हुड्डा और तंवर के झगड़े को दरकिनार कर अपने गढ़ को बचाने में जुटे सुरजेवाला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अशोक तंवर में मचे घमासन के बीच अपने सियासी गढ़ को बचाने में जुट गए हैं।
कैथल, [सुरेंद्र सैनी]। अखिल भारतीय कांग्रेस कोर कमेटी के सदस्य एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला अपने गढ़ को बचाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अशोक तंवर के झगड़े को दरकिनार कर सुरजेवाला अपने विधानसभा क्षेत्र कैथल में चुनावी अभियान में जुट गए हैं। वह लोगों के बीच जा रहे हैं और इस दौरान उन्हें लोगों के सवालों का सामना भी करना पड़ रहा है।
अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हुए रणदीप, शहर व गांव-गांव जाकर वोटरों से साध रहे संपर्क
जींद उपचुनाव में सुरजेवाला ने कहा था कि एमएलए बनकर जींद के पिछड़ेपन को दूर करुंगा। वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि इसके बाद सुरजेवाला ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर लोकसभा चुनाव भी लड़ने से मना कर दिया था। लोकसभा चुनाव में कैथल जिले की सभी चारों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार पीछे रहा था। अब विधानसभा चुनाव में अपनी कैथल की सीट बचाने के लिए सुरजेवाला गांव व वार्ड के मौजिज लोगों व बूथ प्रभारियों के साथ बैठक कर वोटरों से संपर्क कर रहे हैं।
जींद उपचुनाव में मिली हार के बाद कमर में दर्द बताते हुए नहीं लड़ा था लोकसभा चुनाव
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अब तक सात विधानसभा चुनाव लड़े हैं। इनमें से चार बार उन्होंने कामयाबी हासिल की। 2005 में नरवाना सीट से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को हराया था। इसके बाद वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बनी कांग्रेस की सरकार में वह बिजली व परिवहन मंत्री बने। बाद में नरवाना सीट रिजर्व होने पर उन्होंने कैथल की तरफ रुख कर लिया था।
कैथल विधानसभा सीट से 2005 में उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला विधायक बने थे। चुनाव में पिता ने बेटे के लिए सीट छोड़ दी। रणदीप ने 2009 में इनेलो के कैलाश भगत को 22 हजार, फिर 2014 में चुनावी मैदान में इनेलो के टिकट पर दोबारा उतरे भगत को 24 हजार वोटों से हराया।
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कैलाश के भाजपा में आने से मिली पार्टी को मजबूती
कैथल हलके से इनेलो के टिकट पर 2005, 2009 व 2014 का चुनाव लडऩे वाले प्रमुख उद्योगपति कैलाश भगत अब भाजपा में आ गए हैं। उनके आने से भाजपा को मजबूती मिली है और लोकसभा चुनाव में यह दिखाई भी दिया। रणदीप से दो बार व पिता शमशेर सुरजेवाला से एक बार कैलाश भगत चुनाव हार गए थे। कैलाश पंजाबी समुदाय से हैं, इस सीट पर करीब 20 हजार वोटर पंजाबी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात्र गुहला विधानसभा सीट पर ही जीत हासिल हुई थी।
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टिकट को लेकर भाजपा में 15 दावेदार
कैथल हलके से करीब 15 दावेदार भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। सीएम की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान इसको लेकर पूर्व विधायक लीला राम व नरेंद्र गुर्जर समर्थकों में झड़प हो गई थी। इसके बाद सीएम ने मंच से कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी मजबूरी है, टिकट 15 में से किसी एक को ही देना है, इसलिए झगड़ा करने की बजाय फैसला पार्टी पर छोड़ दो।
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