गुड़गांव की चारों सीटों पर आ सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे, बड़े दलों को लग सकता है झटका
Haryana Assembly Election 2019 मतदान के दिन जो रुझान देखने को मिले वहीं बात मतगणना के बाद सामने आई तो गुरुग्राम जिले की चारों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति सबसे खराब होगी।
गुरुग्राम [सत्येंद्र सिंह]। मतदान के दिन जो रुझान देखने को मिले, वहीं बात मतगणना के बाद सामने आई तो गुरुग्राम जिले की चारों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति सबसे खराब होगी। हालांकि परिणाम कुछ भी हो सकते हैं, मगर सियासी गलियारों में यही चर्चा है कि टिकट वितरण में सही चेहरे पर दांव लगाने के बजाय व्यक्ति विशेष को टिकट देने के चलते पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है।
गुड़गांव विधानसभा जैसी महत्वपूर्ण सीट जिस पर कांग्रेस कई बार कब्जा जमा चुकी है। यहां से भी पार्टी के उम्मीदवार पूर्व विधायक सुखबीर कटारिया वह जलवा नहीं दिखा सके, जो उन्होंने वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दिखाया था। इस बार मतदान के दौरान वह कुछ ही पोलिंग बूथों पर भाजपा उम्मीदवार सुधीर सिंगला के मुकाबले टक्कर में दिखे। सुधीर को अधिकतर जगहों पर टक्कर निर्दलीय उम्मीदवार मोहित ग्रोवर ने ही दी। कई पोलिंग बूथ पर जजपा, AAP व अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों से भाजपा की टक्कर हुई। इस सीट से चार बार कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले पूर्व मंत्री धर्मबीर गाबा सजातीय मोह में मोहित के साथ खड़े मिले, जिसका असर मतगणना के दौरान देखने को मिल सकता है। दूसरी ओर कांग्रेसी नेता गजे सिंह कबलाना ने बगावत कर निर्दलीय लड़ कांग्रेस के लिए खाई बढ़ा दी।
बादशाहपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार राव कमलबीर सिंह भी भाजपा उम्मीदवार मनीष यादव के मुकाबले किसी भी बूथ पर मजबूती से नहीं दिखाई दिए। मतदान वाले दिन कहीं-कहीं पर तो पार्टी के बूथ भी नहीं नजर आए। उनकी कमजोर कड़ी का लाभ निर्दलीय उम्मीदवार राकेश दौलताबाद ने लिया और भाजपा को कड़ी टक्कर दी। परिणाम भी चौंकाने वाले आ सकते हैं।
सियासी जानकारों की नजर में कांग्रेस का यहां से पीछे रहना पूर्व मंत्री राव धर्मपाल के पुत्र बीरेंद्र सिंह तथा युवा नेता वर्धन यादव को टिकट नहीं देना है। दो माह पहले कांग्रेस में आए राव कमलबीर सिंह ने टिकट तो ले लिया, मगर उनके साथ कांग्रेसी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का दल नहीं नजर आया था। हालांकि उनके समर्थक अभी भी जीत के दावे कर रहे हैं।
सोहना विधानसभा सीट पर भी कांग्रेसी उम्मीदवार डॉ. शमसुद्दीन वह जलवा नहीं दिखा सके, जिसकी पार्टी हाईकमान से उनसे उम्मीद की थी। वह भाजपा के उम्मीदवार संजय सिंह के मुकाबले केवल मुस्लिम इलाके के कुछ बूथों पर टक्कर देते नजर आए थे। उनसे कड़ी टक्कर भाजपा को जजपा उम्मीदवार रोहताश खटाना से मिलती नजर आई। नतीजे किसी के भी पक्ष में आ सकते हैं, मगर हालात कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हैं। पुराने कांग्रेसी ही पैराशूट उम्मीदवार के लिए चुनावी दंगल में नजर नहीं आए।
एक मात्र पटौदी सीट ही ऐसी है, जहां पर कई पोलिंग बूथ पर कांग्रेस के उम्मीदवार सुधीर चौधरी भाजपा उम्मीदवार सत्यप्रकाश जरावता को टक्कर देते नजर आए। कई बूथों पर तो उनके मतों का प्रतिशत भी अन्य उम्मीदवारों से अधिक होगा। परिणाम भले ही कुछ हो मगर सुधीर को जो भी वोट मिलेंगे वह उनके व्यक्तिगत छवि की वजह से मिले। पटौदी जो कि राव इंद्रजीत का गढ़ माना जाता है। यहां से विपक्षी उम्मीदवार को मतदाताओं को अपनी ओर मोड़ना बड़ी बात मानी जाती है।