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Jharkhand Assembly Election 2019 : यहां चौक-चौराहों पर राम मंदिर से लेकर अनुच्‍छेद 370 की चर्चा Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. राम मंदिर से लेकर धारा 370 ए और अन्य ज्वलंत विषयों पर चर्चा भी हवा में तैर रही है। रघुवर-हेमंत के बयानों और गठबंधन टूटने की चर्चाएं हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 12:13 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : यहां चौक-चौराहों पर राम मंदिर से लेकर अनुच्‍छेद 370 की चर्चा Ground Report
Jharkhand Assembly Election 2019 : यहां चौक-चौराहों पर राम मंदिर से लेकर अनुच्‍छेद 370 की चर्चा Ground Report

चक्रधरपुर, व‍िश्‍वजीत भट्ट। Jharkhand Assembly Election 2019 चक्रधरपुर में चुनावी माहौल तो गरमाया है लेकिन अभी मुद्दों से ज्यादा समस्याओं की ही चर्चा सुनाई दे रही है। चौक-चौराहों और दुकानों तथा अन्य बैठकी-मजलिस वाले स्थानों पर प्रत्याशियों की छवि, ताकत, काम और समीकरण के साथ-साथ राष्ट्रीय नेताओं के बयान और महाराष्ट्र की राजनीति पर भी चर्चा आम है।

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राम मंदिर से लेकर धारा 370 ए और अन्य ज्वलंत विषयों पर चर्चा भी हवा में तैर रही है। रघुवर-हेमंत के बयानों और भाजपा-आजसू के गठबंधन टूटने की चर्चाएं भी हो रही हैं। इलाके का जायजा लेने निकले हम लोग चाईबासा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-75 कराईकेला के साहू टोला गांव पहुंचे। गांव में एक छोटी सी परचून की दुकान के सामने सड़क के किनारे बोरा बिछाकर सात-आठ लोग ताश खेलते मिले। हमने पूछा कि क्या चल रहा है चुनाव को लेकर। परचून की दुकान चलाने वाले महेश साहू बोले अभी शोर कम है। कुछ अंदाजा नहीं लग पा रहा है। थोड़ा कुरेदने पर कहते हैं- यहां अखाड़े में कई हैं, लेकिन दम वाले दो ही हैं।

खेती सिंचाई के अभाव में चौपट

चुनाव के मुद्दों के सवाल पर बड़बिल में गाड़ी चलाने वाले गांव के ही ड्राइवर गौरी शंकर आचार्य बोले यह लगभग 40-50 घर का टोला है। बेरोजगारी का आलम है। आजीविका का मुख्य साधन खेती है, लेकिन सिंचाई के कारण चौपट। यहां से रोजाना 20-25 लोग जमशेदपुर जाते हैं काम की तलाश में। कभी मिलता है, कभी नहीं। गांव के ही पास ठेले पर चाय बेचने वाले रूसी साहू कहते हैं कि गांव के चापाकलों से आयरन सहित लाल पानी निकलता है। इस वजह से गांव में जो भी एक-दो लोगों के घरों में बोरिंग है, लोग पीने के लिए वहीं से पानी लाते हैं।

स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में डॉक्‍टर नदारद

ठेले पर चाट-पकौड़ी बेचने वाले भूषण प्रजापति बोले गांव में ही प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन यहां कोई डॉक्टर नहीं है। सप्ताह में एक या दो दिन डॉक्टर घंटे आधे घंटे बैठते हैं। अभी सर्दियां है तो बिजली की स्थिति थोड़ी ठीक है। गर्मियों में हालत बदतर हो जाती है। थोड़ी ही दूरी पर लांडूपोदा में चार साल से ग्रिड बन रहा है, लेकिन आज तक पूरा ही नहीं हुआ। आगे बढ़े तो चक्रधरपुर से 22 किमी दूर जांटा गांव पहुंचे। देखकर आश्चर्य हुआ कि गांव में ही एक खेत से अपने आप लगातार पानी निकल रहा है। आस-पास के कई गांवों के खेतों में पर्याप्त नमी है। यहां लोग दो-दो, तीन-तीन फसल उगाते हैं।

दो के बीच कांटे की लड़ाई

गांव के श्याम गिलुवा बताते हैं कि ऐसे नौ जल स्नोत हैं जिनसे अपने आप पानी निकलता है। इसी पानी से पूरा इलाका सब्जी की खेती करता है। यदि इस पानी को नहर या नाली के जरिए दूर तक पहुंचाने की व्यवस्था कर दी जाए तो पूरे इलाके में हरियाली के दम पर लोगों का जीवन स्तर बहुत बेहतर हो जाएगा। पास के ही एक ऐसे ही जलस्नोत से निकलने वाले पानी से अपने खेतों की मूली धो रहे मुलेर गिलुवा और पंकज गिलुवा से जब चुनावी अखाड़े के पहलवानों के बारे में पूछा तो पहले तो चौंके, फिर बहुत सकुचाते हुए बोले कि मैदान में तो चार चर्चित चेहरे हैं। भाजपा से लक्ष्मण गिलुवा हमारे गांव के ही हैं। झामुमो से सुखराम उरांव, आजसू से रामलाल मुंडा और झाविमो से शशि भूषण सामड। लेकिन, अब तक कांटे की लड़ाई दो के ही बीच है।


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