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MP Chunav 2018: ग्वालियर-चंबल और विंध्यबुंदेलखंड की सीटें बसपा के निशाने पर, 2013 में बने थे 4 विधायक

Madhya Pradesh Chunav 2018: 2013 के चुनाव में बसपा ने चार सीटें जीती थीं जो रीवा, सतना और मुरैना जिले से हैं।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 08:04 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 08:04 PM (IST)
MP Chunav 2018: ग्वालियर-चंबल और विंध्यबुंदेलखंड की सीटें बसपा के निशाने पर, 2013 में बने थे 4 विधायक

भोपाल, नईदुनिया स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को ग्वालियर-चंबल और विंध्य-बुंदेलखंड से उम्मीदें हैं। पार्टी ने इस बार इन क्षेत्रों पर ही ज्यादा फोकस किया है। 2013 के चुनाव में बसपा ने चार सीटें जीती थीं जो रीवा, सतना और मुरैना जिले से हैं। जबकि 11 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे स्थान पर थे। इनमें से ज्यादातर प्रत्याशी भी इन्हीं इलाकों के थे। बसपा सुप्रीमो मायावती की चुनावी सभाएं इन्हीं जिलों में आयोजित की जा रही हैं।

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बसपा ने दावा किया है कि वह इस बार विधानसभा चुनाव में तीसरी ताकत के रूप में दिखाई देगी। साथ ही सत्ता की चाबी भी उसके पास ही रहेगी। इसके लिए बसपा अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। मध्यभारत और मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भी पार्टी खाता खोलने की जुगत में है। तुलनात्मक रूप से ग्वालियर-चंबल और विंध्य-बुंदेलखंड की सीटें जो उत्तर प्रदेश की सीमा से लगती हैं, वहां पार्टी को ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही है।

कमियां पहले दूर कर लीं

बसपा के प्रदेश प्रभारी रामअचल राजभर का दावा है कि वर्ष 2013 के चुनाव में संगठन और तैयारियों के स्तर पर जो कमियां रह गई थीं, इस बार उन्हें पहले ही दूर कर लिया है। बसपा प्रमुख मायावती 20 नवंबर से मप्र में चुनावी सभाएं संबोधित करने आएंगी। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर सभा की अनुमति आदि की औपचारिकताएं पूरी होना बाकी है।

इन जिलों में आएंगी मायावती

मायावती भोपाल सहित कुल सात-आठ स्थानों पर बसपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार सभाएं करने आएंगी। बसपा ने बालाघाट, मुरैना, भिंड, रीवा, सिंगरोली और पथरिया में उनकी चुनावी सभाओं की तैयारी की है। बसपा को उम्मीद है कि इन इलाकों में उसका जनाधार अच्छा है, इसलिए यहां अच्छे नतीजे मिल सकते हैं।

संभावनाएं तलाश रही बसपा

पिछले चुनाव में बसपा प्रत्याशी श्योपुर, सुमावली, मुरैना, भिंड, महाराजपुर, पन्नाा, रामपुर बघेलान, सेमरिया, देवतालाब, रीवा और कटंगी विधानसभा सीटों पर दूसरे स्थान पर आए थे। इसलिए पार्टी ने इस बार यहां भी जातीय समीकरण साधकर टिकट बांटे हैं। प्रदेश प्रभारी राजभर का दावा है कि उन्हें सभी समाजों का समर्थन मिल रहा है।

जनाधार बढ़ाने में लगी पार्टी

बसपा के साथ कांग्रेस के चुनावी गठबंधन की काफी दिनों तक चर्चा सरगर्म रहने के बाद बसपा ने अलग चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। इसके बाद पार्टी अपना जनाधार और वोटों की संख्या बढ़ाने में लगी है। पिछले चुनाव में डेढ़ दर्जन सीटों पर बसपा तीसरे क्रम पर थी, उनमें भी ज्यादातर सीटें इन्हीं इलाकों से आती हैं।


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