Jharkhand Assembly Election 2019: आक्रामक होता तेवर, सफेदपोश माफियाओं को घेरा; CM रघुवर दास की कोयलांचल में जोरदार एंट्री
Jharkhand Assembly Election 2019 सीएम ने जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के क्रम में बंगाल से सटे वामदलों के गढ़ निरसा में परचम लहराने को ललकारा। यहां कभी भाजपा नहीं जीत पाई।
जोहार यात्रा से प्रदीप सिंह। Jharkhand Assembly Election 2019 बंगाल की सीमा से सटा धनबाद का निरसा। कोयलांचल में चारों तरफ भगवा झंडे के बीच वामदलों के लाल झंडे की मौजूदगी यहां दिखती है। हालांकि अब असर ढलान पर है लेकिन भाजपा को अबतक यहां से जीत हासिल नहीं हुई। 2014 के विधानसभा चुनाव में हार-जीत का आंकड़ा हजार वोटों तक सिमटकर रह गया था। बुधवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के रथ ने जब यहां का रुख किया तो उन्होंने भी इस चुनौती को शिद्दत से महसूस किया।
मुख्यमंत्री ने पहले अपनी सरकार की उपलब्धियों की ओर इंगित किया और मौका पाते ही आक्रामक हो गये। वामदलों समेत तमाम विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया। लगे हाथों यह भी पूछा कि जब पूरी दुनिया से लाल झंडा उखड़ गया तो निरसा में इसे क्यों ढो रहे हैं? यहां भी देश का झंडा लहराना चाहिए। स्थानीय राजनीति की नब्ज पकड़ते हुए सफेदपोश कोयला माफियाओं की ओर भी इंगित किया। बोले, किसी की गुंडागर्दी नहीं चलेगी।
कोयलांचल में मुख्यमंत्री रघुवर दास की जोहार जन आशीर्वाद यात्रा का आगाज अंजाम पर निर्भर करेगा। भाजपा के लिए यह उर्वर क्षेत्र है और चुनौती सीटों में इजाफे की होगी ताकि बड़े लक्ष्य (65 प्लस) के करीब पहुंचा जा सके। इसी क्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास का फोकस जटिल इलाकों पर है, जहां पूरी ताकत झोंककर वे मौजूदगी सुनिश्चित करना चाहते हैं। यात्रा की मुकम्मल तैयारी भी इसी रणनीति का हिस्सा है, जहां टीम भाजपा मुस्तैद दिखती है। कोल्हान में राज्यसभा सदस्य समीर उरांव इसमें लगे थे तो धनबाद में यात्रा के प्रभारी सांसद संजय सेठ ने मोर्चा संभाल रखा था। यात्रा के दौरान तमाम चीजों पर इनका नियंत्रण और हस्तक्षेप प्रभावी तरीके से होता है। तभी तो स्थानीय नेताओं की आपसी गुटबाजी मूल उद्देश्य पर असर नहीं डाल पाती।
बुधवार को बंगाल के छोर से धनबाद तक जीटी रोड पर जहां तक नजर आता, यात्रा का काफिला ही दिख रहा था। उमड़ी भीड़ की वजह से देरी स्वाभाविक है, लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास सधे अंदाज में सबको समेटते चले गये। जनसभाओं में मंच पर जाने के बाद कोई औपचारिकता नहीं, सीधे मुख्यमंत्री का भाषण। ऐसी ही रणनीति छोटी सभाओं में भी। उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बातें पहुंचाना।
मुख्यमंत्री रघुवर दास अनौपचारिक बातों में अक्सर जिक्र भी करते हैं कि तमाम संचार माध्यमों के बावजूद सीधे लोगों तक अपनी बातें पहुंचाना भी एक चुनौती है। वे इसलिए इस मौके का प्रयोग जन कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताने के लिए करते हैं। दो पेज का बुकलेट भी इसी रणनीति का हिस्सा है। वे इसे अवश्य पढऩे की नसीहत देते हैं। बेटियों को पढ़ाने और महिलाओं की कल्याणकारी योजनाओं का बखान आधी आबादी की महत्ता रेखांकित करती है और वे छोटी सभाओं में इसका जिक्र नहीं भूलते।