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51 का लक्ष्य लेकर 57 फीसद तक पहुंची भाजपा

भाजपा के कुशल रणनीति ने उसे नगर निगमों के बाद लोकसभा चुनाव में भी ऐतिहासिक जीत दिला दी है। इस जीत के पीछे मोदी की लहर के साथ ही भाजपा की चुनावी रणनीति और उसे जमीन पर उतारने के लिए कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई। पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को मिशन 51 फीसद का लक्ष्य दिया था जिसे हासिल करने के लिए दिल्ली के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की सड़कों पर खूब पसीना बहाया। उसका परिणाम सामने है और इस चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ बड़े अंतर से सातों सीटों पर अपना कब्जा बरकार रखा बल्कि मत फीसद में भी बढ़ोतरी करने में सफल रहा। भाजपा को दिल्ली के चुनावी इतिहास में अबतक सबसे ज्यादा 57 फीसद मत मिले हैं जो कि पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में दस फीसद से भी ज्यादा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 08:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 03:18 AM (IST)
51 का लक्ष्य लेकर 57 फीसद तक पहुंची भाजपा
51 का लक्ष्य लेकर 57 फीसद तक पहुंची भाजपा

संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली

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भाजपा की कुशल रणनीति ने उसे नगर निगमों के बाद लोकसभा चुनाव में भी एतिहासिक जीत दिला दी है। इस जीत के पीछे मोदी की लहर के साथ ही भाजपा की चुनावी रणनीति और उसे जमीन पर उतारने के लिए कार्यकर्ताओं की मेहनत रंग लाई। पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं को मिशन 51 फीसद का लक्ष्य दिया था, जिसे हासिल करने के लिए दिल्ली के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की सड़कों पर खूब पसीना बहाया। उसका परिणाम सामने है और इस चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ बड़े अंतर से सातों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा बल्कि मत फीसद में भी बढ़ोतरी करने में सफल रहा। भाजपा को दिल्ली के चुनावी इतिहास में अबतक सबसे ज्यादा 57 फीसद मत मिले हैं जो कि पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में दस फीसद से भी ज्यादा है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.39 फीसद मत मिले थे जो 2015 के विधानसभा चुनाव में गिरकर 32.78 फीसद पहुंच गया था। मतों में गिरावट होने से पार्टी मात्र तीन सीटों पर सिमट गई थी। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) ने 54.59 फीसद मत हासिल करके 70 में से 67 सीटें जीतने में सफल रही थी। भाजपा नगर निगम चुनाव में अपने मतों में कुछ बढ़ोतरी करने में सफल रही थी। 36.08 फीसद मत हासिल करके भाजपा तीनों नगर निगमों में जीत हासिल की थी। इस जीत की वजह आप व कांग्रेस में मतों का बंटवारा था। भाजपा को निगम चुनावों में जीत तो मिल गई थी, लेकिन प्राप्त मतों से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं था। उसका तर्क था कि आप व कांग्रेस के बीच वोट बंटवारे के बजाय पार्टी को अपने दम पर निर्णायक समर्थन हासिल करनी होगी। इसे ध्यान में रखते हुए मिशन 51 फीसद का लक्ष्य निर्धारित किया गया जिससे कि त्रिकोणीय या आमने-सामने के मुकाबले में भी जीत सुनिश्चित हो सके। पार्टी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की तैनाती करने के साथ ही उनके नाम, पता व मोबाइल नंबर को सूचीबद्ध किया। सभी आंकड़ों को कंप्यूटरीकृत किया गया जिससे कि एक क्लिक पर उनसे संपर्क हासिल किया जा सके। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दिसंबर महीने में बूथ प्रबंधकों का सम्मेलन आयोजित करके उन्हें पूरी रणनीति समझाने के साथ ही उनमें उत्साह का संचार किया। प्रत्येक बूथ पर गठनायकों की तैनाती की गई थी । साथ ही पन्ना प्रमुखों को 20-20 घरों की जिम्मेदारी दी गई। प्रत्येक वर्ग को साधने के लिए भाजपा मोर्चो की रामलीला मैदान में अलग-अलग रैलियां आयोजित की गई। नरेंद्र मोदी सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों की सूची बनाकर उनसे भी संपर्क किया गया।

इसके साथ ही प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक सोशल मीडिया की टीम तैयार की गई। यह बूथ पर जनसंपर्क और सोशल मीडिया अभियान के जरिये दिल्ली के लोगों तक मोदी सरकार की नीतियां पहुंचाने में सफल रही। वहीं, पार्टी प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में कॉल सेंटर बनाकर सांसदों के कामकाज के साथ ही दिल्ली के मुद्दों को लेकर मतदाताओं से राय लेकर अपनी रणनीति में जरूरत के अनुसार बदलाव करती रही। दो सांसदों के टिकट भी काटे गए। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव प्रभारियों व सह प्रभारियों की नियुक्ति करके चुनाव प्रचार को पार्टी गति देने में जुटी रही। यही कारण है कि प्रत्याशियों की घोषणा में देरी होने के बावजूद चुनाव प्रचार पर कोई असर नहीं पड़ा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज जैसी दिग्गज नेताओं को उतारा गया। इसके साथ ही चुनाव प्रचार खत्म होने के दो दिन पहले रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री मोदी की प्रभावी रैली करके भाजपा दिल्ली के मतदाताओं को अपने पक्ष में खड़ा करने में सफल रही।

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