Move to Jagran APP

Jharkhand Assembly Election 2019: बकोरिया की पाठशाला में गूंज रहे लोकतंत्र के तराने Manika Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. कभी गोलियों से थर्राता था मनिका विस क्षेत्र का यह इलाका। अभी बकोरिया के मध्य विद्यालय में 366 बच्चे अभी ग्रहण कर रहे हैं शिक्षा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 05:12 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 05:12 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बकोरिया की पाठशाला में गूंज रहे लोकतंत्र के तराने Manika Ground Report
Jharkhand Assembly Election 2019: बकोरिया की पाठशाला में गूंज रहे लोकतंत्र के तराने Manika Ground Report

बकोरिया (पलामू) से संदीप कमल। रांची-मेदिनीनगर नेशनल हाइवे-75 से बमुश्किल 100 मीटर अंदर संकरे कच्चे रास्ते पर बंद पड़े क्रशर के पास हमारी गाड़ी रुकती है। सामने पहाड़ की तलहटी से एक ही बाइक पर सवार हो चले आ रहे तीन युवाओं को हमारा आना कुछ नागवार गुजरता है। बड़े तल्ख लहजे में ड्राइवर से पूछते हैं-काहे यहां गाड़ी रोका है? और ऊ (मेरी ओर इशारा करते हुए) फोटो काहे ले रहा है? ड्राइवर के जवाब से वे भन्नाते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।

loksabha election banner

हम पलामू जिले के सतबरवा थाने के बकोरिया कस्बे में ठीक उसी जगह पर खड़े हैं, जहां करीब चार साल पूर्व 12 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराने का दावा पुलिस ने किया था। मुठभेड़ असली थी या पुलिस की गढ़ी हुई कहानी, इस रहस्य से पर्दा उठना अभी बाकी है। हाई कोर्ट के आदेश पर इस बहुचर्चित मामले की जांच अभी सीबीआइ कर रही है। यह इलाका मनिका विधानसभा क्षेत्र में आता है। चुनावी माहौल में इलाके के लोग बकोरिया मुठभेड़ की कोई चर्चा नहीं करना चाहते।

पूछने पर अनभिज्ञ-अनजान बन जाते हैं। सुरक्षा बलों की बढ़ी हुई चेकिंग और गश्ती चुनाव का अहसास कराती है। राजकीयकृत बकोरिया मध्य विद्यालय के ठीक सामने सुरक्षा बलों ने चेकिंग प्वाइंंट बना दिया है। जवानों ने सामने पंचायत सचिवालय भवन में डेरा डाल रखा है। स्कूल में अभी चहल-पहल है। बच्चों की आवाज कभी मंद तो कभी काफी तेज बाहर तक गूंज रही। स्कूल के अंदर दाखिल होने पर प्रधानाध्यापिका श्रीमती प्रभावती कुमारी अपने कार्यालय में मिलती हैं।

मैं बच्चों से मिलने की इच्छा जाहिर करता हूं। वे सहर्ष तैयार हो जाती हैं। इस स्कूल में आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। कुछ 366 बच्चे अभी शिक्षा ग्रहण कर रहे। हम दाखिल होते हैं। आठवीं कक्षा में, जहां अंग्रेजी पढ़ रहे बच्चे गुड मॉर्निंग के साथ हमारा स्वागत करते हैं। लड़कों से ज्यादा क्लास में लड़कियां हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ-का नारा इस सुदूर इलाके में कायदे से पहुंचा है। इनके चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक साफ देखी जा सकती। सबके सपने हैं।

कोई डाक्टर, कोई शिक्षिका तो कोई सेना में जाना चाहता है। चुनाव में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो सकती है, इसे लेकर यहां के शिक्षक-शिक्षिका चिंतित हैं, लेकिन इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। बकोरिया का सीमांकन और भौगोलिक परिदृश्य बड़ा दिलचस्प है। यह पलामू जिले के सतबरवा प्रखंड का हिस्सा है। लेकिन यहां के लोग वोटर हैं लातेहार के मनिका विधानसभा क्षेत्र के। मनिका लातेहार जिले के अंतर्गत आता है।

बकोरिया पंचायत के कमारू गांव निवासी प्रमोद यादव किसान हैं। बताते हैं कि उनके खाते में आज तक मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना की कोई राशि जमा नहीं हुई है। क्षेत्र के किसानों में गुस्सा है। पारा शिक्षक भी नाराज हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। बकोरिया के मो. इदरीस और मो. इस्लाम का मानना है कि क्षेत्र में विकास हुआ है। मुखिया ने काम करवाया है। लोग जरूर वोट देगा। कुरेदने पर कि आप किसको वोट देंगे? दोनों चुप ही रहते हैं।

सवालों के घेरे में मुठभेड़

सतबरवा के एक पत्रकार मुठभेड़ की घटना को याद कर आज भी सिहर उठते हैं। बताते हैं-रात करीब एक बजे सतबरवा थाने की पुलिस हमें घर से उठाकर ले गई थी। कहा गया-चलिए, फोटो-न्यूज ले लीजिए। मुठभेड़ चल रही है। घंटों हमें एनएच पर ही खड़ा रखा गया। दो-तीन गोलियों की आवाज सुनाई पड़ी। पौ फटने पर हमें संकरे रास्ते से अंदर से ले जाया गया। वहां कतार में 12 शव रखे थे। यह सारा मंजर कई सवालों को जन्म दे रहा था।

नक्सलियों का गढ़ होता था मनिका

मनिका कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। गुरुवार को भी मनिका के जेर जंगल में भारी मात्रा में सीआरपीएफ ने विस्फोटकों को बरामद करने में सफलता पाई। सिर्फ मनिका ही नहीं, लातेहार जिले के गारू, महुआडांड़, बरवाडीह, हेरहंज समेत लगभग सभी प्रखंड नक्सलियों के कब्जे में थे। नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती थी। तिरंगा तक फहराने से लोग डरते थे।

सुरक्षा के हैं पुख्ता बंदोबस्त

आज हालात बहुत हद तक काबू में हैं, लेकिन चुनौतियां पूरी तरह खत्म नहीं हुई। नक्सली के नाम पर कुछ इलाके में जेजेएमपी जैसे संगठन अब भी अपनी दुकानदारी चला रहे। सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर पलामू के प्रमंडलीय आयुक्त मनोज झा बताते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में उग्रवादी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। पड़ोसी राज्यों से समन्वय स्थापित किया गया है। चेकनाका लगाकर अपराधी व असामाजिक तत्वों को पकडऩे की कार्रवाई की जा रही है। चुनाव निष्पक्ष और भयमुक्त होगा।

क्यों चर्चित हुआ बकोरिया

पलामू जिले के सतबरवा थाना स्थित बकोरिया गांव में नौ जून, 2015 को कथित पुलिस मुठभेड़ में 12 लोग मारे गए थे। मारे गए पारा शिक्षक उदय यादव के परिजनों ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए हाई कोर्ट से सीबीआइ जांच की मांग की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआइ इस मुठभेड़ की जांच कर रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.