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MP Election 2018: बेरोजगारी ने छीन लिया 18000 लोगों से मतदान का अधिकार

MP Election 2018: श्योपुर के साथ ही विजयपुर विधानसभा का भी ऐसा ही हाल है। यहां के युवा भी नौकरी के चक्कर में इलाका छोड़ चुके हैं।

By Saurabh MishraEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 06:43 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 06:43 PM (IST)
MP Election 2018: बेरोजगारी ने छीन लिया 18000 लोगों से मतदान का अधिकार

हरिओम गौड़, श्योपुर। श्योपुर से सटे मठेपुरा गांव निवासी राजेश माहौर को राजनीति में थोड़ी-बहुत रुचि है। वह इस बार विधानसभा चुनाव में वोट डालने की पूरी इच्छा रखते हैं, लेकिन परिवार के भरण-पोषण की जद्दोजहद में वह इस बार मतदान नहीं कर पाएंगे। कारण यह है कि बेरोजगारी से परेशान राजेश माहौर रोजी-रोटी की तलाश में पूरे परिवार को लेकर राजस्थान के कोटा चले गए हैं।

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राजेश माहौर तो केवल उदाहरण मात्र है। जिले की दोनों विधानसभा श्योपुर व विजयपुर में कम से कम 18 हजार लोग हैं, जो रोजगार की तलाश में महानगरों में पलायन कर गए हैं। एक हजार से ज्यादा युवा तो रोजगार की जद्दोजहद में देश की सीमा से बाहर खाड़ी देशों तक जा पहुंचे हैं।

पलायन करके महानगर और विदेशों तक जा पहुंचे हजारों लोग विधायक चुनने के लिए 28 नवंबर को वोट डालना चाहते हैं। निर्वाचन आयोग ने विदेशों में रहे रहे कर्मचारियों की वोटिंग की सुविधा तो की है, लेकिन रोजी-रोटी के लिए पलायन कर गए हजारों लोगों के मतदान की कोई सुविधा अब तक देश में नहीं हो पाई है। 

कराहल-विजयपुर में पलायन ज्यादा

पलायन का असर विजयपुर विधानसभा में ज्यादा है। एक अनुमान के हिसाब से आदिवासी बाहुल्य कराहल ब्लॉक से करीबन 7 हजार लोग रोजगार के लिए ग्वालियर, शिवपुरी, कोटा, जयपुर और बैंगलुरु तक पलायन कर गए हैं। उधर विजयपुर के अगरा, ऊमरी क्षेत्र से कम से कम 3 हजार आदिवासी पलायन कर चुके हैं। आदिवासी ही नहीं इस क्षेत्र में पढ़ाई पूरी करने के बाद 4 हजार से ज्यादा युवा जन्मभूमि छोड़कर महानगरों का रुख कर जाते हैं।

पलायन के दर्द से श्योपुर विधानसभा भी इतर नहीं है। जिला मुख्यालय के ही एक हजार से ज्यादा युवा रोजगार की तलाश की देश की सरहद पार कर खाड़ी देशों तक जा पहुंचे हैं। इसके अलावा बड़ौदा, मानपुर, ढोढर क्षेत्र से हजारों गरीब परिवार पलायन करके राजस्थान के शहरों में जा बसे हैं।

दो हजार से ज्यादा छात्र नहीं दे पाएंगे वोट

श्योपुर जिले में उच्च शिक्षा और नौकरी मुहैया कराने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं का कोई माध्यम नहीं। इसका परिणाम यह है कि जिले में पढ़ाई के नाम पर छात्रों का पलायन बढ़ता जा रहा है। श्योपुर क्षेत्र के युवा इंदौर के अलावा कोटा, जयपुर, माधौपुर में जाकर पढ़ाई करते हैं, तो कराहल, विजयपुर और वीरपुर क्षेत्र के छात्र पढ़ाई के लिए ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी व इंदौर तक जाते हैं। एक अनुमान के हिसाब से जिले में 02 हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई के लिए महानगरों में हैं।

उद्योगों पर लगे ताले

श्योपुर जिले में कहीं भी ऐसा कोई उद्योग नहीं है जो 20 युवाओं को भी रोजगार दे पाए। श्योपुर में एक इंडस्ट्री एरिया 20 साल पहले से विकसित है, लेकिन उसमें से अधिकांश इंडस्ट्री पर ताला लगा है। इसके अलावा तीन नए इंडस्ट्रीयल एरिया विकसित करने की कवायद पांच साल से चल रही हैं। विजयपुर क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्लांट की तीन इकाइयां आई, लेकिन दो सौर ऊर्जा प्लांट अब तक नहीं लगे हैं। इन दोनों के नाम अब भी जिला प्रशासन के रिकॉर्ड में हजारों हेक्टेयर जमीन दर्ज है।

घर और जमीन बदहाल

घर छोड़ना किसे पसंद है। हम तो पढ़े-लिखे भी नहीं, जो शहर में जाकर नौकरी कर लें। अगर जिले में ही पर्याप्त मजदूरी मिलती तो हम अपना घर क्यों छोड़कर आते। गांव में घर और जमीन है वह भी बदहाल पड़ी है।

-श्रीनिवास कुशवाह, बैंगलोर में रह रहा विजयपुर का युवा

हजारों करते हैं पलायन

यह बात सही है कि रोजगार के संकट के कारण विजयपुर-कराहल में पलायन होता है। अभी भी 10 हजार से ज्यादा आदिवासी मजदूरी के लिए शहरों में चले गए हैं। जिस कारण ये लोग मतदान से वंचित हो जाते है।

-सीताराम आदिवासी निवासी विजयपुर  


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