Jharkhand Assembly Election 2019: आजसू नेता ने चुनाव में लिया था नक्सलियों से सहयोग!
Jharkhand Assembly Election 2019 कुख्यात नक्सली राजदेव खेरवार ने पुलिस के समक्ष सनसनीखेज खुलासा किया है। मुठभेड़ के बाद नौ दिसंबर को खेरवार गिरफ्तार हुआ था।
रांची, दिलीप कुमार। Jharkhand Assembly Election 2019 लोहरदगा में पिछले दिनों गिरफ्तार कुख्यात नक्सली रवींद्र गंझू के दस्ते के सक्रिय सदस्य राजदेव खेरवार ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है। उसने पुलिस को दिए स्वीकारोक्ति बयान में कहा है कि विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी के एक नेता ने नक्सली संगठन भाकपा माओवादीं के रिजनल कमांडर 15 लाख रुपये के इनामी नक्सली रवींद्र गंझू से सहयोग लिया था।
पुलिस को दिए बयान में राजदेव खेरवार ने बताया है कि लोहरदगा के पेशरार का प्रमोद उरांव हर चार-पांच दिन में शाम या रात के समय बराबर बुलबुल गांव में आता और वहां रवींद्र गंझू से मिलता था। वहां वह रवींद्र गंझू को पुलिस की गतिविधियों की जानकारी भी देता था। जब रवींद्र गंझू की पत्नी जेल गई तो प्रमोद उरांव ने ही रवींद्र गंझू को अपने मोबाइल से उसके (रवींद्र गंझू) परिवार के सदस्य से बात कराई थी।
राजदेव ने बताया कि इस विधानसभा चुनाव में भी रवींद्र गंझू ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की थी। तब प्रमोद उरांव ने आजसू के एक बड़े नेता का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने (आजसू नेता ने) आपसे (रवींद्र गंझू से) अनुमति लेने को कहा है। उस नेता ने यह भी कहा है कि जो भी आर्थिक मदद की आवश्यकता होगी, वे लोग पूरी तरह तैयार हैं। इसके बाद ही रवींद्र गंझू ने इलाके में चुनाव प्रचार की अनुमति दी थी।
लुकइया मोड़ में पुलिस को मारने की बात भी स्वीकारी
राजदेव खेरवार ने बताया कि चुनाव में आजसू को अनुमति के बाद पहाड़ पर 25 किलोग्राम का 40-50 बोरा चावल भी पहुंचाया गया। वहां 50 किलोग्राम के बोरे में कोडेक्स वायर और एक लीटर वाला 100-150 पीस केन बम पहुंचाया गया था। कुछ दिनों के बाद रवींद्र गंझू बुलबुल गांव से अपने 10-12 सदस्यों के साथ कहीं चला गया। बाकी टीम वहीं रुकी रही। चार-पांच दिनों के बाद जब सभी लौटे तो प्रमोद उरांव नामक व्यक्ति फिर वहां पहुंचा। तब रवींद्र गंझू ने बताया कि उनलोगों की सूचना से ही यह बड़ा काम हो गया है। चार पुलिस वाले को लुकईया मोड़ चंदवा में मार दिया गया है और उनके हथियार भी लूट लिए गए हैं। इतना ही नहीं, रानीअंबा मसूरियाखाड के पास दो जेसीबी गाड़ी भी जलाई गई है।
लोकसभा चुनाव के बाद कर दी थी दिलीप भगत की हत्या
गिरफ्तार राजदेव खेरवार लोहरदगा के पेशरार थाना क्षेत्र के बुलबुल गांव का रहने वाला है। उसने पूछताछ में बताया है कि उसका गांव जंगलों से घिरा है, जहां उग्रवादी गतिविधियां चलती रहती है। नक्सली ग्रामीणों को बुलाकर बैठक करते हैं और जो बैठक में शामिल नहीं होता, उसके साथ मारपीट भी करते हैं। राजदेव उन्हें खाना खिलाता है और रवींद्र गंझू का खास आदमी होने के चलते वह लेवी भी वसूलकर माओवादियों को देता है। उसने बताया कि लोकसभा चुनाव के बाद माओवादियों का रिजनल कमांडर रवींद्र गंझू अपने दस्ते के सदस्यों के साथ 31 मई की रात नौ बजे बुलबुल गांव में आया था। उसने दिलीप भगत के घर को घेरा और उसकी पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी। दिलीप की हत्या के बाद गांव के लोगों को पुलिस का काम नहीं करने की धमकी दी। कहा कि जो भी पुलिस का काम करेगा, उसे इसी तरह की सजा दी जाएगी। इसके बाद वह चला गया।
उसने बताया कि विधानसभा चुनाव के एक महीने पहले अक्टूबर में बुलबुल गांव में करीब 60 माओवादी पहुंचे, जिनमें दो लड़कियां भी थीं। बुलबुल गांव में बैठक की और पुलिस को खबर करने पर मारने की धमकी दी। जहां उसने कैंप बनाया, उसके चारो तरफ आइईडी लगाया था और ग्रामीणों को जाने से मना किया था।
रवींद्र गंझू के दस्ते में ये उग्रवादी शामिल
बुधेश्वर उरांव, बलराम उरांव, छोटू खेरवार, चंदन खेरवार उर्फ संजीवन खेरवार, मुनेश्वर गंझू, अघनू गंझू, बालक गंझू, सूरजनाथ खेरवार, चंद्रभान पाहन, गोविंद बिरौजिया, जतरू खेरवार उर्फ टाना खेरवार, काजेश गंझू, दिनेश नगेसिया, दिनु उरांव उर्फ दिलेश्वर, बलेश्वर उरांव।