MP Election 2018 : सोशल मीडिया से भी लोगों तक पहुंच रहे प्रत्याशी
MP Election 2018 : निर्दलीय प्रत्याशी भी इसे अपना हथियार बना रहे हैं।
जबलपुर। सोशल मीडिया ने विधानसभा चुनाव को हाईटेक बना दिया है। प्रत्याशी जितने सक्रिय मैदान में हैं उतनी ही सक्रियता सोशल मीडिया पर भी दिखा रहे हैं। प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार से लेकर हर गतिविधि को फेसबुक और व्हाट्सएप पर डाला जा रहा है। कांग्रेस-भाजपा ने इसके लिए आईटी-सेल बनाया हुआ है। वार-रूम में विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है।
इनमें कुछ तो पार्टी के ही युवा सदस्य हैं, लेकिन कुछ बाहर से लाए हुए विशेषज्ञ हैं। इनको मानदेय भी दिया जा रहा है। यह विशेषज्ञ बाकायदा प्लान तैयार करके बता रहे हैं कि किस तरह से हर दिन के इवेंट का कवरेज तैयार किया जाएगा। यही नहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। वह भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
इस तरह काम कर रहे
-पक्ष-विपक्ष की पार्टियां एक दूसरे के विरोध में सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
-भाजपा अपने उन काम को सोशल मीडिया पर दिखा रही है जोकि विकास से जुड़े हुए हैं।
- कांग्रेस भाजपा के विरोध में सोशल मीडिया पर सक्रिय है।
- प्रत्याशी अपने क्षेत्र में जो विकास कार्य करेंगे, उसके बारे में फेसबुक पर मैसेज डाल रहे हैं।
-मतदाताओं से जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशी का लाइव कवरेज भी किया जा रहा है। प्रत्याशी का आईटी सेल इसके लिए तैयारी करता है।
समानान्तर प्रचार
इस बार चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के साथ निर्दलीय प्रत्याशी समानान्तर प्रचार पर अधिक जोर डाल रहे हैं। सोशल मीडिया को इसके लिए हथियार बनाया हुआ है।
बना रहे प्रत्याशी की इमेज
पार्टियों का आईटी सेल प्रत्याशी की इमेज बनाने का काम भी कर रहा है। इसके लिए प्रत्याशी की फोटो के साथ उसके द्वारा किए गए जनहित के कार्यों की फिल्म भी यह बना रहे हैं। प्रत्याशियों ने अपना फेसबुक पेज भी बनाया हुआ है। इसकी भी मॉनीटरिंग की जा रही है। भोपाल में कांग्रेस और भाजपा के आईटी सेल इसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
यह भी हो रहा
प्रत्याशियों ने अपने आईटी सेल के विशेषज्ञ अपने विरोधियों के बीच भी चुनाव प्रचार में शामिल कर दिए हैं। यह ऐसे चेहरे हैं यदि क्षेत्र में इनका विरोध होता है तो यह इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। इसमें वह यह दिखाना चाह रहे हैं कि पार्टी का प्रत्याशी जनता को पसंद नहीं है। कुछ प्रत्याशियों के अपने ही विरोध में उतर आए हैं, इनमें वह शामिल हैं, जिनकी उस क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा थी।
वह मैदान में कूदने से मान तो गए हैं, लेकिन डिजिटल विरोध करने का मौका यदि कहीं मिलता है तो इसके लिए बाकायदा वह इशारा कर देते हैं, लेकिन खुद सामने नहीं आ रहे हैं।