कांगड़ा संसदीय क्षेत्र : नौ विधानसभा हलकों में गद्दी समुदाय का प्रभाव
Lok sabha Election 2019 कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले 17 विधानसभा क्षेत्रों में नौ ऐसे हैं जिनमें गद्दी समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है।
धर्मशाला, नीरज व्यास। Lok sabha Election 2019, राजनीतिक दल बेशक जातिगत राजनीति न करने के दावे करते रहें, लेकिन हकीकत यह है कि कोई भी दल जातिवाद से बाहर नहीं निकल पाया है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने गद्दी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले किशन कपूर को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने ओबीसी का कार्ड खेलते हुए कांगड़ा के विधायक पवन काजल पर दांव खेला है।
रोचक तथ्य यह है कि कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाले 17 विधानसभा क्षेत्रों में नौ ऐसे हैं, जिनमें गद्दी समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है। अन्य आठ हलकों में इनकी आबादी है, पर संख्या कम है। यही वजह है कि गद्दी समुदाय लंबे समय से इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व चाह रहा था। अभी तक भाजपा व कांग्रेस इस समुदाय से प्रत्याशी देने से कतराती रही हैं। यह पहली बार है कि भाजपा ने संसदीय चुनाव के लिए इस समुदाय से प्रदेश सरकार में मंत्री किशन कपूर को मैदान में उतारा है।
नौ विधानसभा क्षेत्रों में गद्दी मतदाता
विस क्षेत्र, गद्दी मतदाता, कुल मतदाता, मत प्रतिशत
भटियात, 25000, 71545, 34
पालमपुर, 24930, 69809, 36
नूरपुर, 19235, 83099, 23
चंबा, 19000, 75289, 25
चुराह, 18000, 68623, 26
शाहपुर, 17752, 72593, 24
डलहौजी, 16000, 66669, 23
धर्मशाला, 14,707, 74863,19
बैजनाथ 14540, 58805, 24
अन्य आठ क्षेत्रों में स्थिति
जयसिंहपुर 5500, नगरोटा बगवां 6100, कांगड़ा 4100, जवाली 7700, फतेहपुर 4100, सुलह 9000, इंदौरा 5000 और ज्वालामुखी में 4000 गद्दी मतदाता हैं।
भाजपा से निकले कई विधायक कांग्रेस से एक
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में टिकट देते वक्त ठाकुर सिंह भरमौरी पर ही विश्वास जताया है। ठाकुर सिंह भरमौरी प्रदेश सरकार में वन मंत्री रहे हैं। भाजपा सरकार में तुलसीराम विधानसभा अध्यक्ष रहे, स्वर्गीय बृज लाल, दूलो राम, विक्रम जरियाल, जियालाल विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे तो हंसराज विधानसभा के उपाध्यक्ष हैं। किशन कपूर खाद्य आपूर्ति मंत्री होने के साथ-साथ वर्तमान में कांगड़ा-चंबा से भाजपा प्रत्याशी घोषित हैं।
कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर भी गद्दी
गद्दी समुदाय से कई अधिकारी हैं जो कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रहे हैं। इनमें भीमसेन, ओंकार शर्मा, पीसी कपूर, कुलदीप कुमार, बीके चौहान, रणजीत सिंह, अर्जित सेन सहित कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों तक पहुंचे हैं।
भेड़-बकरियां सुरक्षित तो समुदाय की संस्कृति जीवित
भेड़-बकरियां संरक्षित होंगी तो गद्दी समुदाय की संस्कृति को भी संरक्षण मिलेगा। घुमंतू गद्दियों व उनकी भेड़ बकरियों की सुरक्षा के लिए ठोस नीति निर्धारण की जरूरत है। प्रदेश में ही गद्दियों की भेड़ बकरियां उनके चिन्हित ट्रैक से चोरी हो जाती हैं, जबकि अन्य राज्यों में ऐसी परेशानी नहीं है। घुमंतू गद्दियों व भेड़ बकरियों की सुरक्षा को ठोस नीति की जरूरत है, वहीं भेड़-बकरियों के बीमा व ऊन का सही समर्थन मूल्य मिले इस दिशा में भी कदम उठाने होंगे।
कांग्रेस के सिपाही हैं और पार्टी के साथ ही चलेंगे
हम कांग्र्रेस के सिपाही हैं, पार्टी के साथ ही चलेंगे। जो जिम्मेदारी मिलेगी उसे निभाएंगे। समुदाय में यह शिकवा जरूर है कि कांग्र्रेस ने गद्दी समुदाय से किसी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया। उम्मीद है कि आने वाले समय में कांग्र्रेस इस वर्ग को तरजीह देगी। कांगड़ा-चंबा में गद्दी समुदाय के मतदाता साढ़े तीन लाख के करीब हैं।
-हंसराज ठाकुर, प्रदेश सचिव, कांग्रेस, एसटी सेल।
टिकट न मिलने का मलाल, पर रहेंगे कांग्रेस के साथ
कांग्र्रेस ने अभी तक गद्दी समुदाय को वोट बैंक की तरह ही प्रयोग किया है। टिकट की लाइन में खुद भी रहा हूं। कांग्र्रेस गद्दी समुदाय के लिए दरियादिली नहीं दिखा सकी है। इसका मलाल है, लेकिन पार्टी के सिपाही हैं, पार्टी जो भी कार्य देगी उसे करेंगे। -शुभकरण कपूर, पूर्व अध्यक्ष, बहुउद्देशीय गद्दी सुधार महासभा व कांग्रेस नेता।
समुदाय के व्यक्ित को लोकसभा का टिकट मिलना बड़ी बात
अभी नहीं तो कभी नहीं, इस मौके को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। लंबे समय से मांग हो रही थी, जिसे भाजपा ने किशन कपूर को टिकट देकर पूरा किया है। चाहे बिरादरी भाजपा समर्थक है या फिर कांग्र्रेस समर्थक है। 80 फीसद बिरादरी सीधे तौर पर मिले मौके को व्यर्थ नहीं जाने देगी। पहला मौका होगा, जब कोई गद्दी नेता चुनकर दिल्ली पहुंचेगा। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्र्रेस को इस वर्ग को ध्यान में रखते हुए टिकट देनी होंगी। -विजय भट्ट, महामंत्री, हिमाचल प्रदेश गद्दी यूनियन।
गद्दी समुदाय का आर्थिक तौर पर उत्थान होना चाहिए था, लेकिन नहीं हो सका। भेड़-बकरियों व घुमंतू गद्दियों को न सुरक्षा मिली न संरक्षण। अगर भेड़ बकरियां हैं तो गद्दी संस्कृति जीवित है। भेड़ बकरियां नहीं होगी तो पारंपरिक चोला डोरा भी नहीं लगेगा। भाजपा ने गद्दी को एमपी की टिकट देकर गद्दियों को आकर्षित किया है। कांग्र्रेस को भी आने वाले समय में गद्दी समुदाय के लोगों पर विश्वास दिखाना होगा। -मनोज ठाकुर, अध्यक्ष गद्दी उत्थान महासभा शाहपुर।