ती नदी मुद्दा रहा है लेकिन प्रत्याशी जीतने के बाद न तो पलटकर नदी के पानी को देखते हैं और न ही यहां के दुर्दशा का शिकार घाटों को। नदी होने के बाद भी बुरहानपुर की लाखों की आबादी ट्यूबवेल के पानी पर आश्रित है। गर्मियों में ये परेशानी और बढ़ जाती है। पारा जब 50 के नजदीक पहुंचता है तो यहां पानी के लिए हाहाकार मच जाता है। लेकिन जनप्रतिनिधि इस गंभीर मुद्दे के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं।
हर बार की तरह इस बार भी बुरहानपुर में ताप्ती का पानी, पावरलूम बुनकर, किसान और उद्योग ही चुनावी मुद्दा रहा और प्रत्याशियों ने तरह-तरह के वादे भी किए। ताप्ती के पानी को लेकर करीब 150 करोड़ की जलावर्धन योजना सहित हजारों करोड़ की ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना पर भी काम व प्रक्रिया जारी है लेकिन इन परियोजनाओं का लाभ कब यहां के बाशिंदों को मिलेगा ये किसी को नहीं पता। हालांकि भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र जरूर किया है।
प्रत्याशियों ने की रिझाने की पूरी कोशिश
बुरहानपुर में इस बार भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस और कांग्रेस प्रत्याशी रविंद्र महाजन के बीच मुख्य रुप से मुकाबला है। लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्रसिंह ठाकुर ने यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बना दी है। इन सभी प्रत्याशियों ने मतदाताओं को साधने की पूरी कोशिश की है।
सोशल मीडिया के जरिए पहुंचाई बात
भाजपा-कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशियों ने इस बार हाईटेक प्रचार का सहारा लिया। सोशल मीडिया से प्रत्याशियों ने अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचाई। जनसंपर्क सहित चुनावी सभाओं के लाइव कवरेज भी फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया से किए गए। मतदाताओं ने भी इन पर खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रत्याशियों ने जिले के सभी गांवों में जनसंपर्क किया और अब मतदाताओं की बारी है।
विधानसभा पर एक नजर
कुल मतदाता- 2,83,602
पुरुष मतदाता- 1,46,129
महिला मतदाता- 1,35,456
अन्य मतदाता- 17
अब तक के राजनीतिक चुनावी इतिहास पर एक नजर...
वर्ष- जीते- हारे
1951 - अब्दुल कादर, कांग्रेस - फकीरचंद कपूर, पीएसपी
1957 - अब्दुल कादर, कांग्रेस - फकीरचंद कपूर, पीएसपी
1962 - अब्दुल कादर, कांग्रेस - परमानंद ठाकुरदास जनसंघ
1967 - परमानंद गोविंदजीवाला, जनसंघ - मोहम्मद हारुन, कांग्रेस
1972 - ब्रजमोहन मिश्र, जनसंघ - नूर अली, कांग्रेस
1977 - शिवकुमार सिंह, कांग्रेस - जिया उल हक, जेएनसी
1980 - मोहम्मद हारुन, कांग्रेस - मोहम्मद अख्तर, भाजपा
1985 - फिरोजा अली, कांग्रेस - पुरुषोत्तम मुजुमदार, भाजपा
1990 - शिवकुमार सिंह, जद - पूनमचंद्र, निर्दलीय
1993 - उमेश मुनि, निर्दलीय - अमृतलाल तारवाला, भाजपा
1998 - शिवकुमारसिंह निर्दलीय - हमीद काजी, कांग्रेस
1999 - मंजूश्री ठाकुर, कांग्रेस - अब्दुल रब, निर्दलीय
2003 - हमीद काजी, एनसीपी - कैलाश पारीक, भाजपा
2008 - अर्चना चिटनीस, भाजपा - हमीद काजी, एनसीपी
2013 - अर्चना चिटनीस, भाजपा - अजयसिंह रघुवंशी, कांग्रेस