मध्य प्रदेश में पहली बार चुनाव में इस्तेमाल होने वाली 700 वीवीपैट ट्रायल में ही खराब
मशीनों में राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न लोड करने के दौरान सेंसर की गडबड़ी सामने आई।
नई दुनिया, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पहली बार इस्तेमाल होने जा रही उच्च तकनीक की वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) ट्रायल में ही लड़खड़ा गई है। मशीनों में राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न लोड करने के दौरान सेंसर की गडबड़ी सामने आई।
वीवीपैट में सात तरह के सेंसर होते हैं जिनमें यह तकनीकी खराबी हुई है। खराब मशीनों के सभी सेंसर काम नहीं कर रहे हैं। ग्वालियर में 101 और संभाग में कुल 700 वीवीपैट के सेंसर खराब हुए हैं। चुनाव को और निष्पक्षता के साथ कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने वीवीपैट मशीन को शामिल किया है। उप जिला निर्वाचन अधिकारी, ग्वालियर आरके पांडेय का कहना है कि सेंसर गड़बड़ी वाली वीवीपैट मशीनों को बेंगलुरु भेजा जाएगा।
क्या है वीवीपैड (VVPAT)
वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) एक तरह की मशीन होती है, जिसे ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। इसका फायदा यह होता है कि जब कोई भी शख्स ईवीएम का इस्तेमाल करते अपना वोट देता है तो इस मशीन में वह उस प्रत्याशी का नाम भी देख सकता है, जिसे उसने वोट दिया है।
क्यों लाई जा रही है ये मशीन?
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद विरोधी पार्टियों ने ईवीएम में गड़बड़ी होने की बात कही थी। यह भी मांग की गई थी कि आगामी चुनावों में वीवीपैड का इस्तेमाल किया जाए। इसके चलते इस मशीन का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है।
इस भाषा में दिखेगा नाम
वीवीपैड मशीन के तहत वोटर विजुअली सात सेकेंड तक यह देख सकेगा कि उसने जो वोट किया है क्या वह मत उसके इच्छानुसार उसके प्रत्याशी को मिला है या नहीं। इस मशीन के जरिए मतदाता को प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह और नाम उसकी ओर से चुनी गई भाषा में दिखाई देगा।