Move to Jagran APP

Jharkhand Assembly Election 2019: चतरा में नए रंग में आमने-सामने हैं पुराने प्रतिद्वंद्वी

Jharkhand Assembly Election 2019. भाजपा के जनार्दन पासवान व राजद के सत्यानंद भोक्ता में सीधी टक्कर के आसार हैं। दोनों चिर-परिचित उम्मीदवार ने अपने खेमे बदल लिए हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 02:52 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: चतरा में नए रंग में आमने-सामने हैं पुराने प्रतिद्वंद्वी
Jharkhand Assembly Election 2019: चतरा में नए रंग में आमने-सामने हैं पुराने प्रतिद्वंद्वी

चतरा, [जुलकर नैन]। चतरा के चुनाव में इस बार भी फाइट में उम्मीदवार तो वहीं हैं, लेकिन इस बार दोनों चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वियों के खेमे बदले हुए हैं। जनार्दन पासवान जहां इस बार राजद को छोड़कर भगवा झंडा बुलंद कर रहे हैं, वहीं सत्यानंद भोक्ता भगवा और कंघी को त्याग कर लालटेन की लौ जला रहे हैं। इन दोनों के पास राजनीति का लंबा अनुभव है। दोनों दो-दो बार विधायक रहे हैं। जनार्दन पासवान 1995 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला हमेशा भाजपा के साथ हुआ है।

loksabha election banner

1995 के चुनाव में पासवान ने भाजपा को यहां से बेदखल किया था। राजद उम्मीदवार पासवान ने भाजपा के महेंद्र सिंह भोक्ता को परास्त किया था। महेंद्र सिंह भोक्ता 1985 और 1990 का चुनाव यहां से जीते थे, लेकिन 2000 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद भोक्ता ने पासवान को बेदखल कर दिया था। 2005 में भी सत्यानंद यहां से निर्वाचित हुए थे। उस बार भी उनका मुकाबला जनार्दन के साथ ही था।

2009 के चुनाव में भोक्ता ने चतरा के बजाय सिमरिया से किस्मत आजमाया। भाजपा ने यहां सूबेदार पासवान को उम्मीदवार बनाया था। इसमें राजद प्रत्याशी जनार्दन पासवान ने भाजपा को मात दे दी थी। इधर सत्यानंद सिमरिया से चुनाव हार गए। 2014 के चुनाव में भाजपा ने सत्यानंद के बजाय सिमरिया के विधायक जयप्रकाश सिंह भोक्ता को चतरा के रण में उतारा।

इधर टिकट नहीं मिलने से सत्यानंद ने झाविमो से भाग्य आजमाया। मुकाबला भाजपा और झाविमो के बीच रहा और राजद तीसरे स्थान पर चला गया। इस बार परिस्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई। भाजपा के पक्ष में उनके कैडर वोटर तो है ही, जनार्दन के समर्थक भी साथ हो गए हैं। इतना ही नहीं माई समीकरण को भी दरकाने में वह जुटे हुए हैं।

इधर राजद को माई समीकरण के साथ-साथ गंझू और भुइयां वोटरों पर पूरा भरोसा है। भाजपा के भीतरघातियों का भी उन्हें साथ मिल रहा है। सत्यानंद भोक्ता भाजपा में लंबे समय तक रहे हैं। ऐसे में भितरघात की आशंका भी है। उधर आमने-सामने की लड़ाई को त्रिकोण में बदलने के लिए झाविमो संघर्ष कर रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यहां से पार्टी के जिलाध्यक्ष तिलेश्वर राम को उम्मीदवार बनाया है।

तिलेश्वर ने राजद से अपना राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। 2005 में वह भाजपा के संभावित उम्मीवार थे। पार्टी ने टिकट नहीं दिया। बगावत पर उतर आए और निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से किस्मत आजमाया। जैसे ही झाविमो अस्तित्व में आया, वह बाबूलाल मरांडी के साथ हो गए।

'प्रधानमंत्री का मूल मंत्र है-सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है। देश के अंदर सकारात्मक बदलाव आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र को स्थापित करना है। रही बात विकास की, तो ढाई दशक से उसके लिए निस्वार्थ भाव से काम कर रहा हूं। पिछले पांच वर्षों में क्षेत्र का अपेक्षित विकास हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई आदि समस्याओं का निदान किया जाएगा। चतरा में स्टील प्लांट की घोषणा हो चुकी है। सांसद सुनील कुमार सिंह प्लांट की स्थापना के लिए प्रयासरत हैं। सांसद के मार्गदर्शन में क्षेत्र का समुचित विकास होगा।' -जनार्दन पासवान, भाजपा प्रत्याशी, चतरा।

'विकास की बात ही करनी बेमानी है। रघुवर सरकार घोषणाओं और झूठे वादे के लिए जानी जाती है। डबल इंजन की सरकार के नाम पर जनता को बरगलाया जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में चतरा विधानसभा में विकास का कोई काम नहीं हुआ है। सरकारी योजनाओं के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लूट हुई है। भ्रष्टाचार चरम पर है। स्वास्थ्य सेवा बदतर है। महिला डॉक्टर नहीं हैं। गरीबों को बुनियादी शिक्षा से दूर किया जा रहा है। उनके क्षेत्र के प्राथमिक स्कूलों को बंद कर दिया गया है। स्टील प्लांट के नाम छला जा रहा है। पिछले चार वर्षों से स्टील प्लांट की चर्चा हो रही है। झूठ की बुनियाद पर बनी इमारत ज्यादा दिन तक नहीं चलता है।' -सत्यानंद भोक्ता, राजद उम्मीदवार।

तीन बड़े मुद्दे

1. बाइपास का निर्माण : जिला मुख्यालय में यह समस्या विकराल रूप ले चुकी है। बाइपास नहीं होने के कारण छोटे एवं मालवाहनों का परिचालन शहर के मुख्य पथ से होता है। जिसका खामियाजा आम अवाम को भुगतना पड़ रहा है।

2. स्वास्थ्य सेवा :  स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। डॉक्टरों का घोर अभाव है। महिलाओं की आधी आबादी है। लेकिन एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। अनुमंडलीय अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्ज दे दिया गया, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ाई गई।

3. सिंचाई की दिक्कत

चतरा विधानसभा कृषि प्रधान क्षेत्र है। अस्सी प्रतिशत आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। लेकिन सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है। सिंचाई की सुविधा मात्र 12 प्रतिशत है। बारिश पर यहां की खेती निर्भर है।

वोटर कितने :- 3,69,989

महिला वोटर :- 1,75,828

पुरुष वोटर :-  1,94,159

थर्ड जेंडर     -:    02

कुल बूथ :-  475


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.