Move to Jagran APP

दुष्‍यंत चौटाला की सफलता के ये हैं कारण, बने हरियाणा की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा

दुष्‍यंत चौटाला इस बार के चुनाव में एक केंद्र बिंदु बनकर उभरे हैं। चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है ऐसे में दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बनकर उभर रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 02:52 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 05:40 PM (IST)
दुष्‍यंत चौटाला की सफलता के ये हैं कारण, बने हरियाणा की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा
दुष्‍यंत चौटाला की सफलता के ये हैं कारण, बने हरियाणा की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा

नई दिल्ली [उमानाथ सिंह]। हरियाणा विधानसभा चुनाव से सामने आई तस्‍वीरों से साफ है कि इस बार भाजपा और कांग्रेस में से किसी को भी बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। रुझानों में दोनों दलों को क्रमश: 40 और 31 सीटें मिलती दिख रही हैं। ऐसे में अब ये दल तब ही सरकार बना पाएंगे, जब इन्‍हें जेजेपी के दुष्‍यंत चौटाला का साथ मिलेगा। चौटाला की पार्टी को रुझानों में 10 सीटें दी जा रही हैं। ऐसे में सबकी नजरें उनपर जाकर टिक गई हैं। यहां तक कि उनके मुख्‍यमंत्री बनने का अनुमान भी व्‍यक्‍त किया जा रहा है। चौटाला ने खुद कहा है कि उन्‍हें राज्‍य के इस सर्वोच्‍च कार्यकारी पद का ऑफर भी दिया गया है। ऐसे में यह जानना दिलचस्‍प है कि आखिर दुष्‍यंत चौटाला में वह क्‍या चीज है, जो उन्‍हें महज 31 साल की उम्र में राज्‍य की राजनीति का केंद्रीय बिंदु बना दिया है-

loksabha election banner

पहला, परंपरागत रूप सेे जाट नेताओं के वारिस अधिक पढ़े-लिखे नहीं रहे हैं। लेकिन दुष्‍यंत ने अमेरिका के कैलिफॉर्निया स्‍टेट यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्‍ट्रेशन में ग्रेजुएशन कर रखा है। स्‍कूली पढ़ाई उन्होंने लॉरेन्स स्कूल, हिमाचल प्रदेश से की है। वह नेशनल लॉ कॉलेज से कानून में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं। वे प्रगतिशील हैं और रोजगार समेत युवाओं के मुद्दे उठाने के कारण उनके बीच काफी लोकप्रिय हैं।

दूसरा, दुष्‍यंत की साहस भी उन्‍हें औरों से अलग करती है। महज 11 महीने पहले ही उन्‍होंने अपने दादा और राज्‍य के कई बार मुख्‍यमंत्री रह चुके ओमप्रकाश चौटाला से बगावत कर अपने दम पर पार्टी बनाई और इस चुनाव में बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया। युवाओं के बीच उनकी अपील इस बार देखने वाली रही। उनकी प्रगतिशील और विकासपरक सोच ने युवाओं को काफी लुभाया। दुष्‍यंत ने इस बार के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री रह चुके राज्‍य के कद्दावर नेता बिरेंदर सिंह की पत्‍नी प्रेम लता के खिलाफ जिंद जिले के उचाना कलान क्षेत्र से चुनाव लड़ने में भी हिचक नहीं दिखाई।

तीसरा, दुष्‍यंत की मजबूती के पीछे उनका मजबूत पारिवारिक पृष्‍ठभूमि भी है। वे पूर्व उपप्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री रह चुके चौधरी देवीलाल के परपोते और पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं। 2014 में सबसे कम उम्र में वे हिसार से लोकसभा सदस्‍य चुने गए थे और पूर्व सीएम भजनलाल के पुत्र कुलदीप विश्‍नोई को हराया था। तभी से वे उनकी नजर सियासत के शिखर पर है।

चौथा, काफी कम उम्र में दुष्‍यंत ने अपने परबाबा देवीलाल के साथ चुनाव कैंपेन में हिस्‍सा लेकर राजनीति के गुर सीखे थे। उन्‍होंने 1996 में देवीलाल के साथ रोहतास लोकसभा सीट के लिए चुनाव अभियान चलाया था।

पांचवां, दुष्‍यंत राजनीतिक रूप से काफी परिपक्‍व हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्‍होंने अपने दादा ओम प्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला के खिलाफ बिल्‍कुल नहीं बोला, जबकि उन्‍हीं के कारण दुष्‍यंत को बनवास के बाद अलग पार्टी बनानी पड़ी। उन्‍होंने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों को अपने दादा और पिता के जेल में होने और देवीलाल द्वारा राज्‍य के लिए कार्यों की याद दिलाई। इससे युवाओं के साथ जाट समुदाय में भी उनके पक्ष में हवा बनी।

छठा, हरियाणा में 29 फीसदी जनसंख्‍या वाले जाट सबसे ताकतवर और निर्णायक हैं। ऐसे में मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा उन्‍हें 20 फीसदी से भी कम सीटें देना उन्‍हें नागवार गुजरा और वे दुष्‍यंत के पक्ष में लामबंद होते चले गए। दुष्‍यंत ने जाटों की इस आहत भावना का अच्‍छा लाभ उठाया।

सातवां, दुष्‍यंत ने समय की नजाकत को समझते हुए चुनाव रुझान आते ही साफ कर दिया कि वे राज्‍य की अगली सरकार में शामिल होने के लिए तैयार हैं। साफ तौर पर उनका संकेत था कि अगर कांग्रेस या भाजपा उन्‍हें उपयुक्‍त पद दे तो वे उसके साथ जाने के लिए तैयार हैं। इस तरह उन्‍होंने खुद को सत्‍ता के केंद्र में लाकर खड़ा कर लिया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.