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Loksabha Electon हरियाणा के चुनावी रण में तय होगा चाचा और भतीजे का कद

हरियाणा में लोकसभा चुनाव इनेलो नेता अभय चौटाला अौर उनके भतीजे दुष्‍यंत चौटाला के लिए भी बहद अहम है। यह चुनाव दोनों के राजनीतिक कद तय करेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 07:43 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 08:41 AM (IST)
Loksabha Electon हरियाणा के चुनावी रण में तय होगा चाचा और भतीजे का कद
Loksabha Electon हरियाणा के चुनावी रण में तय होगा चाचा और भतीजे का कद

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में Loksabha Election 2019 सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस दोनों के बेहद अहम है। इसके अलावा राज्‍य का यह चुनावी रण चाचा अभय सिंह चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक भविष्य व कद तय करेगा। इंडियन नेशनल लाेकदल (इनेलो) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की राज्‍य की राजनीतिक में पकड़ भी पता चलेगी। अभय चौटाला और दुष्‍यंत के लिए पार्टी के पुराने काडर पर कब्‍जे की होड़ भी होगी।

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अभय चौटाला के सामने पार्टी को संभालने और दमदार उपस्थित दर्ज कराने की चुनौती

चौटाला परिवार में सुलह की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक राहें जुदा हो चुकी हैं। दोनों के बढ़े कदम वापस खींचने की कोई गुंजाइश बाकी नहीं बची। अभय चौटाला इनेलो तो दुष्यंत चौटाला जननायक जनता पार्टी की राजनीति करते हुए एक दूसरे को घेरने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं।

इनेलो की कोख से पैदा हुई जननायक जनता पार्टी जहां इस चुनाव में खुद को स्थापित करने की जिद्दोजहद में है, वहीं इनेलो के सामने फिर से खड़ा होने तथा देवीलाल परिवार के प्रभाव वाली सीटों को जीतने की बड़ी चुनौती है। इस दौर को इनेलो का विघटन काल भी कहा जा रहा है।

कांग्रेस के दस साल के शासन के बाद मोदी लहर के बावजूद इनेलो के 19 विधायक चुनकर आए थे। दो विधायकों का देहावसान हो चुका और छह विधायक इनेलो छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो गए। भविष्य में कुछ और विधायकों के इनेलो को अलविदा कहने की संभावना है। ऐसे में अभय चौटाला के सामने दोहरी चुनौती आन खड़ी हुई है।

दुष्यंत चौटाला की निगाह भाजपा के वोट बैंक पर, 2019 का विधानसभा चुनाव टारगेट

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अभय को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है। ओमप्रकाश चौटाला व अजय सिंह चौटाला के जेल जाने के बाद अभय सिंह ने जिस तरह पार्टी को खड़ा किया, उसी तरह के हालात फिर से बनते जा रहे हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब पार्टी विघटन के दौर से गुजरी है। ताऊ देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला अपनी पार्टी के विधायकों की भगदड़ कई बार झेल चुके, लेकिन हर बार पार्टी संभली और मजबूती से खड़ी हुई। इसी तरह की स्थिति हाल-फिलहाल बनी हुई है।

अभय चौटाला ने साफ कर दिया कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन नहीं होने जा रहा। ऐसे में हर सीट पर जिताऊ उम्मीदवार खड़े करना चौटाला के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। इनेलो के राजनीतिक मामलों की कमेटी की 27 मार्च को दिल्ली में बैठक होने वाली है। इस बैठक में चुनाव की रणनीति तैयार होगी।

इसी तरह हिसार के सांसद दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की 28 मार्च के बाद किसी भी समय दिल्ली में बैठक हो सकती है, जिसमें 31 मार्च तक पांच सीटों के उम्मीदवार घोषित किए जाने का फैसला लिया जा सकता है। इन पांचों सीटों में हिसार सीट भी शामिल है।

दरअसल, जननायक जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ खास नहीं है। जेजेपी की निगाह 2024 के लोकसभा चुनाव और 2019 के विधानसभा चुनाव पर टिकी है। आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में सीटों का बंटवारे पर सबसे बड़ा पेंच फंसा हुआ है। 31 मार्च तक पांच टिकट घोषित कर जेजेपी साफ संदेश देना चाहती है कि उसे गठबंधन की खास फिक्र नहीं है।

यही स्थिति हालांकि आम आदमी पार्टी की भी है, जो खुद को जेजेपी के सामने बौना साबित करने को किसी सूरत में तैयार नहीं है। जींद उपचुनाव में हालांकि जजपा और आप की जोड़ी ने अपनी राजनीतिक ताकत को साबित भी कर दिया है, लेकिन ऐसे हालात लोकसभा चुनाव में नहीं बनने की स्थिति में जजपा सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है।


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