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Jharkhand Assembly Election 2019: पाकुड़ में गांवों का हुआ विकास, स्वास्थ्य-बिजली में सुधार की रह गई आस

Jharkhand Assembly Election 2019. पाकुड़ के विधायक आलमगीर आलम सहज-सुलभ हैं। लेकिन कोटालपोखर व संग्रामपुर को प्रखंड बनाने की आस अधूरी रह गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 05:53 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 05:53 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: पाकुड़ में गांवों का हुआ विकास, स्वास्थ्य-बिजली में सुधार की रह गई आस

पाकुड़, जासं। Jharkhand Assembly Election 2019 - पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से साल 2014 में आलमगीर आलम तीसरी बार विधायक चुने गए। पाकुड़ शहर के भीतर घरों में पाइप के जरिए जलापूर्ति नहीं होती थी। 2014 में 31 करोड़ की जलापूर्ति परियोजना शुरू हुई। रेलवे ने अड़ंगा लगा दिया। आलमगीर आलम रेलवे के अधिकारियों की पीछे लगे रहे। आखिरकार रेलवे से एनओसी मिल गई। छह महीने के भीतर पाकुड़ में जलापूर्ति हो जाएगी। अब तक विधायक ने सबसे अधिक सिंचाई के क्षेत्र में काम किया।

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इसके अलावा गांव-गांव में डीप बोरिंग कर घर-घर तक पानी पहुंचाने का भी काम हुआ है। पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के बरहड़वा प्रखंड के विभिन्न गांवों में सिंचाई के लिए विधायक ने 25 बोरिंग कराए हैं। पाकुड़ प्रखंड में भी कमोवेश इतने ही बोरिंग हुए हैं। इससे कुछ किसानों को लाभ हुआ है। विधायक ने पाकुड़ प्रखंड के अलग-अलग गांवों में 70 बोरिंग करने की अनुशंसा की है। शीघ्र सभी योजनाओं का काम शुरू हो जाएगा। बरहड़वा व पाकुड़ प्रखंड के कुल 65 गांवों में डीप बोरिंग कर पाइप लाइन के माध्यम से घर-घर जलापूर्ति हो रही है।

बरहड़वा प्रखंड के हस्तीपाड़ा, महेशघाटी व चाकपाड़ा समेत पांच बड़े पुल का निर्माण हुआ है जिससे लोगों को सहूलियत हुई है। हालांकि एक बड़ा वादा अधूरा रह गया। कोटालपोखर एवं संग्रामपुर को प्रखंड बनाने का उन्होंने वादा जनता से किया था। लोगों की यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई। 1978 में सरपंच से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले आलमगीर आलम साल 2000 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर पाकुड़ से विधायक चुने गए। आलम ने विपक्षी विधायक रहते गांवों में सड़कें बनवाईं, शौचालय बनाए गए।

विधायक निधि से काम कराया। धुलियान से पाकुड़ मुख्य मार्ग को पथ निर्माण विभाग के हवाले कराया। पाकुड़ की सियासत में आलमगीर आलम की मजबूती का सबसे बड़ा कारण उनका स्वभाव है। वे लोगों से सहज भाव से मिलते हैं। छोटे-बड़े सभी कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्से लेते हैं। कोई शिकायत लेकर आया तो तुरंत संबंधित अधिकारी या थाना में फोन घुमा देते हैं। बड़ी योजनाओं के बजाय छोटे-छोटे कार्य करने पर उन्होंने फोकस किया। वहीं, पंचायतों के उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बहुत खराब है।

न चिकित्सक है, न दवा। हालत यह है कि तनिक भी बीमारी होने पर पाकुड़ के सम्पन्न लोग पश्चिम बंगाल के अलग-अलग शहरों के अस्पतालों में जाने के लिए गाड़ी निकाल लेते हैं। गरीबों का सही इलाज नहीं हो रहा है। सदर अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने पर हो हल्ला मचा तो विधायक ने सचिवालय में पत्राचार किया। कुछ चिकित्सक मिले हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवा की हालत बहुत खराब है। बिजली की स्थिति भी अच्छी नहीं। लोगों में नाराजगी है कि इसकी स्थिति में सुधार के लिए विधायक ने कोई प्रयास भी नहीं किए।

पांच बड़े मुद्दे

1. कोटालपोखर एवं संग्र्रामपुर नहीं बन सका प्रखंड  

कोटालपोखर व संग्रामपुर को प्रखंड बनाने का वायदा था। 2006-07 में आलमगीर विधानसभा अध्यक्ष थे तो लोगों की उम्मीदें परवान पर थी। प्रखंड नहीं बनने से मायूसी है।

आलमगीर : कोटालपोखर व संग्रामपुर को प्रखंड का दर्जा दिलाने के लिए कई बार विधानसभा में आवाज उठाई। कोशिश जारी है। जो बोले हैं, वो करेंगे।

अकील : मैंने अपने कार्यकाल में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। गंभीरता से काम होता तो शायद आज जनता की आकांक्षा पूरी हो जाती।

2. दूर नहीं हुई सरकारी चिकित्सकों की कमी

बरहड़वा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी चिकित्सक नहीं मिलते। गांवों का भी बुरा हाल है। मरीज बंगाल के रामपुर हाट, मुर्शिदाबाद, मालदा या वर्दमान जाते हैं।

आलमगीर : चिकित्सकों की कमी दूर करने के लिए सरकार से कई बार पत्राचार किया गया। नतीजतन, सदर अस्पताल को कुछ डॉक्टर मिले हैं।

अकील : कुछ काम के लिए लगातार प्रयास की जरूरत होती है। विधायक उदासीन रहे। मैं विधायक था तो बीड़ी अस्पताल चालू करा दिया था।

