हरियाणा में आयातित नेताओं की पहली पसंद बनी भाजपा, दूसरे दलों के नेता जुगाड़ में जुटे
हरियाणा में भाजपा आयातित नेताओं की पहली पसंद बन गई है। इनेलो और कांग्रेस के कई पूर्व विधायक व नेता भाजपा में शामिल होेने की जुगत लगा रहे हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव में मिली जीत के बाद दूसरे दलों के नेताओं का भाजपा के प्रति मोह बढ़ रहा है। निर्दलीय विधायक हों या फिर चुनाव लडऩे के इच्छुक इनेलो व कांग्र्रेस नेता, भाजपा उनकी पहली पसंद बनी हुई है। भाजपा में बात नहीं बनने की स्थिति में उन्हें दूसरे दलों का विकल्प चुनने में परेशानी हो रही है।
इनेलो के दो पूर्व विधायकों राजबीर और बूटा सिंह ने की भाजपा में एंट्री की शुरुआत
राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होंगे। दूसरे दलों के तमाम ऐसे नेताओं ने अभी से भाजपा में अपना भविष्य तलाशना आरंभ कर दिया, जिन्हें लगता है कि मौजूदा राजनीतिक दल में रहकर उन्हें टिकट मिलना मुश्किल है। मुलाना के पूर्व इनेलो विधायक राजबीर सिंह और गुहला चीका के पूर्व इनेलो विधायक बूटा सिंह से इसकी शुरुआत हो गई।
चार आजाद, एक बसपा और दो इनेलो विधायक भी कर रहे सही मौके का इंतजार
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक सुभाष बराला ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में दोनों पूर्व इनेलो विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराया। सूत्रों के अनुसार जल्द ही कई मौजूदा विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक भाजपा का दामन थामेंगे। इसकी शुरुआत हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के हिसार दौरे के समय होने वाली थी, लेकिन पार्टी ने एक साथ ज्वाइनिंग कराने की बजाय धीरे-धीरे ज्वाइनिंग की रणनीति तैयार की है, ताकि प्रदेश में राजनीतिक माहौल बनाने में मदद मिल सके।
हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 विधायक भाजपा के हैैं। पांच में से चार निर्दलीय विधायकों और एक इनेलो विधायक ने भाजपा को अपना समर्थन दे रखा है। इनेलो के टूटने के बाद चार विधायक जननायक जनता पार्टी के साथ चले गए, जबकि दो इनेलो विधायकों का देहांत हो चुका है। ऐसे में अब वास्तविक रूप में इनेलो विधायकों की संख्या 13 है। इनमें से दो विधायक किसी भी समय भाजपा का दामन थाम सकते हैैं।
विधानसभा में सरकार को समर्थन दे रहे चारों आजाद विधायकों के साथ एक बसपा विधायक के भी देर-सबेर भाजपा में शामिल होने की संभावना है। कुछ विधायकों के टिकट पर पेंच फंसा हुआ है। ज्वाइनिंग से पहले यह विधायक मुख्यमंत्री मनोहर लाल से टिकट की गारंटी चाह रहे हैं।
मुख्यमंत्री की कोशिश यह है कि जिन सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की पराजय मात्र कुछ मतों से हुई है, वहां पर उनके समानांतर दूसरा उम्मीदवार तैयार न किया जाए। इसलिए ऐसे विधायकों व कुछ नेताओं की ज्वाइनिंग में देरी हो रही है। भाजपा सूत्रों के अनुसार दूसरे दलों के कई कद्दावर नेता भी पार्टी में आने को तैयार हैैं, लेकिन टिकट की गारंटी नहीं मिलने के कारण उनकी एंट्री फिलहाल रुकी हुई है।
32 साल इनेलो में रहे बूटा बोले, मोदी-मनोहर की नीतियों से प्रभावित
उधर 32 साल तक इनेलो में रहे गुहला से पूर्व विधायक बूटा सिंह ने भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नीतियों से प्रभावित हैं। वैसे भी इनेलो पार्टी में परिवारिक मतभेद के बाद कुछ नहीं बचा है। वह भाजपा की नीतियों पर भरोसा करते हुए बिना किसी शर्त के पार्टी में शामिल हुए हैं।
बूटा सिंह 1987 में चौ. देवीलाल की नीतियों से प्रभावित होकर इनेलो पार्टी में शामिल हुए थे और 1987 में ही गुहला से विधायक चुने गए। उसके बाद वे पार्टी में प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य के रूप में कार्य करते रहे। 2009 से वह इनेलो एससी सेल के प्रदेश उपाध्यक्ष थे।