Jharkhand Assembly Election 2019: डालटनगंज में फिर पुराने चेहरे आमने-सामने, यहां जातीय समीकरण कभी नहीं रहा हावी
Jharkhand Assembly Election 2019. डालटनगंज विधानसभा में मतदाता हमेशा जात-पात से ऊपर उठकर उम्मीदवारों को चुनते रहे हैं।
मेदिनीनगर (पलामू), [तौहीद रब्बानी]। Jharkhand Assembly Election 2019 - पलामू जिले के डालटनगंज विधानसभा में इस बार भी दिलचस्प मुकाबला दिखेगा। डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र ने वर्ष 2014 से 2019 तक काफी उतार-चढ़ाव देखे। 2014 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के कद्दावर नेता स्व. अनिल कुमार चौरसिया के पुत्र आलोक कुमार चौरसिया चुनाव मैदान में कूदे। झाविमो ने उन्हें टिकट देकर पहली बार चुनाव मैदान में उतारा था। सहानुभूति की लहर चली और जनता ने उन्हें विधानसभा भेज दिया।
इनकी कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णानंद त्रिपाठी से कांटे की टक्कर हुई थी। आलोक चौरसिया ने 4 हजार 347 वोट से त्रिपाठी को हरा दिया था। वहीं भाजपा प्रत्याशी मनोज कुमार 42 हजार वोट लाकर तीसरे स्थान पर थे। चुनाव के बाद विधानसभा में सियासी हालात कुछ ऐसे बने कि आलोक जेवीएम छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें वन विकास निगम की लाल बत्ती भी मिल गई।
इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने केएन त्रिपाठी पर तो भाजपा ने आलोक पर भरोसा जताया है। ऐसे में एक बार फिर वही दोनों पुराने चेहरे आमने-सामने दिख रहे हैं। ये अलग बात है कि इस बार चौरसिया भाजपा के टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं। वैसे जेवीएम प्रत्याशी डॉ. राहुल अग्रवाल चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कवायद में हैं। इधर भाजपा के वोट में सेंधमारी की जमीन भी तैयार होती दिख रही है। एक बागी प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में डटे दिख रहे हैं।
जातीय समीकरण से मुक्त रहा है डालटनगंज विधानसभा चुनाव
डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र की स्थापना काल से ही अलग पहचान रही है। आजादी के बाद 1951 से लेकर 14 नंबर 2000 तक संयुक्त बिहार व इसके बाद झारखंड में डालटनगंज विधानसभा राज्य की पहला विधानसभा है जहां कभी भी जातीय समीकरण हावी नहीं हुए। पहले जिला व बाद में पलामू प्रमंडल मुख्यालय के रूप में यह विधानसभा लगातार यह संदेश देती रही है कि चुनाव में जात-पात की राजनीति का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
यह विधानसभा क्षेत्र संयुक्त बिहार से लेकर झारखंड में पलामू प्रमंडल का नेतृत्व करता रहा है। आमतौर पर सभी चुनावों में जातीय समीकरण के आधार पर ही राजनीतिक दल प्रत्याशियों का चयन व टिकट का बंटवारा करते हैं। राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष और संयुक्त बिहार में मंत्री व बाद में सांसद रह चुके इंदर सिंह नामधारी इसी इलाके से आते हैं। जातीय समीकरणों की बात करें तो इसे समझाने के लिए यह उदाहरण काफी होगा कि यहां बमुश्किल 70-80 घर सिख समुदाय के हैं।
