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करो या मरो के जज्बे से लड़ा भाजपा ने लोकसभा चुनाव, खास लक्ष्‍य पर है निगाह

हरियाणा में Lok Sabha Election 2019 में भाजपा ने करो या मरो के जज्‍बे के संग पूरा जोर लगाया। पार्टी की निगाह खास लक्ष्‍य मिशन 10 पर है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 10:15 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 10:13 AM (IST)
करो या मरो के जज्बे से लड़ा भाजपा ने लोकसभा चुनाव, खास लक्ष्‍य पर है निगाह
करो या मरो के जज्बे से लड़ा भाजपा ने लोकसभा चुनाव, खास लक्ष्‍य पर है निगाह

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर प्रदेश के करीब 70 फीसद मतदाता 223 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कर चुके हैं। अब सभी की नजरें 23 मई को आने वाले नतीजों पर टिकी हैैं, लेकिन राज्य में विभिन्न पार्टियों द्वारा लड़ी गई चुनावी लड़ाई पर तर्क-वितर्क का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ भाजपा ने  हरियाणा में करो या मरो के जज्बे के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा है।

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हिसार, रोहतक व सिरसा सीटें जीतने को लगाया दम, जीटी रोड बेल्ट पर कब्‍जा बरकरार रखने को लगी ताकत

प्रदेश में इस समय भाजपा की सात लोकसभा सीटें हैं। एक-एक सीट की लड़ाई लड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की टीम को हरियाणा में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने का टारगेट दिया था। टीम मनोहर इस टारगेट को हासिल करने में पूरी ताकत लगा दी। उसका खास फोकस पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ फतेह करने पर रहा।

दिल्ली और चंड़ीगढ़ से एक साथ चला वार रूम, सीएम के हाथ रही बागडोर 

रोहतक, हिसार और सिरसा तीन लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा पिछले चुनाव में कमल नहीं खिला सकी थी। इन तीनों सीटों पर भाजपा ने एक रणनीति के तहत जातीय समीकरण साधते हुए उम्मीदवार उतारे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी इन्हीं तीनों संसदीय क्षेत्रों में डेरा डाले रखा। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री ने सामान्य अंदाज में आम पब्लिक के बीच जाकर उनका भरोसा जीतने की कोशिश की।

कलराज मिश्र और विश्वास सारंग की जोड़ी ने बनाई मंत्रियों-विधायकों के लिए रणनीति

मनोहर लाल और प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की टीम ने एक वार रूम के रूप में सभी लोकसभा सीटों पर फोकस किए रखा। संसदीय कार्य मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा से लेकर कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, शहरी निकाय मंत्री कविता जैन और सहकारिता राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर तक सभी मंत्रियों की उन संसदीय क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की ड्यूटी लगाई गई, जहां वे मतदाताओं को भाजपा के हक में प्रभावित कर सकते थे। सिरसा में सबसे अधिक 73.48 प्रतिशत, हिसार में 71.17 प्रतिशत और रोहतक में 69.36 प्रतिशत वोट पड़े हैं।

हरियाणा में भाजपा का वार रूम दिल्ली और चंडीगढ़ दो स्थानों से चला। मुख्मयंत्री ने हर लोकसभा सीट पर तीन-तीन राउंड लगाए। अंबाला में रतनलाल कटारिया के लिए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने काम किया तो कुरुक्षेत्र में नायब सिंह सैनी के लिए खुद सीएम कई बार मोर्चे पर डटे नजर आए। भाजपा प्रभारी डा. अनिल जैन ने चुनाव से पहले ही संकेत दे दिए थे कि यदि किसी विधायक ने भितरघात की कोशिश की तो उसका टिकट कट सकता है। लिहाजा भाजपा में भितरघात का कोई घटनाक्रम देखने-सुनने को नहीं मिला, जो पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

भाजपा के लोकसभा चुनाव प्रभारी कलराज मिश्र तथा सह प्रभारी विश्वास सारंग चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से करीब एक पखवाड़े पहले ही हरियाणा आ गए थे। उन्होंने हुड्डा के गढ़ रोहतक में डेरा डाले रखा। भाजपा के प्रांतीय संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट से पूरे प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य समझने के बाद कलराज मिश्र और विश्वास सारंग की जोड़ी ने ऐसी किलेबंदी की कि विरोधियों को उसे भेदने में पसीने छूट गए। भाजपा की यह किलेबंदी कितनी कारगर साबित हुई, इसका पता मतगणना के बाद ही चल पाएगा, लेकिन भाजपाइयों का जोश और जुनून देखने लायक था।

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