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Assembly elections: चलो चलें 14वीं विधानसभा की राह... येे है हरियाणा का राजनीतिक गणित

चुनाव का एलान किसी भी समय संभव है। 14वीं विधानसभा में प्रवेश के लिए राजनीतिक दल तैयार बैठे हैं। चुनावी तैयारी के लिहाज से कोई दल अभी से 21 है तो कोई 19 तक भी नहीं पहुंचा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 09:55 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 08:49 AM (IST)
Assembly elections: चलो चलें 14वीं विधानसभा की राह... येे है हरियाणा का राजनीतिक गणित
Assembly elections: चलो चलें 14वीं विधानसभा की राह... येे है हरियाणा का राजनीतिक गणित

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। लोकतंत्र का महापर्व...विधानसभा चुनाव। करीब ढाई करोड़ की आबादी वाले हरियाणा प्रदेश में एक करोड़ 83 लाख मतदाता अपनी पसंद की नई सरकार चुनने को तैयार हैं। चुनाव का एलान किसी भी समय संभव है। 14वीं विधानसभा में प्रवेश के लिए राजनीतिक दल तैयार बैठे हैं। चुनावी तैयारी के लिहाज से कोई दल अभी से 21 है तो कोई 19 तक भी नहीं पहुंचा। राजनीतिक तिकड़मबाजी से बेफिक्र मतदाताओं के दिल में क्या है, यह अभी तो साफ नहीं है, लेकिन चुनावी रण में कूदने वाले इन दलों को मतदाताओं ने अपनी कसौटी पर जरूर परखना शुरू कर दिया है। 

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2019 के चुनावी रण में उतरने से पहले हम 2014 की बात करते हैं। यह कांग्रेस की दस साल की सत्ता परिवर्तन और भारी संख्या में हुए दलबदल से आगे मतदाताओं के दिल बदल का साल था। 2014 के विधानसभा चुनाव में बहुत से इतिहास बदले और पुराने राजनीतिक गढ़ ढह गए। जो दुर्ग नहीं भी ढहे, वे सकते में जरूर आए। देश में जीत का परचम लहराने के बाद हरियाणा में भी पहली बार सरकार बनाने का श्रेय निर्विवाद रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गया। मोदी के नेतृत्व में हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ा गया। अक्सर बैसाखियों के सहारे सत्ता का स्वाद चखने वाली भाजपा को पहली बार पूर्ण बहुमत मिला। इस पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की सरकार के सारथी बने मुख्यमंत्री मनोहर लाल।

हरियाणा के तमाम राजनीतिक दलों की तैयारी को देखें तो कहा जा सकता है कि भाजपा इसमें सबसे आगे है। कांग्रेस अभी चुनाव लड़ने की दिशा तय नहीं कर पाई, जबकि इनेलो व जजपा का चुनाव चौटाला परिवार की राजनीतिक एकजुटता पर निर्भर करेगा। बसपा के साथ कांग्रेस मेलमिलाप की कोशिश कर रही है, मगर इसमें उसे सफलता मिलती दिखाई नहीं दे रही। आम आदमी पार्टी का भरोसा यदि कोई दल जीतने में कामयाब होता है तो यह उसके लिए बोनस होगा। अन्यथा पार्टी ने इस चुनाव में अकेले ही उतरने का मन बना रखा है।

बदलाव के पांच साल, भाजपा के बड़े खिलाड़ी मनोहर

अब 2019 की बात करते हैं। 2014 से 2019 के बीच कई तरह के राजनीतिक बदलाव हुए। आरंभ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को राजनीति का नया खिलाड़ी माना जाता था। अब यही मनोहर लाल राजनीति के माहिर खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो गए। भाजपा में मनोहर लाल नीति निर्धारक की भूमिका में हैं। 47 सीटों को बढ़ाकर 75 पार ले जाने का लक्ष्य हासिल करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मनोहर लाल को फ्री-हैंड दिया है। भाजपा में ही उन नेताओं के लिए यह स्थिति बेहद सोचने-समझने वाली है, जिन्होंने जाट आरक्षण आंदोलन व पंचकूला में डेरा हिंसा के दौरान सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। अब मनोहर, मनोहर नहीं बल्कि नमोहर हैं। यानी मोदी के दूत।

बिखराव रोकने को फिर एकजुटता की राह पर चौटाला परिवार

2019 के चुनाव का अहम घटनाक्रम पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार का राजनीतिक बिखराव है। चाचा अभय सिंह चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला के बीच राजनीतिक मतभेदों के चलते लगातार एक साल तक पूरे परिवार में रस्साकसी चलती रही। इनेलो टूट गई और जननायक जनता पार्टी का जन्म हुआ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पहले चाचा अभय के नेतृत्व वाले इनेलो के साथ ताल बैठाई तो बाद में दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी के साथ कुछ दिन चलीं। इसे मजबूरी कहें या फिर जरूरत, अब यह परिवार खाप नेताओं के प्रयास से दोबारा राजनीतिक एकजुटता के प्रयासों में है।

गुटों में बंटी कांग्रेस के सामने अपनों से लडऩे की चुनौती

पिछले पांच सालों में कांग्रेस पूरी तरह से बिखराव का शिकार रही। कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस का विलय कांग्रेस में होना बड़ा घटनाक्रम रहा। दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी टीम का पूरा समय अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी से हटाने की कवायद में बीत गया। आखिर में जाकर हुड्डा को अपनी मुहिम में सफलता मिली, लेकिन मौजूदा अध्यक्ष सैलजा व हुड्डा के सामने अशोक तंवर, किरण चौधरी, कुलदीप बिश्नोई, कैप्टन अजय और रणदीप सुरजेवाला को साथ लेकर चलना किसी चुनौती से कम नहीं है। गुटों में बंटी कांग्रेेस 2019 का चुनाव कितनी जिम्मेदारी और एकजुटता से लड़ पाएगी, इस पर सबकी निगाह टिकी है।

दूसरे दलों की चाल से बेपरवाह आम आदमी पार्टी

हरियाणा की राजनीति में आम आदमी पार्टी का जिक्र बेहद जरूरी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भिवानी जिले की सिवानी मंडी के रहने वाले हैं। उनका हरियाणा से पुराना नाता है। आम आदमी पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन था, लेकिन विधानसभा चुनाव में आप अकेले कूदने को तैयार है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अभी तक आधा दर्जन उम्मीदरों की घोषणा कर दी।

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