इनमें करीब 130 सिख परिवार रहते हैं। इस समुदाय के वोटरों की कुल संख्या करीब 1000-1100 है। इसके बावजूद सिख समुदाय के इंदर सिंह नामधारी 6 बार यहां से विधायक चुने गए। प्रथम विस चुनाव में बंगाली परिवार के अमीय कुमार घोष कांग्रेस से 1952 में विधायक बने। कायस्थ परिवार के उमेश्वरी चरण 1957 में कांग्रेस के विधायक बने। वहीं 1962 में ब्राह्मïण समाज के सच्चिदानंद त्रिपाठी, स्वतंत्र पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए।
वैश्य समाज से पूरनचंद 1967 व 1969 व 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व 1977 में जनता पार्टी से चुनाव जीतकर विधायक बने। 1980 में सिख समुदाय के इंदर सिंह नामधारी भाजपा से व 1985 में ईश्वरचंद पांडेय कांग्रेस से विधायक बने। 1990 में इंदर सिंह नामधारी भाजपा से, 1995 में जनता दल से, 2000 में जदयू से, 2005 में जदयू से व 2007 का उपचुनाव निर्दलीय जीतकर विधायक बने।
2009 में केएन त्रिपाठी कांग्रेस से व 2014 में आलोक कुमार चौरसिया झाविमो से जीत कर विधायक बने। वैसे डालटनगंज विधानसभा के जातीय समीकरण पर नजर डाली जाए तो पिछड़ा, ब्राहमण, मुस्लिम, कायस्थ व अनुसूचित जाति व जनजाति के मतदाता निर्णायक साबित होते हैं।
हर क्षेत्र में कराया विकास
'विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए 5 वर्ष कार्य करने का अवसर मिला। उम्र सीमा आदि के विवादों को ले उन्हें हाईकोर्ट का भी चक्कर लगाना पड़ा। बावजूद 5 वर्ष के कार्यकाल में विकास का काफी काम किया। इसकी तुलना 20 वर्ष के कार्यकाल से की जा सकती है। दिन-रात एक कर विकास कार्यों को गति दी। सिंचाई, शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में काफी काम किया। बिजली आपूर्ति को सुदृढ़ किया।' -आलोक कुमार चौरसिया, विधायक सह भाजपा प्रत्याशी, डालटनगंज विधानसभा, पलामू।
डालटनगंज विधानसभा के विकास के नाम पर सिर्फ लूट हुई है। आम जनता को मूर्ख बनाया गया। ग्रामीण व शहरी सड़कें बदहाल हैं। गांवों की अधिकांश सड़कें बनने के साथ टूटने लगती हैं। अधिकांश गांवों में बिजली आपूर्ति की हालत बदतर है। विधायक की उदासीनता के कारण ग्रामीण जनता को 24 घंटे में महज 6-7 घंटे ही बिजली मिल रही है। कई गांव में कई-कई दिन तक बिजली गायब रहती है। पूरे क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था सुदृढ़ करने के प्रति विधायक ने कोई कदम नहीं उठाया। नतीजतन सिंचाई योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी। विधायक कोटे की राशि सही जगह पर खर्च नहीं की गई है। -केएन त्रिपाठी, कांग्रेस प्रत्याशी, डालटनगंज विस क्षेत्र, पलामू।
डालटनगंज विस के तीन चुनाव मुद्दे
1. सिंचाई का अभाव :
सिंचाई के लिए पिछले 5 वर्षों में सिंचाई के क्षेत्र में अपेक्षाकृत कार्य नहीं हुए। तहले नदी पर बांध का निर्माण नहीं हुआ।
2. शहरी व ग्रामीण पेयजलापूर्ति बेहाल।
पूरे डालटनगंज विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा शहरी व ग्रामीण पेयजलापूर्ति की बदहाली है। शहर की 40 प्रतिशत व गांव की 60 प्रतिशत आबादी को पीने के लिए पर्याप्त पानी नसीब नहीं हो रहा है।
3. ग्रामीण सड़कें
डालटनगंज विधानसभा की ग्रामीण सड़कें बदहाल हैं। सुदूर गांव तक जाना मुश्किल होता है।
2014 का चुनाव परिणाम
1.आलोक चौरसिया, झाविमो-59202
2.कृष्णानंद त्रिपाठी, कांग्रेस- 54855
3.मनोज कुमार-भाजपा- 42597
इतने हैं मतदाता
महिला वोटर - 163555
पुरुष वोटर - 181259
कुल वोटर - 344814