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Jharkhand Assembly Election 2019 : कोल्हान में ये तीन फैक्टर तय करेंगे प्रत्याशियों की जीत-हार

Jharkhand Assembly Election 2019. इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदाता नई इबारत लिखने को आतुर हैं। अधिकतर क्षेत्रों में परिवर्तन की बयार के साथ चुनावी टक्कर कांटे की है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 01:05 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 01:05 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : कोल्हान में ये तीन फैक्टर तय करेंगे प्रत्याशियों की जीत-हार
Jharkhand Assembly Election 2019 : कोल्हान में ये तीन फैक्टर तय करेंगे प्रत्याशियों की जीत-हार

जमशेदपुर, दिलीप कुमार । Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड के कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर जीत-हार के गणित में कहीं दलों का एजेंडा तो कहीं चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का चेहरा फैक्टर होगा। इसके साथ ही कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां का सियासी भविष्य हमेशा से जातियां तय करती रही हैं। 

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इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदाता नई इबारत लिखने को आतुर हैं। अधिकतर क्षेत्रों में परिवर्तन की बयार के साथ चुनावी टक्कर कांटे की है। कोई झामुमो के गठबंधन को बड़े राजनीतिक परिवर्तन के रूप में देख रहा है, तो कोई डबल इंजन सरकार को पांच वर्ष और देने का हिमायती बना है। यहां मतदान से पहले ही मतदाता मुखर हो चुके हैं।

सरायकेला में एजेंडे के साथ प्रभावी रहेगा जातिवाद 

 सरायकेला-खरसावां जिले में राजनीतिक दलों के साथ जातिवाद भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा। जिले के तीनों विधानसभा सीटों पर इस बार कांटे की टक्कर होने की संभावना है। चुनाव में बदलाव की बयार के बीच उम्मीदवार मतदाताओं का मन टटोलने की कोशिश कर रहे हैं। जिले के ईचागढ़ क्षेत्र में जाति समीकरण भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करता रहा है। चुनाव में यहां राजनीति का भविष्य जातियां ही तय करती हैं। महतो बहुल ईचागढ़ में उनके बिखराव और एकजुटता पर सियासी परिणाम तय होते हैं।

कई क्षेत्रों में जातिवाद रहता है हावी

वैसे चुनाव के दौरान कोल्हान के कई क्षेत्र में जातिवाद हावी रहता है। पश्चिमी सिंहभूम के पांच निर्वाचन क्षेत्रों में मनोहरपुर को छोड़कर अन्य चार में हो जनजाति के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। अन्य आदिवासी समाज के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ता है। मनोहरपुर से संताल समाज की जोबा माझी विजयी पताका फहराने में सफल रही हैं। वहीं पोटका सीट पर देखा जाय तो भूमिज (सरदार) आदिवासी को छोड़कर अन्य आदिवासी समाज के उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल नहीं होते हैं।

पूर्वी सिंहभूम में चेहरे तय करेंगे मतदाताओं का रुख

पूर्वी सिंहभूम जिले में चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के चेहरे, दलों से अधिक प्रभावी रहेंगे। उम्मीदवारों के चेहरे ही मतदाताओं का रुख तय करेंगे। जमशेदपुर पूर्वी सीट पर देश की नजर है। यहां मुख्यमंत्री रघुवर दास को मंत्री रहे सरयू राय चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. गौरव बल्लभ को मैदान में उतारा है। बहरागोड़ा पर झामुमो के टिकट पर चुनावी वैतरणी पार करने वाले कुणाल षाड़ंगी इस बार भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं झामुमो के टिकट पर समीर महंती चुनावी मैदान में हैं। घाटशिला से डॉ. प्रदीप बलमुचू कांग्रेस छोड़कर आजसू से लड़ रहे हैं। जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को चुनौती देने भाजपा ने नए प्रत्याशी को उतारा है।

प. सिंहभूम में राजनीतिक दलों का एजेंडा होगा फैक्टर

विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिमी सिंहभूम में राजनीतिक दलों का एजेंडा फैक्टर होगा। यहां सीएनटी-एसपीटी, स्थानीय नीति समेत गांवों के स्थानीय समस्याएं भी चुनाव में हावी हैं। यहां विधानसभा चुनाव को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दे अधिक प्रभावित नहीं कर पाते हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में जिले के पांच क्षेत्र में चार पर झामुमो ने विजयी पताका लहराया था। वहीं एक सीट पर निर्दलीय गीता कोड़ा विजयी रही थीं। बाद में वह लोकसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस से सांसद बन गईं। चुनाव में इस बार कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर है। दलों के निश्चय पत्र देखकर मतदाता अपने जनप्रतिनिधि का चयन करेंगे।


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