Jharkhand Assembly Election 2019: फिर वही दिल लाया हूं... धनबाद में पुराने चेहरों के बीच ही मुकाबला
अब मुद्दे भी बदल गए हैं। अब निजीकरण या सरकारीकरण की जगह रोजगार मुख्य मुद्दा बना है। सड़क जाम स्वास्थ्य सुविधाएं महंगाई और विधि-व्यवस्था प्रमुख मुद्दों में है।
धनबाद [रोहित कर्ण]। धनबाद विधानसभा क्षेत्र राज्य की चंद उन सीटों में शुमार है, जहां अधिकांश मतदाता बाहर से आकर बसे हुए हैं। शुरुआती दो दशकों को छोड़ दें तो विशेषकर बिहार व उत्तर प्रदेश पृष्ठभूमि के मतदाताओं की वजह से जनप्रतिनिधि भी अधिकांश इन्हीं के बीच से रहा है। इन जनप्रतिनिधियों में भी कभी श्रमिक नेताओं को ही प्रमुखता दी जाती थी।
धनबाद से कांग्रेस प्रत्याशी मन्नान मल्लिक इंटक से संबद्ध श्रमिक यूनियन राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के बड़े नेता रहे हैं। अल्पसंख्यक व कोलियरी क्षेत्र के वोटों की बदौलत उन्होंने 2009 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा को 890 मतों से पटखनी दी थी। राज सिन्हा ने 2014 के चुनाव में इसे सूद समेत वसूला। मन्नान मल्लिक को 52,997 मतों के अंतर से हराया। हालांकि तब मोदी लहर भी थी। इस बीच दामोदर व बराकर में काफी पानी बह चुका है। कोयला खदानें अब आउटसोर्सिंग कंपनियों के हवाले हैं जिन पर किसी यूनियन का वश नहीं। लिहाजा चुनाव पर भी ट्रेड यूनियनों का दबदबा लगभग न के बराबर रह गया है। इधर अब मुद्दे भी बदल गए हैं। अब निजीकरण या सरकारीकरण की जगह रोजगार मुख्य मुद्दा बना है। सड़क जाम, स्वास्थ्य सुविधाएं, महंगाई और विधि-व्यवस्था प्रमुख मुद्दों में है।
मुद्दों में भले कुछ बदलाव आया हो पर प्रत्याशी दोनों तरफ से पुराने ही हैं। दोनों का प्रोफाइल भी लगभग एक जैसा है। दोनों ही अपनी पार्टियों के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। यह जरूर है कि इस बार मन्नान मल्लिक के साथ कांग्रेस, झामुमो, राजद का गठबंधन है तो भाजपा का गठबंधन टूट चुका है। भाजपा के सहयोगी दल रहे आजसू ने प्रदीप मोहन सहाय, जदयू ने पिंटू सिंह, लोजपा ने विकास रंजन को प्रत्याशी बनाया है। झाविमो से यहां सरोज सिंह खड़े हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस को अल्पसंख्यक मत थोक में मिलते रहे हैं। बावजूद इसके भारतीय दलित पार्टी के मो. फैसल खान और सपा के मेराज खान क्या असर डाल पाएंगे देखना रोचक होगा।
धनबाद के कुल वोटर : 432315
महिला वोटर : 149204
पुरुष वोटर : 233103
थर्ड जेंडर : 8
राज सिन्हा को मिले कुल वोट : 132091
मन्नान मल्लिक को मिले कुल वोट : 79094
नोटा : 2521
फीसद में
भाजपा को मिले वोट : 58.26 फीसद
कांग्रेस को मिले वोट : 34.88 फीसद
नोटा को मिले वोट : 1.11 फीसद
- तीन प्रमुख मुद्दे
सड़क जाम : अतिक्रमण धनबाद की सड़कों का गला घोंट रहा है। सड़कों के चौड़ीकरण के बावजूद प्रतिदिन हर सड़क, हर चौराहा घंटों जाम का शिकार रहता है। अïट्टालिकाएं बनीं पर वाहन पड़ाव की व्यवस्था नहीं रहना इसे और गंभीर बना रहा है। धनबाद-झरिया रेल लाइन की जमीन पर सड़क, मटकुरिया-वासेपुर ओवरब्रिज और गया पुल अंडर पास का चौड़ीकरण वक्त की जरूरत है। हीरक रोड का भी आरा मोड़ ओवरब्रिज तक चौड़ीकरण जल्द होना चाहिए।
रोजगार : जीटी रोड में शाम के वक्त हर तरफ जलते अंगारे दिखते थे। ये हार्डकोक भट्ठों के ओवेन का दृश्य होते थे। हर चिमनी 24 घंटे धुआं उगलती रहती थी। अब 10 फीसद ओवेन भी नहीं जलते। अन्य कारखाने भी बंद हैं। शहर सेवानिवृत्त अधिकारियों की रिहाइश बन गई है। युवाओं का रोजगार के लिए पलायन बड़ी समस्या है। सड़क पर ठेला-खोमचावालों की भीड़ भी बेरोजगारी की दास्तां ही कहती है।
स्वास्थ्य सुविधाएंः कहने को धनबाद के पास पीएमसीएच और बीसीसीएल का केंद्रीय अस्पताल है। हकीकत यह है कि इन दोनों के पास भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट यहां बचे नहीं। कुछ निजी क्लीनिक कैंप में इन्हें कभी-कभार बुलाते हैं। बीसीसीएल के 12 सुविधायुक्त क्षेत्रीय अस्पताल अब रेफरल होकर रह गए हैं। एसएसएलएनटी और सदर अस्पताल में इंडोर व्यवस्था नहीं है। गायनोलॉजी को छोड़ अन्य मामलों में कुकुरमुत्ते की तरह खुले क्लीनिक भी सीएमसी वेल्लौर और मिशन हॉस्पीटल दुर्गापुर के रेफरल अस्पताल की भूमिका में ही हैं।
धनबाद में बिनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय की स्थापना, प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण, मेगा स्पोट्र्स कांप्लेक्स, सात नए विद्युत सबस्टेशन, कांड्रा ग्र्रिड का शुभारंभ समेत कई कार्य हैं जो धनबाद के विकास में मील के पत्थर हैं। माडा कर्मियों के हित के लिए विधानसभा से विधेयक पास करवाया। सदन से सड़क तक धनबादवासियों के हित के लिए हमेशा सक्रिय रहा। मुझे विश्वास है कि इसका प्रतिदान जरूर मिलेगा।
-राज सिन्हा, प्रत्याशी, भाजपा
धनबाद का जो विकास मेरे समय में हुआ वह फिर नहीं हुआ। मेरे हारते ही विकास रुक गया है। गुणवत्ता को तो कोई देखने वाला नहीं है। जो सड़कें मैंने बनवाई वह आज भी दुरुस्त है। बाद में बनी सड़कें बारिश में धुलने लगी हैं। विवि का प्रस्ताव हेमंत सरकार में ही पास हो गया था। नाम पर निर्णय नहीं हुआ था। मेगा स्पोट्र्स कांप्लेक्स की जो बात कर रहे हैं वे बताएं कि उसे रुकवाया किसके लोगों ने था। लोग बिजली-पानी संकट से आज भी त्रस्त हैं।
-मन्नान मल्लिक, प्रत्याशी, कांग्रेस