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MP Election 2018: चुनाव आते ही गायब हो गए विरोध करने वाले सवर्ण समाज के नेता

Madhya Pradesh Elections 2018 विरोध करने वाले अधिकांश अब नेताओं के दरवाजों पर खड़े हैं और भाजपा या कांग्रेस के लिए वोट मांगते दिख रहे हैं।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 08:52 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 08:52 PM (IST)
MP Election 2018: चुनाव आते ही गायब हो गए विरोध करने वाले सवर्ण समाज के नेता
MP Election 2018: चुनाव आते ही गायब हो गए विरोध करने वाले सवर्ण समाज के नेता

श्योपुर, हरिओम गौड़। विधानसभा चुनाव आते ही सवर्ण आंदोलन की हवा निकल चुकी है। दो महीने पहले तक सवर्ण समाज के जिन लोगों ने अपनी दुकान या घर पर राजनीतिज्ञों के न आने के नोटिस चिपकाए थे  उनमें से अधिकांश अब नेताओं के दरवाजों पर खड़े हैं और भाजपा या कांग्रेस के लिए वोट मांगते दिख रहे हैं।

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सवर्ण आंदोलन के जो कार्यकर्ता भाजपा-कांग्रेस नेताओं को काले झंडे दिखा रहे थे वही अब भाजपा-कांग्रेस के झंडों को उठाकर नेताओं के लिए भीड़ बढ़ा रहे हैं। हालत यह है कि, न तो नोटा के समर्थन के बोर्ड दिख रहे हैं न ही सवर्ण आंदोलन के नेता। जिन दुकान व घरों के सामने नोटा के समर्थन में बैनर व बोर्ड लगाए गए थे वह विधानसभा चुनाव शुरू होते ही ऐसे गायब हो गए जैसे गधे के सर से सींग।

गौरतलब है कि, जातिगत आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट के संशोधन बिल के खिलाफ चंबल संभाग में सबसे पहले श्योपुर शहर में सवर्ण आंदोलन ने जोर पकड़ा था। अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में सवर्ण समाज के सैकड़ों लोगों ने अपनी दुकान व घरों के आगे नोटिस चिपका दिए जिनमें 'मैं सामान्य वर्ग से हूं, राजनैतिक दल वोट मांगकर शर्मिंदा न करें" लिखा हुआ था और सबसे नींचे 'वोट फोर नोटा" की अपील लिखी हुई थी। यह आंदोलन इतना जोर पकड़ा कि, भाजपा कांग्रेस के नेताओं ने सामूहिक कार्यक्रमों में आना-जाना बंद कर दिया था।

आंदोलन के लिए सवर्ण एवं पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति बनाई गई जिसकी हफ्ते में एक-दो बार बैठकें होती जिनमें सैकड़ों सवर्ण नेता पहुंचकर तरह-तरह के सुझाव देकर भाजपा-कांग्रेस के बहिष्कार का प्रण लेते थे। लेकिन, चुनाव शुरू होते ही न तो यह बैठकें हो रही हैं नहीं राजनीति का वहिष्कार करने वाले सवर्ण नेता कहीं नजर आ रहे हैं।

गौरतलब है कि, इन्हीं सवर्ण नेताओं के डर से सांसद अनूप मिश्रा ने दो महीने के बीच में चार बार अपने दौरे रद्द किए थे। सवर्ण आंदोलन के कर्ताधर्ताओं ने एक दिन के लिए पूरा जिला बंद करा दिया था। उस समय ऐसा लग रहा था कि, सवर्ण आंदोलन से नई क्रांति आने वाली है लेकिन, जैसे ही विधानसभा चुनाव शुरू हुए तो सवर्ण आंदोलकारी एवं नोटा का समर्थन सब-कुछ गायब हो गया।

इनका कहना है

समिति में जो लोग सक्रिय थे उनमें से कई ने अपने मतलब सिद्ध कर लिए अब कोई इस मामले में बात भी नहीं करता। तब तो नपा अध्यक्ष भी हमारे साथ थे लेकिन, अब तो वह भी कोई चर्चा नहीं करते। हां सही है कि, सभी सुस्त पड़ गए हैं - मदन गर्ग, अध्यक्ष, सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग संघर्ष समिति श्योपुर


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