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Exclucive Interview: सैलजा बोलीं, भटकाने और भावनाओं की अपनी उम्र पूरी कर चुकी है भाजपा

सैलजा ने कहा- कांग्रेस की ताकत इसके लाखों कार्यकर्ता हैं और पार्टी के बूथ स्तर का हमारा कार्यकर्ता सूबे में बदलाव लाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 12:07 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 12:08 AM (IST)
Exclucive Interview: सैलजा बोलीं, भटकाने और भावनाओं की अपनी उम्र पूरी कर चुकी है भाजपा
Exclucive Interview: सैलजा बोलीं, भटकाने और भावनाओं की अपनी उम्र पूरी कर चुकी है भाजपा

लोकसभा चुनाव के निराशा को पीछे छोड़ने के लिहाज से हरियाणा का चुनाव कांग्रेस के लिए बेहद अहम बन गया है मगर पार्टी की चुनौतियां इससे कहीं ज्यादा बड़ी हैं। इस कठिन दौर में भी पार्टी के हौसले और उम्मीद बुलंद रहने का दावा कर रहीं हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा यह कहने से गुरेज नहीं कर रहीं कि सूबे के मुद्दों को लेकर खट्टर सरकार बैकफुट पर है। इसीलिए भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों को उछालने की कोशिश कर रही है। चुनावी व्यस्तता के बीच कुछ घंटों के लिए दिल्ली आयीं सैलजा ने दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से खास बातचीत की। पेश है इसके अंश:

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हरियाणा विधानसभा चुनाव को कई राजनीतिक विश्लेषक नो-कांटेस्ट चुनाव मान रहे ऐसे में कांग्रेस कहां खड़ी है?

भाजपा हमेशा झूठ की राजनीति करती है और इसी कड़ी में उसका यह प्रायोजित दुष्प्रचार है। सच्चाई यह है कि खट्टर सरकार के खिलाफ जमीन पर जनता की नाराजगी दिख रही है। भाजपा के झूठ का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि पिछले चुनाव घोषणापत्र में उसने 150 झूठ बोले थे और इस बार यह आंकड़ा बढ़ाकर 250 कर दिया है। खट्टर सरकार की कोई उपलब्धि होती तो भाजपा क्या उस पर वोट नहीं मांगती। आखिर काम पर वोट मांगने से भाजपा क्यों डर रही है। चुनाव को एकतरफा बताने वाले लोग और भाजपा हरियाणा की जनता के विवेक पर सवाल उठाने का प्रयास कर रहे। चुनाव नतीजे जब आएंगे तो भाजपा के सत्ता के सपने धरे रह जाएंगे।

मगर क्या हकीकत नहीं कि कांग्रेस का अपना घर ही बंटा हुआ है और चुनाव के दौरान पार्टी में बिखराव तेजी से हुआ है?

राजनीतिक पार्टियों में चुनाव के समय हमेशा ऐसी कुछ बातें होती हैं। लेकिन आज के दिन हरियाणा में कांग्रेस जमीन पर एकजुट होकर जीत के लिए चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस की ताकत इसके लाखों कार्यकर्ता हैं और पार्टी के बूथ स्तर का हमारा कार्यकर्ता सूबे में बदलाव लाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

कांग्रेस खट्टर सरकार के कामकाज को चुनावी मुद्दा बना रही मगर विमर्श में तो अनुच्छेद 370 और तीन तलाक कानून जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की गरमाहट है, क्या आपके लिए यह चुनौती ज्यादा मुश्किल नहीं है?

राष्ट्रीय मुद्दे को सूबे में उठाने की यह कोशिश जाहिर करती है कि सूबे के मसलों पर चर्चा करने की भाजपा की अब हिम्मत नहीं है। पांच साल तो इन्होंने लोगों का काम किया नहीं तो हरियाणा के मुद्दों की बात ये करेंगे कैसे। राष्ट्रीय मुद्दे चाहे 370 हो या एनआरसी पांच साल हरियाणा में इसकी कोई बात नहीं हुई। फिर मौजूदा चुनाव में इसे उठाना महज नाटक है। इससे साफ है कि हरियाणा के मुद्दों पर भाजपा बैकफुट पर है और उनके जिक्र से भाग रही है।

मगर पिछले कुछ समय के दौरान यह देखा गया है कि सूबे के चुनाव में भी राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहे हैं फिर क्या कांग्रेस अनदेखी का जोखिम नहीं उठा रही?

भाजपा देश में भटकाने और भावनाओं की राजनीति का खेल खेलती रही है। अब उसकी यह सियासत चरम पर पहुंच गई है जहां से इसका गिरना तय है क्योंकि जनता भाजपा के इस खेल को बखूबी समझ चुकी है। मगर किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि भटकाने और भावनाओं की भी अपनी एक उम्र होती है और भाजपा के साथ खट्टर सरकार अपनी यह उम्र पृरी कर चुकी है।

राष्ट्रीय मुद्दों को सूबे के चुनाव में आप प्रासंगिक नहीं मानती तो कांग्रेस के लिए अहम चुनावी सवाल क्या हैं?

हरियाणा के मुद्दे जो यहां के लोगों से ताल्लुक रखते हैं वे हमारे लिए सबसे अहम हैं। चाहे बेरोजगारी हो, युवा में नशे की गंभीर समस्या और राज्य में हावी होते ड्रग माफिया, माइनिंग माफिया, भ्रष्टाचार जैसे मसले बेहद ज्वलंत हैं जिन्हें तत्काल हल करने की जरूरत है। किसानों की हालत काफी खराब है और उनकी लागत दोगुनी हो गई जबकि आमदनी पहले से भी ज्यादा घट गई है। अपराध और महिलाओं के साथ अपराध में हरियाणा एकदम ऊपर आ गया है। दलित वर्ग पीड़ित है और उसके साथ न्याय नहीं हुआ। किसी गरीब दलित को घर बनाने के लिए एक गज प्लाट नहीं दिया। असलियत है कि भाजपा ने सूबे के सभी वर्गो को छला है।

चुनाव अभियान की गर्मी में अब सियासी पार्टियां भाषा की मर्यादा की सीमाएं लांघ रहीं क्या राष्ट्रीय दलों के लिए ऐसा करना उचित है?

लोकतंत्र में राजनीतिक और वैचारिक विरोध विमर्श का केंद्र होता है और इसमें दुश्मनी के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। मगर दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा ने हमारे प्रजातंत्र में विरोध और दुश्मनी के बीच का अंतर मिटा दिया है। इसीलिए हरियाणा के मुख्यमंत्री समेत भाजपा के बड़े नेता शिष्टाचार की सीमाएं लांघ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भद्दी और अपमानजनक टिप्पणियां करते हैं। खट्टर साहब ने हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में जो ओछी टिप्पणी की है वह उनकी और भाजपा की ऐसी ही मानसिकता को दर्शाता है। यही कारण है कि हरियाणा में महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं क्योंकि जब सूबे का मुखिया ही महिला की इज्जत नहीं करेगा तो फिर कौन करेगा।


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