Jharkhand Election 2019: सरयू की रघुवर को सीधी चुनौती, जमशेदपुर में पूर्वी-पश्चिमी दोनों सीट से खरीदा नामांकन फॉर्म
Jharkhand Assembly Election 2019 मंत्री सरयू राय कई नीतिगत फैसलों का विरोध करते रहे हैं कैबिनेट की बैठकों का भी बहिष्कार करते रहे हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनके कैबिनेट मंत्री सरयू राय ने बड़ी चुनौती दी है। उन्होंने शनिवार को जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीटों से नामजदगी का पर्चा खरीदा है। कहा जा रहा है कि सरयू राय सोमवार को नामांकन दाखिल करेंगे। दो जगहों से नामांकन फॉर्म खरीदकर उन्होंने यह विकल्प खुला रखा है कि पार्टी टिकट देगी तो वे अपनी सीट जमशेदपुर पश्चिमी से चुनाव लड़ेंगे। अगर विपरीत हालातों में सरयू राय को पार्टी टिकट नहीं देती है तो वे मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीट जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय चुनाव लड़कर सीएम रघुवर दास को सीधी चुनौती देंगे।
इधर मीडिया से बातचीत में शनिवार को सरयू राय ने कहा कि उनकी सीट पर सस्पेंस भाजपा ने बनाया हुआ है। उनकी ओर से सस्पेंस सरीखा कुछ नहीं है। जनता जहां से चाहेगी वे वहां से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के बारे में कहा कि वे अच्छे नेता हैं, उन पर ईश्वर की कृपा बनी रहे। वे जहां भी रहें बेहतर करें। इधर सरयू राय के बागी रुख पर पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह भाजपा का अंदरुनी मामला है। उनहोंने कहा कि रघुवर दास और सरयू राय के बीच की तल्खी जगजाहिर है।
बहरहाल वर्तमान समीकरण में इस बात की भी प्रबल संभावना बनती दिख रही है कि सरयू राय मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव मैदान में उतरें। इसकी वजह अब तक उन्हें भाजपा की ओर से जमशेदपुर पश्चिमी सीट से उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाना है। अब तक भाजपा चुनाव प्रत्याशियों की चार सूची जारी हो चुकी है, लेकिन उन सूचियों से सरयू राय का नाम गायब है।
बताया जा रहा है कि इसकी वजह मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ उनके तल्ख रिश्ते हैं। यही कारण है कि टिकट नहीं मिलने की स्थिति में उन्होंने अपनी राजनीति का प्लान बी तय कर लिया है। जमशेदपुर पश्चिमी से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में वे जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोक सकते हैं।
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बताया जाता है कि इस बारे में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ चर्चा भी की है। ऐसे में सरयू राय पर सबकी नजरें टिकी हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के खिलाफ अगर सरयू राय ने चुनाव लडऩे की घोषणा करते हैं तो विपक्षी दलों का भी उन्हें साथ मिल सकता है। हालांकि सरयू राय निर्दलीय चुनाव लडऩे की योजना बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस संबंध में उन्होंने भाजपा आलाकमान को भी अवगत करा दिया है।
हालांकि उन्हें यह कहा गया है कि जब तक प्रत्याशियों की अंतिम सूची नहीं जारी हो जाती तब तक वे इंतजार करें, लेकिन उन्हें संभवत: इसका आभास हो गया है कि उनका टिकट कट रहा है। यही कारण है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री रघुवर दास के मंत्रिमंडल में रहने के बावजूद सरयू राय उनका खुलकर विरोध करते रहे हैं।
कई नीतिगत फैसलों पर उन्होंने सरकार की मुखालफत की है। एक वक्त ऐसा भी आया जब लग रहा था कि वे मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि विधानसभा में विपक्षी दलों के हो-हंगामे को आधार बनाकर उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा तत्काल मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्वीकार कर लिया था। सरयू राय फिलहाल रघुवर दास की कैबिनेट में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री हैं।