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Jharkhand Assembly Election 2019 : असंतुष्ट दावेदारों से पार पाना प्रत्याशियों के लिए ‘लिटमस टेस्ट’ Jamshedpur News

Jharkhand Assembly Election 2019. पार्टियों के असंतुष्ट नेता सिंहभूम के सियासी खेल में अहम भूमिका निभाएंगे। उनका साथ पाने को उम्मीदवार मेहनत कर रहे है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 03:04 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 03:04 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  असंतुष्ट दावेदारों से पार पाना प्रत्याशियों के लिए ‘लिटमस टेस्ट’ Jamshedpur News
Jharkhand Assembly Election 2019 : असंतुष्ट दावेदारों से पार पाना प्रत्याशियों के लिए ‘लिटमस टेस्ट’ Jamshedpur News

जमशेदपुर, भादो मांझी। Jharkhand Assembly Election 2019 सिंहभूम की सियासत में दम आजमा रहे उम्मीदवारों के लिए इस बार असंतुष्ट रह गए दावेदारों से पार पाना किसी लिटमस टेस्ट से कम न होगा। बात चाहे जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र की हो या फिर पोटका, घाटशिला, बहरागोड़ा या फिर जमशेदपुर पश्चिमी की। हर विधानसभा क्षेत्र में, हर राजनीतिक दल में असंतुष्ट गुट की अच्छी खासी तादात है। कोई टिकट न मिलने से नाराज है तो कोई अपने नेता का टिकट कटने से।

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पोटका

बात शुरू करते हैं पोटका विधानसभा क्षेत्र से। झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी संजीव सरदार के लिए यहां इलाके के उन नेताओं को साधना मछली की आंख में निशाना साधने से कम न होगा, जिन्होंने लिखत-पढ़त में, यानी बाकायदा आवेदन देकर पार्टी से इस सीट के लिए दावेदारी की थी। टिकट न मिला तो नाराजगी लाजिमी है। ऐसे झामुमो नेताओं में महाबीर मुमरू, गणोश सरदार, सागेन पूर्ति जैसे नेता शामिल हैं। हालांकि इनमें से कोई भी नेता ‘ऑन द रिकार्ड’ नाराज नहीं है, लेकिन इनके फेसबुक वॉल बता रहे कि ये ‘पॉलिटिकल डिप्रेशन’ में जरूर हैं। सागेन पूर्ति के फेसबुक वॉल को ही ले लीजिए। लिखते हैं-‘हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, हमारी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था। अच्छा सिला दिया 30 साल की वफादारी का, अभी चाय्- पकौड़ी बेचूंगा।’ वहीं इस सीट की भाजपा प्रत्याशी मेनका सरदार के लिए उन कार्यकर्ताओं को साधना मेहनत का काम होगा, जो मन ही मन इस सीट के लिए पार्टी से बुलू रानी सिंह को प्रत्याशी बनाने की मन्नत मांग रहे थे। टिकट न मिला तो बुलू रानी आजसू के साथ हो ली। अब उनके समर्थक, जो भाजपा में बने हुए हैं, वे किसके साथ जाएंगे, यह भविष्य के गर्त में है।

घाटशिला

पोटका के बाद घाटशिला विधानसभा सीट की बात करें तो यहां सीटिंग विधायक रहे लक्ष्मण टुडू का टिकट कट जाना उनके समर्थकों को फूटी आंख नहीं सुहा रहा। ये भी ऑन द रिकॉर्ड तो भाजपा प्रत्याशी लखन मार्डी के साथ हैं, लेकिन इनमें पनपे असंतोष के भाव को उनके मन में दबाकर उन्हें साथ करने की बड़ी चुनौती तो लखन मार्डी के समक्ष है ही। रही बात इस सीट से झामुमो उम्मीदवार रामदास सोरेन की तो उन्हें पार्टी के भीतर से तो कोई चुनौती नहीं, लेकिन गठबंधन दल (कांग्रेस) छोड़ उन्हें मुकाबला देने उतरे डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू से लोहा लेना होगा। ऐसे में वे तीर-धनुष के साथ-साथ पंजे के पारंपरिक पॉकेट वोटबैंक को कितना साध पाते हैं, यह देखने लायक होगा।