3. खेतों की सिंचाई के लिए नहीं हो सका इंतजाम

जिले के अस्सी फीसद लोग खेती पर निर्भर करते हैं। बावजूद आज भी किसानों के खेत को पानी नहीं मिल रहा है। सिंचाई का इंतजाम नहीं है। अनावृष्टि के कारण फसल मर जाती है।

आलमगीर : मेरे प्रयास से ही पाकुड़ व बरहड़वा के किसानों के खेतों में बोरिंग कराई गई। जिसका फायदा उन्हें मिल रहा है।

अकील : सिंचाई सुविधा के लिए कई काम किया था। जनता इसकी गवाह है। वर्तमान समय में इस पर ईमानदारी से काम नहीं किया गया।

4. पाकुड़़-बरहड़वा सड़क आज भी उबड़ खाबड़

पाकुड़़-बरहड़वा सड़क को लाइफ लाइन कहा जाता है। यह सड़क आज भी उबड़ खाबड़ है। जर्जर होने के कारण अक्सर हादसे होते रहते हैं। गांवों में कुछ सड़कें जरुर बनी है।

आलमगीर : पाकुड़-बरहड़वा पथ का निर्माण शुरू कराया था। सदन में भी यह मामला उठाया था। अभी मंत्री व सचिव से पत्राचार किया गया है।

अकील : यह सड़क राजनीति की भेंट चढ़ गई। 2014 में इस सड़क को मैंने बनाया था। इसलिए जानबूझकर इसकी मरम्मत नहीं करायी जा रही है।

5. पाकुड़ शहर को जाम से नहीं मिली मुक्ति

पाकुड़ शहर में सुबह हो या शाम, हर वक्त जाम मिलता है। रेलवे फाटक और हाटपाड़ा के पास इतना जाम रहता है कि लोग त्राहि त्राहि करते हैं। जाम अब बड़ा मसला बनता जा रहा है।

आलमगीर : जाम से मुक्ति के लिए डीआरएम से भी कई बार वार्ता हुई है। डीआरएम ने आश्वासन दिया है कि इसके लिए जल्द काम शुरू होगा।

अकील : बाइपास की जरूरत है। जैसे पुराना बरहड़वा बचाओ नया बरहड़वा बसाओ का नारा दिया गया था, उसी तर्ज पर काम होना चाहिए।

मतदाताओं का मूल्यांकन

आलम सुलझे हुए इंसान है। सहज उपलब्ध रहते हैं। उनके कार्यकाल में इलाके का अपेक्षाकृत विकास हुआ है। हम लोग उनके कामकाज से खुश हैं। -9/10 -नसरुद्दीन मोमिन, बड़ा सोनाकड।

विकास के मामले में पाकुड़ आज भी पिछड़ा हुआ है। कोटालपोखर को आज तक प्रखंड का दर्जा नहीं मिला है, न इसके लिए संघर्ष किया गया। -4/10 -गंगा प्रसाद साहा, अंगुठिया।

आलमगीर ने विकास का कोई काम नहीं किया। कोई बड़ी योजना शुरू नहीं हुई है। विधायक निधि से आगे कोई भी कार्य नहीं हुआ है। -2/10 -द्विजेंद्र साहा, अधिवक्ता, पाकुड़।

शहरी इलाके में बिजली व पानी की समस्या जस की तस है। डॉक्टर के बिना अस्पतालों की स्थिति दयनीय है। बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। -4/10 -सनातक चौरसिया, बीमा अभिकर्ता, पाकुड़।

बिजली और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पाकुड़ में काम नहीं हो सका है। इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। नियमित बिजली भी नहीं मिलती। -3/10 -संजीव खत्री, सचिव, चैंबर ऑफ कॉमर्स, पाकुड़़

समस्याओं के समाधान के लिए विधायक हमेशा तत्पर रहते हैं। क्षेत्र के विकास के लिए कई कार्य हुए हैं। -9/10 -मोहम्मद महबूब आलम, व्यवसायी, पाकुड़।

आमने सामने

2014 के विधानसभा चुनाव में दोस्ताना संघर्ष हुआ था। तीन दफा विधायक रहने के दौरान इलाके में बहुत सारे विकास के कार्य किए गए हैं। झारखंड में जो नई राजनीतिक प्रवृत्ति हुई है, उसमें विपक्षी दल के विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम योजनाएं ली जा रही हैं। यह ठीक नहीं है। -आलमगीर आलम, कांग्रेस विधायक, पाकुड़।

अपने कार्यकाल में हमने पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए जितने काम किए हैं, इतिहास में उतना नहीं हुआ है। जिन योजनाओं को शुरू किया था, सिर्फ उसी को आगे बढ़ाया गया होता तो पाकुड़ आज पूरे झारखंड का नंबर वन जिला होता। विधानसभा क्षेत्र में विधायक निधि से आगे कोई योजना शुरू नहीं हुई। -अकील अख्तर, पूर्व विधायक, झामुमो।

पाकुड़ में जनता जनार्दन

कुल : 314973

महिला : 160762

पुरुष : 154211

2014 के विधानसभा चुनाव परिणाम

आलमगीर आलम : कांग्र्रेस : 83338 

अकील अख्तर : झामुमो : 65272

2019 में लोकसभा चुनाव के नतीजे

विजय कुमार हांसदा : झामुमो : 

हेमलाल मुर्मू : भाजपा :

विधायक निधि का उपयोग

वितीय वर्ष : खर्च का प्रतिशत 

2015-16 : 100   

2016-17 : 100   

2017-18 : 100   

2018-19 : 100   

2019-20 : योजनाओं की अनुशंसा कर भेजी गई है।


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