Ambala, Haryana Lok Sabha Election 2019 कटारिया और सैलजा में कड़ी टक्कर
हरियाणा की अंबाला लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस की पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा और भाजपा के रतनलाल कटारिया के बीच कडी़ टक्कर है।
अंबाला, [दीपक बहल]। Lok Sabha Election 2019 में अंबाला सीट पर इस बार कड़ा मुकाबला है। यहां तो वैसे 18 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला रतन लाल कटारिया और कुमारी सैलजा का मुकाबला है। इस सुरक्षित क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है। सैलजा की जीत उन्हें हरियाणा की राजनीति में नया स्थान दिलाएगी और हरियाणा कांग्रेस में नेताओं की रस्साकसी में उनको थोड़ा आगे कर देगी। वहीं रतन लाल कटारिया की जीत या हार भी उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगी।
सन् 1952 से लेकर अब तक भाजपा या कांग्रेस को मिली जीत, एक बार बसपा के हाथ आई सीट
अंबाला लोकसभा सीट हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है। इस सीट पर अधिकतर कांग्रेस और भाजपा के बीच टक्कर होती रही है और इस बार भी एेसे ही हैं। दोनों ही पार्टियों ने अपने पुराने महारथियों कुमारी सैलजा और रतनलाल कटारिया पर भरोसा जताते हुए चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस और भाजपा में सीधी टक्कर में अन्य उम्मीदवार बिगाड़ेंगे समीकरण
पहले इस सीट का नाम अंबाला-शिमला लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर अब तक हुए चुनाव की बात करें, तो सन् 1952 से लेकर 2014 तक कांग्रेस आैर भाजपा की ओर ही मतदाताओं का झुकाव ज्यादा रहा है। सिर्फ एक बार बसपा व इनेलो गठबंधन में बसपा प्रत्याशी अमन कुमार नागरा ने बाजी मारी। अंबाला लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। भाजपा और कांग्रेस की टक्कर में अन्य उम्मीदवार इनके समीकरण बिगाड़ने तक सीमित हैं।
सोशल मीडिया पर कम दिलचस्पी रखने वाले कटारिया और सैलजा इस बार रहे खासा एक्टिव
अंबाला लोकसभा सीट की नौ विधानसभा क्षेत्रों में अब चुनाव प्रचार खूब चला और सोशल मीडिया को भी इसका माध्यम बनाया गया। सबसे खास बात यहा है कि सोशल मीडिया में कम दिलचस्पी रखने के वाले कटारिया और सैलजा ने भी इस बार इसका उपयोग किया।
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यह है प्रमुख प्रत्याशियों का विवरण
रतनलाल कटारिया का 38 साल का राजनीतिक कैरियर, नौ बार लड़े चुनाव
भाजपा ने रतनलाल कटारिया पर फिर से भरोसा किया। करीब 38 साल के अपने राजनीतिक कैरियर में कटारिया ने अपना पहला चुनाव विधानसभा का 1982 में रादौर से लड़ा था। इसमें वह हार गए थे। इसके बाद उन्होंने 1987 में रादौर से दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ा और बाद में देवीलाल की सरकार में डिप्टी रेवेन्यू मिनिस्टर बने। 1991 में वह विधानसभा चुनाव में हार गए। इसके बाद वह 1996 में चुनाव जीते और बंसीलाल सरकार में वेयर हाउस निगम में चेयरमैन रहे। खास बात है कि उनका कोई कारोबार नहीं है और पूरी तरह से राजनीति से जुड़े हैं। वह 1999, 2004ए 2009 और 2014 में लोकसभा चुनाव लड़े। 2019 का चुनाव उनका कुल नौवां चुनाव है।
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कुमारी सैलजा 1991 में सिरसा से बनी थीं पहली बार सांसद
कुमारी सैलजा का राजनीतिक कैरियर उपलब्धियों से भरा है। वर्ष 1990 में वह महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं। इसके बाद वर्ष 1991 के लोकसभा चुनावों में सिरसा से सांसद पहली बार बनीं। इसके अलावा वह नरसिंह राव सरकार में शिक्षा एवं सांस्कृतिक मामलों की राज्य मंत्री पद पर भी रहीं। इसी तरह वर्ष 1996 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वर्ष 2004 में उन्होंने सिरसा को छोड़कर अंबाला लोकसभा सीट से जीत हासिल की। इसके अलावा वर्ष 2009 में भी वह अंबाला सीट से विजयी रहीं और केंद्रीय राज्य मंत्री बनीं। वर्ष २०१४ का चुनाव उन्होंने लड़ा नहीं और कांग्रेस ने उनको राज्य सभा सांसद बनाया।
