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कर्नाटक में 'नाटक', भाजपा को रोकने के लिए 'कांग्रेस का हाथ' जेडीएस के साथ

कर्नाटक में भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दिया है। इधर, जेडीएस ने भी कांग्रेस का समर्थन स्वीकार कर लिया है। अब जेडीएस राज्यपाल से मुलाकात करेगा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 07:32 AM (IST)Updated: Tue, 15 May 2018 05:37 PM (IST)
कर्नाटक में 'नाटक', भाजपा को रोकने के लिए 'कांग्रेस का हाथ' जेडीएस के साथ
कर्नाटक में 'नाटक', भाजपा को रोकने के लिए 'कांग्रेस का हाथ' जेडीएस के साथ

नई दिल्ली, जेएनएन। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 222 सीटों के रुझानों में भाजपा भले ही आगे है, पर बहुमत का पेंच फंस गया है। बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत है। अब तक भाजपा 104, कांग्रेस 78, जेडीएस 38 व अन्य दो सीटों पर आगे है। शिकारीपुरा सीट से भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येद्दियुरप्पा 35397 वोटों से जीत गए हैं। वहीं, चामुंडेश्वरी सीट से सिद्दरमैया हार गए हैं, जबकि वह बादामी सीट से जीत गए हैं। सिद्दरमैया ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

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भाजपा नेता येद्दियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उनके मुताबिक, कांग्रेस की नैतिक हार हुई है। कांग्रेस पिछले दरवाजे से सरकार बनाना चाहती है। वहीं, कर्नाटक में भाजपा को रोकने के लिए जेडीएस की सरकार बनाने के लिए कांग्रेस तैयार है। जेडीएस को कांग्रेस ने समर्थन दिया है। जेडीएस के दानिश अली के मुताबिक, जेडीएस शुरू से कह रही है कि कुमारस्वामी ही सीएम होंगे। नतीजे आने के बाद हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखा जाए। कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन दिया है, हमने उनका समर्थन स्वीकार किया है। जेडीएस भी राज्यपाल से मिलेगी। इस बीच, राज्यपाल ने अंतिम चुनाव परिणाम आने तक किसी भी दल से मिलने से इनकार कर दिया है।

इस बीच, बेंगलूरू और दिल्ली में भाजपा कार्यालय में नेता और कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं। भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और निर्मला सीतारण ने भी जश्न मनाया। इधर, कर्नाटक चुनाव के नतीजे से सेंसेक्स में भी उछाल आया है। सोनिया गांधी ने कांग्रेस नेता गुलाम बनी आजाद से बातचीत की है। भाजपा मुख्याल में संसदीय कमेटी की बैठक होगी।

जानिए, कौन कहां से जीता

शिकारीपुरा सीट से भाजपा के सीएम पद के उम्मीदवार बीएस येद्दियुरप्पा 35397 वोटों से जीते

चामुंडेश्वरी सीट से सिद्दरमैया हारे, बादामी सीट से जीते

वरुणा से सिद्दरमैया के बेटे यतींद्र आगे

दावणगेरे से मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे पीछे 

बेल्लारी से रेड्डी बंधुओं को शुरुआती बढ़त 

रामनगर से कुमार स्वामी आगे 

एचडी देवेगौड़ा के दोनों बेटे एचडी कुमार स्वामी रामनगर और एचडी रेवन्ना होलनर्सीपुरी आगे

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सरकार बनाने पर मंथन
इधर, कर्नाटक में भाजपा की सरकार बनाने पर मंथन शुरू हो गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर प्रकाश जावेडकर बेंगलुरू रवाना हो गए हैं।

जानिए, किसने क्या कहा

हम अंतिम परिणाम के बाद भविष्य की योजना तय करेंगे। मैं कांग्रेस या जेडी (एस) से बात नहीं करना चाहता।
-बीएस येद्दियुरप्पा।

