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Madhya Pradesh Chunav 2018: हीरा नगरी में उलझे हैं समीकरण, सभी आशंकित

MP Election 2018: यहां भाजपा-कांग्रेस के सामने सपा, बसपा और आप के उम्मीदवारों की मौजूदगी में मुकाबले बहुकोणीय हो गए हैं।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 01:05 PM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 01:05 PM (IST)
Madhya Pradesh Chunav 2018: हीरा नगरी में उलझे हैं समीकरण, सभी आशंकित

पन्ना। मध्यप्रदेश की हीरा नगरी के रुप में पहचानी जाने वाले पन्ना में इस बार कई समीकरण बदले हैं। इससे जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांटे की टक्कर हो गई है। भाजपा ने जहां वरिष्ठ नेत्री और मंत्री कुसुम मेहदले का टिकट काटकर पुराने हारे हुए प्रत्याशी को वोट दिया वहीं कांग्रेस के दिग्गज मुकेश नायक के सामने लोधी समाज के काफी वोटों को देखते हुए भाजपा ने प्रहलाद लोधी को उतारा। दरअसल यहां भाजपा-कांग्रेस के सामने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आप पार्टी के उम्मीदवारों की मौजूदगी में मुकाबले बहुकोणीय हो गए हैं। अब मतदाताओं का आशीर्वाद किसे मिलता है ये तो 11 दिसंबर को ही पता चलेगा।

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पन्ना जिले में 3 विधानसभा सीट पन्ना, गुन्नौर एवं पवई हैं। पन्ना में अपना पिछला चुनाव हारे ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया। यहां भाजपा ने वरिष्ठ नेत्री व मंत्री कुसुम मेहदेले का टिकट काटने से उन्हें प्रचार के दौरान स्थानीय नेताओं के असंतोष और भितरघात जैसी स्थिति से जुझना पड़ा। उनके सामने कांग्रेस के शिवजीत सिंह 'भैया राजा' की चुनौती हैं। पर बसपा की अनुपमा चरणसिंह यादव के मैदान में होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। पन्ना सीट अजयगढ़ घाटी के ऊपर और नीचे तक फैली है। घाटी के नीचे मतदाताओं की प्रकृति अलग है। 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन अनुपमा के पति खनन कारोबारी चरणसिंह यादव के चुनावी मैनेजमेंट ने दोनों प्रमुख दलों को चिंता में डाले रखा है। बहरहाल यहां लोधी, कुरमी, ब्राह्मण, यादव, अजा एवं अन्य समाजों के काफी मतदाता हैं और चुनाव का परिणाम उनके झुकाव पर निर्भर करेगा।

इधर पन्ना की पवई सीट पर भी रोचक मुकाबला है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज मुकेश नायक के सामने भाजपा ने लोधी कार्ड खेलते हुए पैराशूट प्रत्याशी प्रहलाद लोधी को उतारा है.. जाहिर है भाजपा को उम्मीद है कि उसे यहां काफी संख्या में मौजूद लोधी समाज के वोट मिलेंगे। पवई में कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी बागी अनिल तिवारी है। इसकी काट के लिए मुकेश नायक ने कुरमी और लोधी समाज में घुसपैठ की कोशिशें की, लेकिन इसमें वे कितना सफल हो पाए ये कहना मुश्किल है। इसी तरह की स्थिति भाजपा प्रत्याशी को लेकर भी है। क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मानता है कि भाजपा के पास बेहतर विकल्प था, बावजूद इसके प्रहलाद लोधी को मौका दिया गया। इधर सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी के चलते यहां बहुकोणीय मुकाबला है। जिले में गरीबी, पलायन, बेरोजगारी और दम तोड़ती हीरा-पत्थर खदानों का मुद्दा अहम है और प्रत्याशियों ने इन्हें ही फोकस कर जनता से वादे किए हैं। 

गुन्नौर में सिर्फ 4 उम्मीदवार

गुन्नौर सीट पर केवल 4 प्रत्याशी मैदान में हैं, जो पूरे प्रदेश में सबसे कम हैं। यहां से भाजपा से पूर्व विधायक राजेश वर्मा, कांग्रेस ने शिवदयाल बागड़ी को मैदान में उतारा है। इसके अलावा जीवन लाल सिद्धार्थ (बसपा) और  खिलावन प्रसाद उर्फ खिल्लू (सपाक्स) भी मैदान में हैं। भाजपा को पूर्व विधायक महेंद्र बागड़ी की नाराजगी भारी पड़ती दिखी। प्रचार में पूरे समय वे गायब दिखे। 

मेहदले नाराज

इधर भाजपा ने परफॉर्मेंस के आधार पर कुसुम मेहदले का टिकट काटा। मेहदले ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। हालांकि उन्हें स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं का साथ नहीं मिला तो वे शांत बैठ गईं। इसके चलते पार्टी को भितरघात की आशंका भी सता रही है।

राज परिवार का असर नहीं

एक समय क्षेत्र में राजनीति पर पन्ना राजघराने का काफी प्रभाव था, लेकिन विवादों में घिरने के बाद राजघराने का असर लगातार कम हो गया। आलम ये है कि इन चुनावों में ये असर कहीं नजर ही नहीं आया। 2013 के चुनाव के दौरान महारानी जीतेश्वरी देवी जिले से लेकर भाजपा मुख्यालय तक सक्रिय रहीं लेकिन लंबे समय वे दिल्ली में हैं, ऐसे में सियासत में राजघराने का कोई वजन नहीं रहा।


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