बहरागोड़ा

घाटशिला से आगे बढ़ते हैं, बात करते हैं बहरागोड़ा विधानसभा सीट की। यह सीट इस बार के महासमर का बिगुल बजने के पहले से ही चर्चा में हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस सीट पर भगवा ब्रिगेड ने बड़ी सेंधमारी कर हेमंत के बेस्ट फ्रंेड व पॉलिटिकल नवरत्नों में से एक रहे कुणाल षाड़ंगी को कमल फूल थमा दिया। ऐसा कर भाजपा ने झामुमो पर एक तरह से सर्जिकल स्ट्राइक तो की, लेकिन इससे पार्टी के भीतर भी कहीं न कहीं किसी न किसी स्ट्राइक की आहट आई। इस सीट पर दिनेशानंद गोस्वामी धाकड़ नेता हुआ करते थे और इस सीट से स्वभाविक दावेदार भी माने जाते थे, लेकिन कुणाल की एंट्री से इस धाकड़ नेता की दावेदारी एकबरगी धड़ाम हो गई। ऐसे में गोस्वामी का आशीर्वाद कुणाल के लिए अहम ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन समान भी है। इस सीट के झामुमो प्रत्याशी समीर महांती चूंकि अंतिम समय की वाइल्ड कार्ड इंट्री हैं, इसलिए उनके लिए संगठन के नेताओं से कम समय में समन्वय बनाना और अपने साथ कर लेना चुनौती है।

जमशेदपुर पूर्वी

अब बात करते हैं जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट की। इस सीट की बात क्या करना, जबसे नामांकन फार्म भरे गए हैं, तबसे तो इसी की चर्चा है। इसलिए इसे सब जानते हैं, आप भी जानते होंगे, इसलिए आगे बढ़ते हैं।

जमशेदपुर पश्चिम

बात करते हैं जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा सीट की। इस सीट की बात भी लगातार हो रही है, लेकिन फिर भी बात कर लेते हैं। यहां सरयू राय के साथ 24 में से 20 घंटे साथ खड़े रहने वाले कई नेता पशोपेश में हैं। किंकर्तव्यविमूढ़ता वाली स्थिति बनी हुई है। भले सरयू बागी हो चुके हों, लेकिन पश्चिमी में उनके साथ साये की तरह रहने वाले अधिकतर नेता उनसे मशविरा कर ही इस क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी बनाए गए देवेंद्र सिंह को माला पहना रहे हैं। ऐसे में देवेंद्र सिंह के लिए इन कार्यकर्ताओं नेताओं को अपने साथ करना बड़ी चुनौती है।

 जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र : सबके लिए टफ

आइए अब बात करते हैं जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र की। झामुमो से यहां मंगल कालिंदी मोर्चे पर हैं। पार्टी ने कभी यहां झामुमो के कद्दावर नेता रहे दुलाल भुइयां के सुपुत्र को टिकट की दौड़ से बाहर कर कालिंदी को टीका लगाया है। चूंकि दुलाल यहां कई दफा विधायक रह चुके हैं। उनकी पकड़ भी एक समय ठीक-ठाक थी और वे ‘अपनी’ इस सीट पर अपने सुपुत्र को सेट करने के लिए होमवर्क में लगे भी थे, इसलिए कालिंदी को हाल ही झामुमो में वापस आए इस धाकड़ नेता को अपने साथ करना दशरथ मांझी (बिहार में पहाड़ तोड़ने वाले) बनने से कम न होगा। यहां के सीटिंग एमएलए रामचंद्र सहिस भी इस बार बिन भाजपा के मैदान में हैं और खुद भाजपा के प्रत्याशी मुचीराम बाउरी उन्हें चुनौती दे रहे हैं, ऐसे में उनके लिए सबका समर्थन जुटा पाना पहले ही चुनौती बड़ी बनी हुई है।


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