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Jharkhand Election 2019: खिलेगा कमल या चलेगा तीर- एनडीए ने लगाई पूरी ताकत, नए रिकॉर्ड की चाहत में विपक्ष

Jharkhand Election 2019. झामुमो कांग्रेस तो साथ हुआ लेकिन झाविमो का छिटकना विपक्षी गठबंधन को कमजोर करेगा। 2019 के परिणाम को दोहराने भाजपा-आजसू ने लगाई पूरी ताकत।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 11:37 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 12:01 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: खिलेगा कमल या चलेगा तीर- एनडीए ने लगाई पूरी ताकत, नए रिकॉर्ड की चाहत में विपक्ष
Jharkhand Election 2019: खिलेगा कमल या चलेगा तीर- एनडीए ने लगाई पूरी ताकत, नए रिकॉर्ड की चाहत में विपक्ष

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में सरकार गठन की घोषणा के साथ ही एक बार फिर सेनाएं तैयार हैं। सत्ताधारी और विपक्षी दल अपने-अपने मुद्दों के साथ मैदान में उतरने की तैयारी तो कई महीनों से कर रहे थे, अब मोर्चे पर आकर डट भी जाएंगे। पिछले चुनाव के परिणाम को जारी रखने या फिर इसको बदलने के लिए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से जोर लगा रही हैं। विधानसभा चुनाव 2014 में लगभग 35 फीसद मत बटोरकर सत्ताधारी गठबंधन ने 42 सीटों पर कब्जा जमा लिया था। इसमें से 37 भाजपा को और पांच आजसू को मिली थीं।

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आजसू को प्राप्त मत 3.7 फीसद रहा था। झारखंड विकास मोर्चा को कुल 10 फीसद वोट प्राप्त हुए थे। इसके 8 उम्मीदवार जीते लेकिन दो महीने के अंदर ही इनमें से छह भाजपा में चले गए। झामुमो को 19 सीटें, कांग्रेस को सात, बसपा को एक और अन्य सीटें छोटी पार्टियों को भी मिलीं। चुनाव के बाद के पांच वर्षों में भाजपा के पक्ष में माहौल बनता ही रहा और सीटों की संख्या में भी तब्दीली होती रही। हाल में आयोजित लोकसभा चुनाव ने भाजपा को और ताकत दी है।

लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटें तो भाजपा के पक्ष में रही हीं, राज्य की 81 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 63 पर प्रतिद्वंद्वी विपक्षी गठबंधन से बढ़त बनाने में सफलता पाई। विपक्ष को लोकसभा की दो ही सीट हासिल हो सकी। इस स्थिति से उत्साहित होकर भाजपा ने मिशन 65 के साथ चुनाव की तैयारियां शुरू की हैं। अब लक्ष्य है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम को जारी रखते हुए राज्य की 81 सीटों में से 65 से अधिक पर कब्जा जमा लिया जाए। लक्ष्य को निर्धारित करने के बाद भाजपा ने इसे हासिल करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

संगठन से लेकर मुख्यमंत्री तक लगातार विधानसभा क्षेत्रों में सक्रियता से काम कर रहे हैं। पूर्व कीे घोषणाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है तो नई घोषणाएं भी की जा रही हैं। लोगों से काम के आधार पर वोट मांगने का सिलसिला शुरू हुआ है और भाजपा इसको आगे भी जारी रखना चाहती है। पार्टी के सीनियर नेता भी आम लोगों के बीच काम के आधार पर ही पार्टी की छवि बनाने में लगे हुए हैं। दूसरी ओर, विपक्षी सेना लड़ाई शुरू होने के पूर्व ही कहीं न कहीं कमजोर होने लगी है। लोकसभा में जहां विपक्षी महागठबंधन सक्रिय रहा वहीं अभी जो आसार हैं उनके अनुसार झामुमो और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे लेकिन झारखंड विकास मोर्चा को अलग कर दिया गया है।

झाविमो का छिटकना विपक्षी गठबंधन को निश्चित तौर पर कमजोर करेगा। इतना ही नहीं अभी तक वामपंथी दलों और विपक्ष की अन्य पार्टियों की भूमिका तय नहीं हुई है। ऐसे में शुरुआत से ही सत्ताधारी गठबंधन बढ़त की स्थिति में दिख रहा है लेकिन विपक्ष को कमजोर आंकना भी गलत होगा। लोकसभा चुनाव में भले ही झामुमो ने अपनी एक परंपरागत सीट जीती हो, कांग्रेस ने तो भाजपा की जीती हुई सीट छीनी है और इस कारण से सत्ताधारी दल को सतर्क रहने की जरूरत है।

2014 का परिणाम

भाजपा : 37 + 6 (झाविमो) = 43 सीट

आजसू : 5 सीट

झामुमो : 19 सीट

कांग्रेस : 8 सीट

बसपा : 1 सीट

सीपीआइ एमएल : 1

एमसीसी : 1 सीट

जय भारत समानता पार्टी : 1 सीट

नौजवान संघर्ष मोर्चा : 1 सीट

नोट : हाल के दिनों में झामुमो से दो, झाविमो से एक, कांग्रेस से दो विधायकों और जय भारत समानता पार्टी के एक विधायक का विलय भाजपा में हुआ है।

हरियाणा-महाराष्ट्र जैसे बदलावों के भरोसे सोरेन सेना

कमजोर गठबंधन और कई विधायकों के पार्टी छोडऩे के बावजूद विपक्षी गठबंधन महाराष्ट्र और हरियाणा के परिणाम को लेकर कहीं न कहीं उत्साह की स्थिति में है। दोनों राज्यों में भाजपा गठबंधन को बढ़त भले ही मिली हो, भाजपा की सीटें कम हुई हैं। इस आधार पर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विपक्षी महागठबंधन मानकर चल रहा है कि झारखंड में भी सत्ताधारी दल को पानी पिलाना मुश्किल नहीं होगा। विपक्ष कई क्षेत्रों में सत्ता विरोधी भावनाओं को भी भुनाना चाहता है।

विधायकों को छीन विपक्ष को कमजोर कर चुकी है भाजपा

चुनाव परिणाम आने के बाद के विपक्षी दलों के कई विधायकों को भाजपा ने साधना शुरू किया। एक महीने से कुछ अधिक दिनों के बाद ही झारखंड विकास मोर्चा के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसके खिलाफ झारखंड विकास मोर्चा ने कानूनी लड़ाई भी लड़ी लेकिन अंतिम परिणाम नहीं आ सका है। विधायकों के जाने का यह क्रम एक बार फिर चुनाव के नजदीक आते ही रफ्तार पकड़ चुका है।

अक्टूबर महीने में झामुमो के दो, कांग्रेस के दो, झाविमो के एक निलंबित विधायक और जय भारत समानता पार्टी के एक विधायक भाजपा का दामन थाम चुके हैं। इस प्रकार भाजपा के बैनर तले विधायकों की संख्या 54 हो चुकी है और इसके बढऩे के आसार बने ही हुए हैं।


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