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MP Chunav 2018: सरहद पार सियासत की चर्चा, मलाल यह कि वोट नहीं दे पाएंगे

MP Election 2018: उन्हें मलाल तो है कि वो मतदान नहीं कर पाएंगे, फिर भी इस चुनाव को लेकर वे उत्साहित हैं।

By Rahul.vavikarEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 04:58 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 04:58 PM (IST)
MP Chunav 2018: सरहद पार सियासत की चर्चा, मलाल यह कि वोट नहीं दे पाएंगे
MP Chunav 2018: सरहद पार सियासत की चर्चा, मलाल यह कि वोट नहीं दे पाएंगे

इंदौर, अभिलाषा सक्सेना, नईदुनिया। मप्र की नई सरकार चुनने का समय निकट आता जा रहा है। 28 नवंबर को मतदान है। सभी के बीच चर्चा का केंद्र बिंदु यही है सत्ता किसके हाथ आएगी? यह चर्चा उन युवाओं के बीच भी है जो जॉब या अन्य कारणों से विदेशों में हैं। उन्हें मलाल तो है कि वो मतदान नहीं कर पाएंगे, फिर भी इस चुनाव को लेकर वे उत्साहित हैं। वे वहां से इंदौर या प्रदेश में रह रहे परिवार या दोस्तों से चर्चा कर रहे हैं। नईदुनिया ने ऐसे ही कुछ युवाओं से चर्चा कर यह जानने का प्रयास किया कि मप्र विधानसभा के चुनाव को लेकर वे क्या सोचते हैं।

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चुनाव के बारे में करते हैं बात

मिनियापोलिस सिटी में रहने वाली डेंटिस्ट पलक बोथरा कहती हैं कि भले ही वे इंदौर में नहीं हैं, लेकिन प्रदेश में होने वाले चुनाव के बारे में यहां अपने भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बात होती रहती है। हम सभी यही सोचते हैं कि आगामी चुनाव न सिर्फ मध्यप्रदेश अपितु पूरे देश के लिए अहम होंगे। आगामी चुनाव में सत्तापक्ष के साथ इस बार विपक्ष की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होगी।

लोस का सेमीफाइनल समझें

मलेशिया में हेड ऑफ आईटी फॉर एशिया, फेयरफैक्स एशिया के विक्रम जैन कहते हैं कि उनका राजनीति में काफी रुझान रहा है। इस बार मतदान नहीं कर पाने का अफसोस है। दोस्तों के साथ चर्चा में यही मुद्दा रहता है कि परिणाम क्या होंगे? इस बार के विस चुनाव राजनीतिक और व्यावसायिक दृष्टि से काफी महत्वपूणर््ा हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को भी इसके नतीजे काफी प्रभावित करेंगे।

घर पर भी होती है चुनावी चचा

यूएसए के कोलोरेडो में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल नितिन तिवारी कहते हैं कि मध्यप्रदेश चुनाव के लिए मतदान और फिर उसके नतीजों का यहां रह रहे प्रदेश के सभी लोगों को बेसब्री से इंतजार है। मुझे लगता है कि इस बार मप्र विधानसभा चुनाव में दिलचस्प नतीजे आएंगे। टक्कर इस बार थोड़ी करीबी लगती है। भारत में जब भी परिवार वालों के साथ बात होती है, चुनाव पर जरूर चर्चा होती है।

रोजगार के बढ़ें अवसर

फलाडेल्फिया में टैक्स कंसल्टेंट पंखुड़ी रसाल कहती हैं कि इस समय जब भी कंपनी में काम कर रहे भारतीय दोस्तों से बात होती है, मध्यप्रदेश में हो रहा चुनाव ही मुख्य मुद्दा रहता है। वे इस चुनावी माहौल का जायजा अपने घर पर बात कर के लेते रहते हैं। सरकार किसी भी पार्टी की बने, प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रत्याशी देख मतदान करें

वाशिंगटन डीसी में रह रहीं मनिका निगम कहती हैं कि जब से चुनाव पर चर्चा होनी शुरू हुई है, सभी दोस्तों ने आपस में हर सप्ताह मिलना शुरू कर दिया है। शनिवार के दिन सब मिलते हैं और प्रमुख मुद्दा यही होता है कि इस बार मध्यप्रदेश में किसकी सरकार बनेगी। लोग अपने-अपने विचार रखते हैं। मुझे लगता है कि मतदान सिर्फ पार्टी को देखकर नहीं होना चाहिए अपितु प्रत्याशी के काम को देखकर होना चाहिए।


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