MP Election 2018: भाजपा के गढ़ में त्रिकोणीय संघर्ष से रोचक हुए मुकाबले
MP Election 2018: यहां के मतदाताओं ने कभी चेहरों को देखकर वोट दिए तो कभी पार्टी या विकास के मुद्दों पर।
शाजापुर, ईश्वरसिंह परमार नईदुनिया। बीते 66 साल के चुनावी इतिहास में शाजापुर-आगर जिले की पांचों सीटों पर कई बार रोचक मुकाबलों की स्थिति बनती रही। यहां के मतदाताओं ने कभी चेहरों को देखकर वोट दिए तो कभी पार्टी या विकास के मुद्दों पर।
1952 से 2013 के बीच कुल 14 चुनाव हो चुके हैं। सिर्फ एक बार आगर सीट पर ही उपचुनाव की नौबत बनी। शाजापुर सीट पर कांग्रेस ने 14 में से आठ चुनाव जीते तो भाजपा को छह में जीत हासिल हुई। शुजालपुर सीट पर भाजपा ने आठ तो कांग्रेस ने छह बार जीत हासिल की, जबकि आगर सीट पर उपचुनाव सहित हुए 15 चुनाव में भाजपा ने 11 बार जीत हासिल की। पैराशूट से उतरे उम्मीदवार भी अच्छे वोटों से जीते। ठीक यही स्थिति सुसनेर विधानसभा सीट पर भी देखने को मिली। 'बाहरी" का तमगा होने के बावजूद कुछ भाजपा नेता अच्छे वोटों से जीतने में सफल रहे।
2013 तक हुए 14 चुनाव में सुसनेर सीट से जनता ने भाजपा को 10 बार जिताया तो चार बार कांग्रेस जीत पाई। 2008 से पहले गुलाना और फिर कालापीपल हो चुकी इस सीट पर 12 चुनाव में आठ बार भाजपा जीती, जबकि चार बार कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस सीट पर 1962 में पहला चुनाव हुआ था।
ये रही सीटों पर जीत-हार की स्थिति
विधानसभा सीट भाजपा कांग्रेस
शाजापुर 06 08
शुजालपुर 08 06
कालापीपल 08 04
आगर 11 04
सुसनेर 10 04
(नोट - 2014 में आगर में उपचुनाव, 2008 तक कालापीपल गुलाना सीट रही थी।)
इस बार जुदा हालात...
सभी सीटों पर कांटे की टक्कर
बीते चुनावों में भले ही जो भी स्थिति रही लेकि न इस बार हालात जुदा हैं। त्रिकोणीय मुकाबले भी हैं। शाजापुर सीट पर भाजपा की मुश्किलें उसी के बागी जेपी मंडलोई ने बढ़ा रखी हैं। वहीं, सुसनेर से कांग्रेस की मुश्किलें कांग्रेस के ही राणा विक्रमसिंह बढ़ा रहे हैं। दोनों ही नेता निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी, सपाक्स पार्टी, बसपा, बहुजन संघर्ष दल, शिवसेना आदि दल भी मैदान में हैं।