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जब तक लहू है, तब तक मैं कांग्रेस के साथ हूं।
-नवजोत सिद्धू 

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कांग्रेस अब सिर्फ नाम का विरोध कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में हम निश्चित जीत जाएंगे।
-नितिन गड़करी, केंद्रीय मंत्री

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राहुल गांधी जब से अध्यक्ष बने हैं, तब से यह उनकी तीसरी हार है। 
-राज्यवर्धन सिंह राठौड़, केंद्रीय मंत्री 
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कर्नाटक में कांग्रेस यदि जेडीएस के साथ गठबंधन करती तो कुछ और परिणाम होते।
-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल

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कर्नाटक में भाजपा की जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार साल के सुशासन और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति का परिणाम है। कर्नाटक के लोगों को भाजपा को चुनने के लिए बधाई।
-रघुवर दास, मुख्यमंत्री झारखंड

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ये भाजपा की सर्वव्यापी जीत है।
-रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री

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यह भाजपा की ऐतिहासिक जीत है। अब देश में कांग्रेस खोज अभियान चलेगा, कहां रहेगी पता नहीं।
-रमन सिंह, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

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जेडीएस के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं है। हम 112 सीटों पर आगे हैं।
-सदानंद गौड़ा, भाजपा

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हम अपनी जीत के प्रति आश्वत हैं। लेकिन हमने अपने विकल्पों को खुला रखा है।

-अशोक गहलोत, कांग्रेस   

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कर्नाटक में जीत के लिए भाजपा को बधाई।
-डॉ अजय कुमार, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष झारखंड 

बेंगलूरू में जश्न मनाते भाजपा नेता व कार्यकर्ता।

222 सीटों पर हुआ था मतदान

224 सदस्यीय विधानसभा की 222 सीटों पर शनिवार को मतदान हुआ था। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। मतदान के बाद विभिन्न चैनलों पर प्रसारित एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की संभावना व्यक्त की गई है। ऐसी स्थिति में अगली सरकार के गठन में जदएस की भूमिका अहम हो सकती है।

एग्जिट पोल में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी

पांच चैनलों के एग्जिट पोल में भाजपा को और चार चैनलों के एग्जिट पोल में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में दिखाया गया है। हालांकि, दो-दो चैनलों के एग्जिट पोल में भाजपा और कांग्रेस को बहुमत का अनुमान भी व्यक्त किया गया है। मतगणना के जो भी नतीजे आएं पर सरकार गठन की ये संभावनाएं हो सकती हैं:

भाजपा को बहुमत मिलने पर येद्दियुरप्पा होंगे कर्नाटक के अगले सीएम
भाजपा अगर बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में कामयाब रही तो स्पष्ट तौर पर बीएस येद्दियुरप्पा ही कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी किसी दलित चेहरे को उपमुख्यमंत्री भी बना सकती है। अगर दो-चार सीटें कम पड़ीं तो निर्दलीय विधायकों का समर्थन जुटाया जा सकता है।

कांग्रेस को बहुमत मिलने पर सिद्दरमैया होंगे राज्य के सीएम
कांग्रेस को बहुमत मिला तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सिद्दरमैया ही राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। ऐसे में दलित मुख्यमंत्री की मांग के मद्देनजर पार्टी किसी दलित को उपमुख्यमंत्री बना सकती है। एक संभावना किसी लिंगायत को उपमुख्यमंत्री बनाने की भी है। अगर पार्टी बहुमत के आंकड़े से दो-चार सीटें पीछे रह गई तो निर्दलीय विधायक ही उसका सहारा बनेंगे।

भाजपा  मुख्यालय में रविशंकर प्रसाद व निर्मला सीतारमण ने इस तरह मनाया जश्न।

भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी तो जदएस के समर्थन की जरूरत होगी
इस स्थिति में भाजपा को जदएस के समर्थन की जरूरत होगी। अगर जदएस 40-50 सीटें हासिल करने में सफल रहा तो 30-30 (आधा-आधा कार्यकाल) फॉर्मूले पर सहमति बन सकती है। लेकिन तब भी भाजपा पहला कार्यकाल जदएस को देने पर शायद ही सहमत हो क्योंकि पूर्व में कुमार स्वामी भाजपा के साथ समझौता करके उससे मुकर चुके हैं।

कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो निर्दलीय विधायकों के समर्थन की भी दरकार होगी
ऐसी स्थिति में पार्टी को जदएस के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों के समर्थन की भी दरकार होगी। हालांकि सरकार गठन की शर्ते जदएस के संख्या बल पर निर्भर करेंगी। इसके अलावा जदएस से कटुतापूर्ण संबंधों के कारण सिद्दरमैया मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगे और कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा तलाशना होगा। सियासी हलकों में चर्चा तो यह भी है कि चूंकि कांग्रेस और जदएस दोनों का ही प्रभाव पुराने मैसुरु क्षेत्र में है इसलिए संभव है जदएस कांग्रेस के साथ न जाए।

जश्न मनाते भाजपाई।

भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जदएस को बाहर से समर्थन दे सकती है कांग्रेस
एक संभावना एचडी कुमार स्वामी के नेतृत्व में जदएस सरकार बनने की भी है। जिसे भाजपा या कांग्रेस बाहर से समर्थन दें। भाजपा 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जदएस का समर्थन करने पर सहमत हो भी सकती है। इसी तरह, कांग्रेस भी भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जदएस को बाहर से समर्थन दे सकती है। इसके अलावा उसका यह कदम 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी दलों के महागठबंधन में भी सहायक होगा।

गोवा, मणिपुर से सबक लेकर कांग्रेस ने शीर्ष नेताओं को भेजा कर्नाटक
गोवा, मणिपुर और मेघालय से सबक लेकर कांग्रेस ने अपने शीर्ष नेताओं को मतगणना से पूर्व ही कर्नाटक भेज दिया है। उक्त तीनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई थी।सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद और अशोक गहलोत बेंगलुरु पहुंच गए हैं। वहां पहुंचकर उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और अन्य पार्टी नेताओं से मुलाकात की।

अगर पार्टी बहुमत हासिल करने में असफल रही तो दोनों नेता जदएस के प्रमुख एचडी देवेगौड़ा और उनके पुत्र कुमार स्वामी से भी भेंट करेंगे। बतातें है कि पार्टी जदएस नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में है। कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों नेताओं को इसलिए भेजा है कि कर्नाटक में अगली कांग्रेस सरकार के गठन में कोई कोर कसर न छूट जाए। कर्नाटक के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल भी राज्य के प्रभारी सचिवों के साथ कर्नाटक में ही मौजूद हैं।

विधानसभा चुनावों में सबसे खर्चीला रहा कर्नाटक चुनाव
देश के विधानसभा चुनावों के इतिहास में हाल में संपन्न कर्नाटक चुनाव राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा किए खर्च के मामले में सबसे महंगा साबित हुआ है। थिंक टैंक 'सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज' (सीएमएस) ने अपने सर्वेक्षण में यह दावा किया है। सीएमएस के मुताबिक, विभिन्न राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों द्वारा किया गया खर्च 9500 से 10500 करो़ड़ रुपये के बीच रहा। 2013 के पिछले विधानसभा चुनावों में किए गए खर्च से यह दोगुने से भी ज्यादा है। इस खर्च में प्रधानमंत्री द्वारा किए गए प्रचार का खर्च शामिल नहीं है।
सीएमएस द्वारा पहले किए गए पिछले करीब 20 साल के सर्वेक्षण में यह बात सामने आ चुकी है कि कर्नाटक में चुनावी खर्च देश के अन्य राज्यों की तुलना में सामान्यत: अधिक ही रहता है। चुनावी खर्च के लिहाज से कर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु का स्थान है।


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