Haryana Assembly Election 2019: भाजपा को चुनौती देने की बजाय अपनों की ही घेरेबंदी कर रहे कांग्रेसी
चुनावी मैदान में भाजपा की सत्ता को चुनौती देने की बजाय हरियाणा में पार्टी के खुले घमासान ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता और बढ़ा दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Haryana Assembly Election 2019 चुनावी मैदान में भाजपा की सत्ता को चुनौती देने की बजाय हरियाणा में पार्टी के खुले घमासान ने कांग्रेस हाईकमान की चिंता और बढ़ा दी है। भाजपा को चुनावी मुद्दों पर घेरने की बजाय अपने नेताओं के बीच एक दूसरे की घेरेबंदी की कांग्रेस में तेज हुई सियासत थम नहीं रही तो दूसरी ओर हाईकमान के लिए अपने स्टार प्रचारकों को सूबे में भेजना भी चुनौती बन रही। कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू को प्रचार के लिए हरियाणा भेजे जाने को लेकर सूबे के नेताओं और उम्मीदवारों की ओर से मनाही का संदेश भेजा जा रहा।
सभी पदों से दिया इस्तीफा
चुनाव अभियान के बीच इन चौतरफा चुनौतियों से जूझ रहे पार्टी नेतृत्व को हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने गुरूवार को एक और झटका दे दिया। अपने समर्थकों को टिकट नहीं मिलने से नाराज तंवर ने हरियाणा में पार्टी की चुनाव समितियों से जुड़े सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। तंवर ने एक दिन पहले ही बंटवारे में पैसे का खेल होने के आरोप लगाते हुए पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा पर खुला प्रहार किया था। कांग्रेस ने जैसे ही गुरूवार को सूबे की बाकी बची छह सीटों के उम्मीदवारों का एलान किया तो हताश तंवर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनावी समितियों से इस्तीफा भेजने में देर नहीं लगाई।
हाईकमान को किया असहज
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसलों से इस तरह खुलेआम असहमति जाहिर कर तंवर ने हाईकमान को साफ तौर पर असहज कर दिया है। खासकर यह देखते हुए कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से निकटता के कारण ही हुड्डा के न चाहते हुए भी तंवर करीब छह सालों तक हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष बने रहे। पार्टी की चुनाव प्रबंधन टीम के एक पदाधिकारी ने कहा कि इस हकीकत को जानते हुए भी चुनाव के बीच उम्मीदवारों की घोषणा के बाद तंवर का कदम साफ तौर पर नेतृत्व को असहज करने वाला है।
सख्ती दिखाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता नेतृत्व
तंवर ने इस बात की अनदेखी की है कि हुड्डा को चुनावी कमान सौंपने से लेकर टिकट बंटवारे पर अंतिम मुहर कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति और हाईकमान की है। उन्होंने यह भी माना कि राजनीति में कई बार चुनावी जरूरत के हिसाब से ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं लेकिन तंवर का रवैया चुनाव में पार्टी के लिए अच्छा संदेश तो कतई नहीं दे रहा। इसकी वजह से बढ़ रही चुनावी चुनौती के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व अभी ऐसे नेताओं पर सख्ती दिखाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता।
सिद्धू को लेकर चुनाव प्रचार में परहेज
सूत्रों ने यह भी बताया कि नेताओं की आपसी सिर-फुटव्वल के बीच चुनाव प्रचार के लिए स्टार प्रचार के तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू को उतारे जाने को लेकर सूबे के नेताओं ने हाईकमान को ऐसा करने से परहेज करने की सलाह दी है। इनका तर्क है कि सिद्धू के लच्छेदार भाषणों को सुनने के लिए भीड़ तो आती है मगर रौ में उनके मुंह से कई बार निकलने वाले विवादित बोल उम्मीदवार के लिए भारी पड़ जाते हैं।