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1985 में पहली बार विधायक बने थे रामलाल, जानिए अब तक का राजनीतिक सफर

Congress leader Ram Lal Thakur साढ़े तीन दशक से बतौर कांग्रेस नेता अपनी पहचान बनाने वाले विधायक रामलाल ठाकुर की कर्मभूमि नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र ही रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 10:29 AM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 10:29 AM (IST)
1985 में पहली बार विधायक बने थे रामलाल, जानिए अब तक का राजनीतिक सफर

बिलासपुर, जेएनएन। साढ़े तीन दशक से बतौर कांग्रेस नेता अपनी पहचान बनाने वाले विधायक रामलाल ठाकुर की कर्मभूमि नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र ही रहा है। पुनर्सीमांकन के बाद नयनादेवी के नाम से शुरू हुए इस हलके का शुरूआती नाम कोटकहलूर रहा है। 1985 में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद यह रामलाल ठाकुर ही थे जिन्हें वीरभद्र सिंह ने पहली बार विधायक बनते ही सबसे कम उम्र में अपनी सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व दिया।

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रामलाल ठाकुर का प्रोफाइल

रामलाल ठाकुर का जन्म 17 जून 1951 को बिलासपुर के नम्होल के पास पड़ते घ्याल गांव में स्वर्गीय परस राम ठाकुर व स्वर्गीय देवकी देवी ठाकुर के घर हुआ था। पिता किसान थे। रामलाल के बेटे विकास ठाकुर कांग्रेस कमेटी में प्रदेश सचिव और व्यवसायी हैं। पत्नी गृहिणी हैं और बेटी की शादी हो चुकी है। रामलाल ने आठवीं तक शिक्षा राजकीय माध्यमिक पाठशाला नम्होल में हासिल की। बिलासपुर कॉलेज से बीए पास की। इस दौरान वह केंद्रीय छात्र संघ के महासचिव चुने गए। 1971 में उन्हें एनसीसी का बेस्ट कैडेट होने पर गणतंत्र दिवस परेड के चुना गया। कॉलेज में रहते राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने लॉ कॉलेज शिमला से एलएलबी पास की। 1978 में बिलासपुर जिला अदालत में प्रेक्टिस शुरू की। 1985 तक युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष, प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। 1985 में वीरभद्र के प्रदेश की राजनीति में आने के दौरान उन्हें कोटकहलूर हलके से कांग्रेस का टिकट मिला। उन्होंने कामरेड रहे केके कौशल व भाजपा प्रत्याशी दौलत राम शर्मा को हराया और पहली बार विधायक बने।

वीरभद्र ने उन्हें राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार सौंपा। वह कानून, खेल व अन्य विभागों के मंत्री भी बने। इसके बाद हुए चुनाव में वह हार गए और केके कौशल विधायक बने। भाजपा के सदा राम ठाकुर भी उनसे एक बार चुनाव हारे। 90 के दशक की शुरूआत में हुए चुनाव में रामलाल फिर विधायक चुने गए और स्वास्थ्य मंत्री बने। 1998 के बाद 2003 में फिर विधायक बने और वीरभद्र सरकार में उद्योग मंत्री व वन मंत्री भी रहे। 2008 व 2012 में चुनाव हार गए और 2017 में जीत गए।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का आंकड़ा पहुंचाया सोलह सौ

रामलाल ने अलग अलग समय में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए। वह कांग्रेस में ऐसे नेता रहे जिन्होंने पार्टी की भाजपा के हाथों हो रही हार का आंकड़ा 1600 तक पहुंचा दिया। इस दौरान उनके सामने भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद सुरेश चंदेल रहे।


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