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डीजीपी से सेवानिवृत्त अब चुनाव मैदान में
अंबाला लोकसभा सीट से जेजेपी-आप गठबंधन प्रत्याशी पृथ्वी राज चुनाव मैदान में हैं। इससे पहले वह डीजीपी के पद पर रहे। सेवानिवृत्ति के बाद वह सामाजिक न्याय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। चुनाव लड़ने इच्छुक थे, लेकिन उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं था। ऐसे में बाद जेजेपी-आप गठबंधन ने उनकाे यहां से टिकट दिया।
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शिमला से अंबाला तक था अंबाला लोकसभा सीट का दायरा
हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट अंबाला है। इस सीट का दायरा मौजूदा पंजाब व हिमाचल प्रदेश के काफी बड़े भूभाग तक फैला हुआ था। तब इसे अंबाला- शिमला लोकसभा सीट कहा जाता था यानि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तक का इलाका इस सीट के तहत ही आता था। एक खास बात यह भी है कि यह हरियाणा की इकलौती सीट है जो शुरू से अब तक अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है।
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तीन जिलों की नौ विधानसभा क्षेत्रोंं से बनी अंबाला लोकसभा सीट
अंबाला लोकसभा सीट में पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर (रादौर विधान सभा को छोड़कर), इसमें कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला छावनी, अंबाला शहर, मुलाना, सढौरा, जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र हैं।
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यहां के नेता राज्यपाल से लेकर केंद्रीय मंत्री तक सरकार में रहे
अंबाला लोकसभा में राजनीति की बात करें तो अंबाला के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री ही नहीं बल्कि कई राज्यों के राज्यपाल तक रह चुके हैं। अंबाला छावनी में विधानसभा से राजनीति की पारी शुरू करने वाली सुषमा स्वराज अब विदेश मंत्री हैं, जबकि स्व. सूरजभान उत्तरप्रदेश, हिमाचल के राज्यपाल रहे इसके अलावा करीब दो माह बिहार का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास रहा।
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अंबाला सीट से यह रहे सांसद
1952 में टेकचंद (कांग्रेस)
1957में सुभद्रा जोशी (कांग्रेस)
1962 चुन्नी लाल (कांग्रेस)
1967 में सूरजभान (जनसंघ)
1971 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस),
1977 में सूरजभान (जनता पार्टी),
1980 में सूरजभान (जनता पार्टी)
1984 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस)
1989 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस)
1991 में डॉ.रामप्रकाश (कांग्रेस)
1996 में सूरजभान (भाजपा)
1998 में अमन कुमार नागरा (बहुजन समाज पार्टी)
1999 में रतनलाल कटारिया (भाजपा)
2004 में कुमारी सैलजा (कांग्रेस)
2009 में कुमारी सैलजा (कांग्रेस)
2014 में रतनलाल कटारिया (भाजपा)
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यह था 2014 में चुनाव परिणाम व प्राप्त वोट
2014 में रतनलाल कटारिया को छह लाख 12 हजार 121 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी राजकुमार बाल्मीकि तीन लाख 40 हजार 74 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इस लोकसभा के अंतर्गत आने वाली सभी नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
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