MP Election 2018: दिव्यांग वोटरों को बनाया 'सक्षम', अब आयोग ने मांगी ये जानकारी
MP Election 2018 - 72 दिव्यांग कर्मचारियों की डयूटी इसमें लगाई गई। इन लोगों ने ही 18 बूथों पर बिना किसी बाधा के मतदान कराकर दिखा दिया।
ग्वालियर। प्रदेश में सबसे ज्यादा सक्षम बूथ बनाकर दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों से मतदान प्रक्रिया पूरी कराने के साथ अब ऐसे मतदान दलों का डॉक्यूमेंटेशन पहली बार निर्वाचन आयोग को जाएगा। ग्वालियर की 6 विधानसभाओं में बनाए गए 18 सक्षम बूथों के मतदान दलों से चार सवाल पूछे जाएंगे। इन चार सवालों के जवाबों का फार्मेट वाला डॉक्यूमेंट भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।
वहीं इस बार सक्षम बूथ बनाने और दिव्यांग, बेसहारा, असहाय मतदाताओं को वोटिंग में शामिल करने का होमवर्क काम आया है। जिले में डबरा देहात में दिव्यांग वोटर का वोटिंग प्रतिशत 97 प्रतिशत रहा है। वहीं ग्वालियर जिले में 7600 दिव्यांग मतदाताओं में 5 हजार से ज्यादा ने वोट दिया है।
विधानसभा निर्वाचन-2018 में इस बार पहली बार दिव्यांग मतदाताओं पर भारत निर्वाचन आयोग ने फोकस किया है। मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए यह पूरी कवायद की गई है। दिव्यांग मतदातों का वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने से लेकर जिले के दिव्यांग अधिकारी-कर्मचारी को मतदान दलों में जिम्मेदारी दी गई। 72 दिव्यांग कर्मचारियों की डयूटी इसमें लगाई गई। इन लोगों ने ही 18 बूथों पर बिना किसी बाधा के मतदान कराकर दिखा दिया।
इन 4 सवालों के जवाब जाएंगे आयोग
सक्षम मतदान दलों के अधिकारी-कर्मचारियों से मतदान के बाद सामान लौटाने के बाद चार सवालों का फार्मेट दिया गया। इसमें पहले सवाल में यह पूछा गया है कि सक्षम बूथ बनाने और उसमें मतदान कराने का आपका अनुभव कैसा रहा। दूसरे सवाल में यह पूछा है कि सुविधाएं और सारी व्यवस्थाएं आपके नजरिए में कैसी रहीं। तीसरा सवाल यह कि कोई विशेष बात बताएं, जो सक्षम बूथ को लेकर हो। वहीं चौथा सवाल सुधार को लेकर होगा जिसमें यह पूछा गया है कि भविष्य के लिए आपकी ओर से और क्या बेहतर चेंज या सुधार हो सकता है। इन सभी सवालों के जवाब आयोग को जाएंगे।
इस आंकड़े से फीलगुड
जिले में कुल 7600 करीब दिव्यांग मतदाताओं को चिन्हित किया गया जिसमें 5 हजार से ज्यादा दिव्यांग वोटर ने वोट डाला है। इनके लिए वॉलेंटियर, वाहन व्यवस्था सहित विभिन्न नवाचार किए गए थे। वहीं 72 दिव्यांग अधिकारी-कर्मचारी की डयूटी सक्षक बूथों पर लगाई गई थी, जिसमें सिर्फ एक ही दिव्यांग कर्मचारी ने अतिआवश्यक स्वास्थ्य परिस्थिति आने पर अपनी डयूटी कैंसिल कराई। इसके अलावा किसी भी एक दिव्यांग कर्मचारी ने अपनी डयूटी हटवाने को आवेदन तक नहीं किया।
अभी तक रडार पर ही नहीं थे दिव्यांग वोटर
दिव्यांग वोटरों का अभी तक कोई अता पता हीं नहीं था। इससे पहले हुए किसी भी चुनाव में दिव्यांग वोटरों का कोई डाटा सुरक्षित नहीं किया गया। वे वोट डाल रहे हैं या नहीं, उनके वोटर कार्ड बने हैं या नहीं, कोई वास्ता नहीं रखा जाता था। अब पहली बार दिव्यांग वोटरों को ट्रैक किया गया और दिव्यांग अधिकारी और कर्मचारियों को यह अहसास दिलाया गया कि वे किसी से कम नहीं हैं। चुनाव जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में भी वे बराबर के भागीदार हैं।
दिव्यांग वोटर आगे आए
जिले में पहली बार दिव्यांग वोटरों का आंकड़ा सामने आया है। वहीं सक्षम बूथ में लगे दिव्यांग मतदान दलों का डाक्यूमेंटेशन तैयार किया जा रहा है जिसमें 4 सवालों के जवाब लिए जा रहे हैं। आयोग और निवार्चन अधिकारी के निर्देशन में जिले में 5 हजार से ज्यादा दिव्यांग वोटर बूथ तक पहुंचे।
-राजीव सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, ग्वालियर