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Jharkhand Assembly Election 2019: राजनीति में धड़कता झारखंड की नाैकरशाही का दिल, धनबाद के पूर्व ASP नई पारी को तैयार

झारखंड की राजनीति में सफल नाैकरशाहों की भी कमी नहीं है। झारखंड के रांची से विधायक और हजारीबाग से सांसद रह चुके यशवंत सिन्हा को काैन नहीं जानता है।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 05:10 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 05:10 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: राजनीति में धड़कता झारखंड की नाैकरशाही का दिल, धनबाद के पूर्व ASP नई पारी को तैयार

धनबाद [जागरण स्पेशल ]। धनबाद के एडिशनल एसपी रह चुके लक्ष्मण प्रसाद सिंह ने झारखंड विधानसभा चुनाव-2014 से ठीक पहले स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। वह धनबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन टिकट नहीं मिला। हालांकि उन्हें भाजपा ने निराश नहीं किया। धनबाद के बजाय राजधनवार विधानसभा क्षेत्र से टिकट देखर चुनाव मैदान में उतार दिया। अब उन्हीं की राह पर धनबाद के एक और एडिशनल एसपी रह चुके रेजी डुंगडुंग चल पड़े हैं। चुनाव लड़ने की तैयारी में राज्य के एडीजी रेजी डुंगडुंग स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त कर भाजपा के संपर्क में हैं। वह विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।

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राजनीति के मैदान में उतरने को झारखंड के नाैकरशाहों का दिल करता ILU-ILU: स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त कर एडीजी रेजी डुंगडुंग झारखंड के कोई पहले भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी नहीं हैं जो नाैकरशाही के बाद राजनीति की पारी शुरू करने के लिए बेताब हैं। झारखंड में IAS और IPS की लंबी सूची है जो नाैकरी छोड़ या नाैकरी के बाद राजनीति में रम गए। झारखंड प्रदेश कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष रामेश्वर उरांव भी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे। वे एडीजी के पद से 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए। लोहरदगा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। केंद्र में मंत्री बने। हालांकि 2009 के चुनाव में वह हार गए। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा में पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 1990 के दशक के तेजतर्रार IPS डॉ. अजय कुमार भी हाल तक झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। वह 2011 में उप चुनाव के दाैरान जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर सांसद भी चुने गए। लेकिन, इसके बाद जनता ने नकार दिया। अब आप पार्टी में शामिल होकर झारखंड से दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट हो गए हैं।

सबके लिए सफलता आसान नहींः झारखंड के नाैकरशाहों को राजनीति का चस्का लग चुका है लेकिन सबके लिए सफलता आसान नहीं है। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी झारखंड के गृह सचिव रह चुके जेबी तुबिद ने वीआरएस ली। भाजपा में शामिल हुए। चाइबासा सीट से टिकट भी मिल गया। जनता ने नकार दिया। लक्ष्मण प्रसाद सिंह को भी राजधनवार की जनता ने नकार दिया था। IPS अमिताभ चाैधरी ने भी नाैकरी छोड़ 2014 में भाजपा में शामिल हुए। टिकट नहीं मिला तो JVM का प्रत्याशी बन रांची लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। हार मिली। बोकारो के उपायुक्त रह चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी विमल कीर्ति सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले टिकट की आस में नाैकरी छोड़ दी। वह धनबाद से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिला।

यशवंत सिन्हा ने राजनीति में गाड़ा झंडाः झारखंड की राजनीति में सफल नाैकरशाहों की भी कमी नहीं है। झारखंड के रांची से विधायक और हजारीबाग से सांसद रह चुके यशवंत सिन्हा को काैन नहीं जानता है। वे देश के विदेश मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं। कभी भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार होते थे। वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। झारखंड के पुलिस महानिदेशक रह चुके बीडी राम पलामू से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए हैं।

आधा दर्जन वेट एंड वाच की मुद्रा मेंः झारखंड में इस समय आधा दर्जन से ज्यादा वरीय नाैकरशाह वेट एंड वाच की मुद्रा में हैं। वे राजनीतिक दलों में अपने संपर्को को साध रहे हैं। टिकट मिलने की गारंटी पर नाैकरी छोड़ राजनीति के मैदान में कूद जाएंगे।


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