Move to Jagran APP

Jharkhand Assembly Election 2019 : लोकतंत्र की मशाल आज मेहनतकशों के हाथ, जमकर करें मतदान

Jharkhand Assembly Election 2019 चौथे चरण की 15 सीटें खनिज उद्योग पर्यटन और राज्य की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी हैं। ये इलाके झारखंड की अर्थव्यस्था की रीढ़ हैं।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 09:58 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : लोकतंत्र की मशाल आज मेहनतकशों के हाथ, जमकर करें मतदान
Jharkhand Assembly Election 2019 : लोकतंत्र की मशाल आज मेहनतकशों के हाथ, जमकर करें मतदान

रांची, [आरपीएन मिश्र]। Jharkhand Assembly Election 2019 विकास में जनभागीदारी का लक्ष्य लेकर निकली चुनावी मशाल राज्य के 50 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरते हुए अब चौथे चरण के उन 15 इलाकों में जा पहुंची है जो खनिज, उद्योग और वन संपदा के बूते राज्य की अर्थव्यस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत की खूबियों से इसका गौरव भी बढ़ाते हैं। विकास की इस मशाल को राज्यभर की 81 विधानसभा सीटों की परिक्रमा करते हुए विधानसभा के द्वार तक पहुंचना है।

loksabha election banner

फिलहाल मशाल थामे धनबाद, झरिया, सिंदरी, बाघमारा, टुंडी, निरसा, बोकारो, चंदनकियारी, गिरिडीह, जमुआ, गांडेय, डुमरी, बगोदर, देवघर और मधुपुर की जिम्मेदारी है कि वे मशाल की ज्योति को अपने बुलंद इरादों की अग्नि से इतनी प्रज्जवलित और प्रखर कर दें कि अगले चरण के चुनाव वाले इलाकों के लोग भी इसे संदेश, सबक और चुनौती के रूप में लें। अपने खनिजों और उद्योंगों से राष्ट्रनिर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले हाथ में आज एक बार फिर मतदान के अमोघ अस्त्र से नया झारखंड गढ़कर अपने सपनों का राज्य बनाने का अवसर आया है। अच्छी बात ये है कि इन इलाकों के लोगों ने पिछले चुनावों में जागरूकता का परिचय देते हुए मतदाना का आंकड़ा 65-70 फीसद तक और कहीं-कहीं तो उसके भी पार पहुंचा दिया था। 

अपने अथाह भंडार से रोज हजारों टन कोयला उगलने वाले धनबाद, झरिया, निरसा, टुंडी, बोकारो, गिरिडीह समेत इन तमाम इलाकों की इस समृद्ध पहचान के साथ झारखंड के अन्य हिस्सों की तरह गरीबी, बेकारी और बदहाली भी साथ-साथ चलती है। कोयला, लोहा, अभ्रक, पत्थर और अन्य खनिज स्थानीय लोगों की समृद्धि का आधार नहीं बन सके हैं। दीपक तले अंधेरा वाली कहावत की तरह। फिर भी मेहनत और संघर्ष के बूते मंजिल हासिल करने का जज्बा, सीमित आवश्यकताएं, कभी भी हार न मानने की जीवटता, गिर-गिर कर संभलने का जज्बा और विपरीत परिस्थितियों में भी मस्त व ऊर्जावान बने रहने की खासियत यहां के लोगों को बाकियों से अलग करती है। जरूरत इस ताकत और क्षमता को सही दिशा देने की है। लोकतंत्र के महापर्व पर सोमवार को हमें अपनी इस ऊर्जा को मतदान की ताकत में बदलना है। 

समृद्धि के द्वारों से लेकर आस्था और संस्कृति के सेतु तक

क्षमताओं की बात करें तो विभिन्न क्षेत्रों में फैले कोयला उद्योग के अलावा स्टील सिटी के रूप में विख्यात बोकारो और खाद कारखाने के लिए मशहूर सिंदरी देश और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। पर्यटन स्थलों और सांस्कृतिक गौरव के चिन्हों की भी कमी नहीं। भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर का वैद्यनाथ धाम जहां देश-दुनिया में भक्ति और अध्यात्म की धारा बहा रहा है, वहीं गिरिडीह में स्थित जैन धर्म के प्रसिद्ध तीेर्थस्थल पारसनाथ से सत्य और अहिंसा का संदेश दुनियाभर में फैल रहा है। धनबाद, चंदनकियारी और निरसा के इलाके बंगाल की सीमा से सटे होने के कारण अभी भी दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम करते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.