शिमला के सिंहासन के लिए कांगडा में जोर आजमाइश
कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने भी सोमवार को कांगडा जिले के नगरोटा में एक चुनावी रैली की।
संजय मिश्र, धर्मशाला/कांगडा। कांगडा जिले की सियासी नब्ज पहचानने की कोशिश में जुटी भाजपा और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने अंतिम दो दिनों में इलाके में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हिमाचल प्रदेश की सत्ता की चाबी का पर्याय माने जाने वाले कांगडा की सियासी बढ़त ही अमूमन शिमला के सिंहासन का फैसला करती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से लेकर पार्टी के कई दिग्गजों के धुंआधार प्रचार को देखते हुए आखिकरकार कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी ने भी सोमवार को कांगडा जिले के नगरोटा में एक चुनावी रैली की।
प्रचार की धुंआधार रणनीति से साफ है कि सत्ता के दोनों मुख्य दावेदार भाजपा और कांग्रेस इलाके में अपने पक्ष में सियासी लहर होने का संदेश देने की पूरी कोशिश कर रही हैं। मगर हिमाचल के दूसरे इलाकों की तरह कांगडा के वोटर भी उम्मीदवारों और पार्टियों को आखिरी समय तक परखने का मूड दर्शाते हुए दोनों दलों की धडकने बढा रहे हैं। वैसे जहां तक प्रचार का सवाल है तो कांगडा के इलाके में भी भाजपा का प्रचार तंत्र कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली दिखाई दे रहा है। कई कांग्रेस उम्मीदवारों के सामने तो चुनावी सामाग्री के लिए पैसे का संकट प्रचार अभियान में रोडा बना रहा है क्योंकि न राज्य इकाई से उन्हें चुनावी फंड आया और न ही केंद्रीय स्तर पर एआईसीसी से मिलने वाली रकम।
चुनावी दौरे के दौरान कांगडा ही नहीं हिमाचल के दूसरे इलाकों में भी पैसे की कमी की कसक कई कांग्रेस उम्मीदवारों ने अनौपचारिक चर्चा में खुलकर जाहिर की। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता तो पिछले कई दिनों से एआईसीसी में फोन कर चुके हैं मगर अभी तक वहां से कोई मदद नहीं पहुंची है।
कांगडा में दोनों पार्टियों के सब कुछ झोंकने की वजह भी है क्योंकि हिमाचल की 68 में सबसे अधिक 15 विधानसभा सीटे इसी जिले में हैं। 2012 के चुनाव में भी कांग्रेस को कांगडा की वजह से ही सत्ता मिली थी। कांग्रेस को यहां से 10 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा इस बार स्थिति पलटने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
वीरभद्र सरकार के 11 में से तीन मंत्रियों का इसी जिले से होना कांगडा की सियासी अहमियत को दर्शाता है। नगरोटा से सूबे के परिवहन व नागरिक आपूर्ति मंत्री जीएस बाली मैदान में हैं और राहुल गांधी ने उनके विधानसभा क्षेत्र में ही कांगडा की अपनी रैली की। बाली का मुकाबला भाजपा के अरुण मेहरा से है।
भाजपा के हिमाचल के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का भी कांगडा जिले में अपना सियासी प्रभाव है और इस लिहाज से उनके गृह क्षेत्र पालमपुर की सीट पर सबकी निगाहें हैं। पालमपुर से भाजपा ने शांता को मनाकर यहां से राज्य की वरिष्ठ भाजपा नेत्री इंदू गोस्वामी को मैदान में उतारा है जिनका मुकाबला कांग्रेस के आशीष बुटेल से है। प्रेम कुमार धूमल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के बाद भी शांता की चुनाव में जारी सक्ति्रयता भाजपा के लिए राहत की बात है।
पार्टियां चुनाव अभियान में राष्टृीय कैनवास के मुद्दे उठा रही हैं मगर कांगडा जिले की हर विधानसभा सीट के अपने-अपने मसले और लोगों की शिकायते हैं। मसलन धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने की वीरभद्र सरकार की घोषणा को तो सही माना जा रहा मगर इसके हकीकत में तब्दील नहीं होने की बात लोगों के जेहन में है।
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