Madhya Pradesh Chunav 2018 : सागर संभाग में बागियों के सहारे मुख्य मुकाबले में आ गईं सपा-बसपा
Madhya Pradesh Chunav 2018 दोनों ही पार्टियां छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों की ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबले में आ गई हैं।
प्रमोद चौबे, सागर। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को कमजोर समझ रहे भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को इनकी रणनीति अंतिम समय तक समझ में ही नहीं आई। शुरुआत से शांत दिख रही बसपा-सपा ने अंतिम समय में खेल कर दिया। भाजपा-कांग्रेस के दमदार बागियों को टिकट देकर ये दोनों ही पार्टियां छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों की ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबले में आ गई हैं।
छतरपुर जिले की राजनगर सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और स्टार प्रचारक सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन चतुर्वेदी सपा प्रत्याशी हैं। मोर्चा सत्यव्रत ने ही संभाल रखा है। उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक विक्रम सिंह से बताया जा रहा है।
भाजपा प्रत्याशी अरविंद पटैरिया को बाहरी प्रत्याशी के तौर पर विरोधी प्रचारित कर रहे हैं। बिजावर सीट पर बतौर कांग्रेस प्रत्याशी दो बार चुनाव हार चुके राजेश शुक्ला का टिकट काटकर कांग्रेस ने शंकर प्रतापसिंह बुंदेला को मैदान में उतारा है।
इससे नाराज होकर राजेश शुक्ला सपा से टिकट ले आए। इससे अब मुख्य मुकाबला सपा और कांग्रेस में हो गया है। मुद्दा यह है कि सिर्फ राजेश शुक्ला को ही स्थानीय प्रत्याशी बताया जा रहा है। महाराजपुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी निवर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह का मुकाबला बसपा के राजेश मेहतो से बताया जा रहा है। राजेश कांग्रेस सेवादल के जिला अध्यक्ष थे।
टिकट नहीं मिला तो सपा का दामन थाम लिया। यहां कांग्रेस ने युवा नेता नीरज दीक्षित को मौका दिया है। चंदला सीट पर नगर पंचायत अध्यक्ष व भाजपा से बागी अनित्या सिंह बागरी को सपा ने मैदान में उतार दिया। अब उनका मुकाबला भाजपा के राजेश प्रजापति से बताया जा रहा है। भाजपा ने यहां विधायक आरडी प्रजापति का टिकट काटकर उनके बेटे राजेश को दिया है।
इसी तरह टीकमगढ़ भाजपा के जिला महामंत्री अनिल बड़कुल चार पदाधिकारियों के साथ कांग्रेस में चले गए हैं। इस सीट से भाजपा के छक्कीलाल कुशवाहा सपा प्रत्याशी बन गए हैं। यहां की खरगापुर सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह को भाजपा ने दोबारा प्रत्याशी बनाया है, जबकि वे पिछला चुनाव हार गए थे। इससे नाराज होकर पूर्व विधायक अजय यादव बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में कूद गए।
वहीं सुरेंद्र सिंह बेबीराजा सपा से टिकट ले आए। जतारा से भाजपा ने पिछला चुनाव हार चुके हरिशंकर खटीक को फिर प्रत्याशी बना दिया, जबकि कांग्रेस ने लोक जनतांत्रिक दल के विक्रम चौधरी को समर्थन दे दिया। भाजपा से नाराज जिला पंचायत सदस्य अनीता खटीक सपा के टिकट पर मैदान में आ गईं तो कांग्रेस के निवर्तमान विधायक दिनेश अहिरवार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
सागर के बागी कांग्रेस नेता जगदीश यादव सपा से टिकट ले आए हैं। वे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी तरह दमोह और पथरिया सीट से भाजपा के पूर्व मंत्री और बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामकृष्ण कुसमारिया ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। वे पिछला चुनाव राजनगर से हार गए थे।
जातिवाद का गणित
टिकट वितरण में भाजपा और कांग्रेस ने जातिवाद का गणित चला है, लेकिन कई स्थानों पर यह गड़बड़ाता नजर आ रहा है। बड़ामलहरा में यादव वोट ज्यादा होने के कारण भाजपा ने ललिता यादव को छतरपुर से बड़ामलहरा भेज दिया। इससे वहां बगावत हो गई। अब दोनों दलों के बागी प्रत्याशी मिलकर सिर्फ एक बागी को मैदान में उतारने पर विचार कर रहे हैं। इससे जातिवाद का गणित फेल हो सकता है।
ललिता यादव की जगह छतरपुर में अर्चना सिंह को टिकट दिया तो वहां का ओबीसी वोटर नाराज होकर कांग्रेस की तरफ जाता दिख रहा है। यहां सत्यव्रत चतुर्वेदी के भाई आलोक चतुर्वेदी कांग्रेस प्रत्याशी हैं। वे पिछला चुनाव 2217 वोट से हारे थे। सागर सीट पर भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों ने जैन को टिकट दिया। इसके बाद ब्राह्मण वोटबैंक निर्दलीय प्रत्याशियों की ओर जाता दिख रहा है।
सुरखी में यादव मतदाताओं की संख्या को देखते हुए भाजपा ने सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के पुत्र सुधीर को टिकट दे दिया, लेकिन यहां यह गणित फिट बैठता नहीं दिख रहा। देवरी में भाजपा ने रतनसिंह को टिकट नहीं दिया तो लोधी मतदाता नाराज हो गए। वहीं कांग्रेस ने लोधी वोटबैंक को देखकर बंडा का टिकट तय किया है, जबकि जाति के गणित में वह बीना में गड़बड़ी कर गई है। दमोह में लोधी वोटबैंक को देखकर ही जयंत मलैया के खिलाफ कांग्रेस ने राहुल सिंह लोधी को टिकट दिया है। यदि कुर्मी मतदाता उनका साथ देते हैं तो मंत्री जयंत मलैया के सामने मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।